पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने स्तर से अपने मौजूदा सांसदों का एक सर्वेक्षण कराया है। 'आप' की तर्ज पर कराए गए इस सर्वेक्षण में आम जनता की रायशुमारी की गयी है। सांसद के संसदीय क्षेत्र की जनता से सांसद को लेकर सवाल किए गए हैं। इसके बाद तय किया गया है कि टिकट वितरण में ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशी को प्राथमिकता दी जाएगी।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पार्टी हाईकमान को जो जानकारी मिली है उसमें आधे से ज्यादा सासंदों को लेकर जनता में बेहद नकारात्मक छवि उभरी है। माना जा रहा है कि ऐसे नेताओं पर राहुल गांधी दांव नहीं आजमाएंगे। शुक्रवार को स्क्रीनिंग समिति के चेयरमैनों के साथ बैठक में राहुल ने साफ बता दिया कि आपराधिक छवि के दावेदारों पर विचार करने की जरूरत नहीं है।
उम्मीदवार का पैमाना केवल और केवल जिताऊ ही न हो बल्कि वह जनता से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ होना चाहिए। इसके साथ ही हर दावेदार पर राहुल की पैनी नजर रहेगी और दो बार चुनाव हारने वाले तथा एक लाख से हारने वाले दावेदारों को टिकट नहीं दिया जाएगा।
पिछले विधानसभा चुनाव में भी राहुल ने उम्मीदवार चयन के मामले में सख्ती बरती थी और कहा था कि उम्मीदवारों के बारे में ब्लॉक स्तर की राय को महत्व दिया जाए लेकिन महज खानापूरी के चलते सही रिपोर्ट ऊपर तक नहीं पहुंच पायी। जिसका नतीजा चार राज्यों में कांग्रेस को बुरी तरह मात खाने के रूप में सामने आया।
लोकसभा चुनाव में राहुल इस स्थिति के सहन करने को तैयार नहीं हैं। बैठक में कहा गया कि जरूरी नहीं कि दावेदार लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ा हुआ हो। यानी कोई जमीनी कार्यकर्ता जिसकी आम जनता में अच्छी छवि है और उसका आपराधिक रिकार्ड नहीं है तो उसके नाम पर भी विचार किया जाए।
बैठक में राहुल ने साफ तौर पर संदेश दिया कि खास को नहीं, आम को तरजीह दी जाए। राहुल पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट को फरवरी में अंतिम रूप देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दावेदारों की सूची निर्धारित समय सीमा के भीतर भेजी जाए।