वेनेजुएला के निरंकुश शासक ह्यूगो चावेज़

शरद सिंगी
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वेनुजुएला के पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज़ को शायद कम लोग जानते हों किंतु इनकी शासन शैली और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर इनके अटपटे विचारों ने दुनिया के शासनाध्यक्षों की भीड़ में इन्हें अलग पहचान दी। पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों में इनके स्वास्थ्य की ख़बरें लगातार सुर्ख़ियों में रहीं। अट्ठावन वर्षीय ह्यूगो चावेज़ पिछले दो वर्षों से केंसर से पीड़ित थे। वे क्यूबा में दो माह इलाज करवाने के बाद 18 फरवरी को स्वदेश लौटे और सीधे सैनिक अस्पताल में भर्ती हुए। मंगलवार 5 मार्च को उनका निधन हो गया।

वेनेजुएला मध्य अमेरिकी राष्ट्र है या यों कहें दक्षिण अमेरिका की सबसे उत्तरी चोटी पर बसा है। उत्तर में केरेबियन समुद्र, पूर्व में गुयाना, दक्षिण में ब्राज़ील और पाश्चिम में कोलम्बिया। तेल की बहुलता है इसलिए इस देश की अर्थव्यवस्था थोड़ी बेहतर है। पहली बार इस देश की यात्रा कोलम्बस ने सन 1498-99 में की थी। 1811 में स्पेन से आज़ादी मिली। उसके बाद से राष्ट्र तानाशाही और लोकतंत्र के बीच झूलता रहा।

ह्यूगो चावेज़ ने 1992 में चुनी हुई सरकार का तख्ता पलटने की कोशिश की, जो नाकामयाब रही। दो वर्ष जेल में बिताए। 1998 में नए समाजवादी संविधान के आश्वासन पर चुनाव जीत कर राष्ट्रपति बने। और तब से अब तक सारे चुनाव जीत कर सत्ता में बने हुए हैं। धीरे-धीरे कार्यपालिका और न्यायपालिका के सारे अधिकारों को राष्ट्रपति के अधीन किया और पूरी सत्ता को अपने तक केन्द्रित कर लिया। अंतिम चुनाव 2012 में जीता किंतु विडम्बना देखिए कि शपथ समारोह बीमारी की वज़ह से जिंदगी के अंतिम समय तक नहीं हो सका। दरबारी चमचों ने अस्पताल में शपथ ग्रहण कराने की सलाह दी किन्तु यह अमान्य रही।

दुनिया में उनकी पहचान घोर अमेरिका विरोधी की रही। अमेरिकी नेताओं और नागरिकों पर तल्ख और अभद्र टिप्पणियों के लिए कुख्यात रहे। उनका संदेह था कि उनके कैंसर के पीछे अमेरिका का हाथ है। उनका कहना था- अमेरिका ने शायद ऐसा हथियार खोज लिया है, जो अपने दुश्मन देशों के नेताओं पर इस्तेमाल कर रहा है। अपने शक को सही बताने के लिए वे दक्षिणी अमेरिका के देशों के कई नेताओं की ओर इशारा करते, जो अमेरिका विरोधी हैं और कैंसर से पीड़ित हैं जिनमे अर्जेंटीना, ब्राज़ील और पेराग्वे के राष्ट्राध्यक्ष प्रमुख हैं।

चावेज़ ने अंतिम चुनाव 2012 में जीता किंतु विडम्बना देखिए कि शपथ समारोह बीमारी की वज़ह से जिंदगी के अंतिम समय तक नहीं हो सका। दरबारी चमचों ने अस्पताल में शपथ ग्रहण कराने की सलाह दी किन्तु यह अमान्य रही।
सन 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ को संबोधित करते हुए उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज़ बुश की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसी मंच पर कल एक दुरात्मा आई थी, जिसकी वजह से यह जगह अभी भी दुर्गंध से भरी है। यह दुष्टात्मा बात ऐसे करती है जैसे विश्व की मालिक है। पूर्व अमेरिकी विदेश सचिव कोंडोलिसा राईस और इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर उनकी भद्दी टिप्पणियों के निशाने पर रहे। पूंजीवाद के कट्टर विरोधी ने एक बार यहाँ तक कह दिया कि मंगल ग्रह पहले आबाद था किंतु बाद में शायद वहां पूँजीवाद और साम्राज्यवाद फैला इसलिए उस ग्रह की सभ्यता नष्ट हो गई।

इस तरह के अनोखे विचार वाला यह शख्स दुनिया में हँसी का पात्र बना, वहीं वेनेजुएला की जनता में काफी लोकप्रिय। उनकी बीमारी पर जगह-जगह प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं, उनके स्वास्थ्य के सुधार की कामना के लिए। उन्होंने लोगों से कहा था- ईसा-मसीह ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि अभी तुम्हें जिंदा रहना है यह मरने का समय नहीं है। उनकी लोकप्रियता का कारण गरीबों के लिए किए गए विभिन्न कार्य। इसलिए गरीब जनता उनके साथ है।

ऐसे नेता समाजवाद के नाम पर गरीबों के लिए सरकारी खज़ाना तो खोल देते हैं पर मुफ्त सुविधाएँ गरीबों को निकम्मा बनाती हैं और काम करके पैसा कमाने वाले को कुंठित, यही कारण है कि वेनेजुएला की मुद्रास्फीति की दर 25 प्रतिशत से ऊपर है, जो दक्षिण अमेरिका में सर्वाधिक है। इस माह वेनेज़ुएला ने अपनी मुद्रा का बत्तीस प्रतिशत अवमूल्यन भी किया जो उसके सरकारी खजाने की बदहाली को दर्शाता है।

अब चावेज़ की मौत के बाद वेनेज़ुएला में आर्थिक संकट के कारण अराजकता की स्थिति पैदा होने की संभावना है क्योंकि चावेज़ शासन ने विपक्ष को तो पंगु कर ही रखा है और कोई उत्तराधिकारी को भी तैयार नहीं किया। निरंकुश शासकों का होना तो एक अभिशाप है ही परन्तु उनके जाने के बाद भी कई वर्षों तक राष्ट्र उनकी करतूतों की सजा भुगतता रहता है।
( यह आलेख चावेज़ की मौत से तीन दिन पहले ही ‍लिखा गया था, मामूली सुधार के बाद जस का तस प्रस्तुत किया जा रहा है)

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