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स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है के प्रणेता बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि, जानें जीवन परिचय और 5 अनसुनी बातें

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 (09:55 IST)
Bal Gangadhar Tilak: आज, 1 अगस्त 2025, हम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी, राष्ट्रवाद के जनक और 'लोकमान्य' के नाम से प्रसिद्ध बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि मना रहे हैं। उनका निधन 1 अगस्त 1920 को मुंबई में हुआ था। तिलक सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि एक प्रखर विचारक, शिक्षक, गणितज्ञ, पत्रकार और समाज सुधारक भी थे। उनका नारा 'स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा!' हैं, जो आज भी करोड़ों भारतीयों को प्रेरित करता है।
 
बाल गंगाधर तिलक: एक संक्षिप्त जीवन परिचय: 
• जन्म: 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में।
• पूरा नाम: केशव गंगाधर तिलक।
• शिक्षा: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद 1877 में पुणे के डेक्कन कॉलेज से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की और बाद में कानून की पढ़ाई पूरी की।
• शिक्षक और समाज सुधारक: तिलक एक बेहतरीन शिक्षक थे। उन्होंने 1884 में अपने सहयोगियों के साथ 'डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी' की स्थापना की, जिसका उद्देश्य युवाओं को राष्ट्रवाद और आधुनिक शिक्षा देना था।
• पत्रकारिता: उन्होंने 'केसरी' (मराठी) और 'मराठा' (अंग्रेजी) नामक दो समाचार पत्र शुरू किए। इन पत्रों के माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना की और भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना जगाई।
• राजनीतिक जीवन: तिलक ने 1905 के बंग-भंग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे। उन्होंने एनी बेसेंट के साथ मिलकर 'होम रूल लीग' की स्थापना भी की।
• मृत्यु: 1 अगस्त 1920 को 64 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
 
लोकमान्य तिलक से जुड़ी 5 अनसुनी बातें:
 
1. गणितज्ञ और संस्कृत विद्वान: बहुत कम लोग जानते हैं कि तिलक एक कुशल गणितज्ञ थे। उन्होंने बी.ए. की पढ़ाई गणित विषय से की थी। इसके अलावा, वह संस्कृत के भी प्रकांड पंडित थे।
 
2. जेल में लिखीं पुस्तकें: मांडले जेल (बर्मा) में 6 साल के कारावास के दौरान उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'गीता रहस्य' की रचना की। इस पुस्तक में उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के कर्मयोग दर्शन को सरल शब्दों में समझाया।
 
3. सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत: तिलक ने 1893 में पुणे में गणेश उत्सव को एक सार्वजनिक त्योहार के रूप में मनाना शुरू किया। इसका उद्देश्य लोगों को एक मंच पर लाकर राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत करना था, जो उस समय ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुट होने का एक शक्तिशाली तरीका था।
 
4. शिवाजी जयंती का आयोजन: गणेश उत्सव की तरह ही उन्होंने शिवाजी जयंती को भी एक सार्वजनिक त्योहार के रूप में मनाना शुरू किया। इसका मकसद मराठा साम्राज्य की गौरवशाली विरासत को याद करना और युवाओं में देशभक्ति की भावना भरना था।
 
5. गांधी जी ने कहा 'आधुनिक भारत का निर्माता': महात्मा गांधी ने तिलक को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें 'आधुनिक भारत का निर्माता' और 'भारतीय क्रांति का जनक' कहा था। इससे यह पता चलता है कि गांधी जी भी उनके विचारों और योगदान का बहुत सम्मान करते थे।
 
बाल गंगाधर तिलक ने अपनी क्रांतिकारी सोच और निर्भीक पत्रकारिता से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल दी। उनका जीवन आज भी हमें राष्ट्र के प्रति समर्पण और निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा देता है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: फ्रेंडशिप डे पर रूठे यारों को इस शायराना अंदाज में मनाएं, सिर्फ दो मिनट में रिश्तों में फिर से आएगी मिठास

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