Indira Gandhi Death Anniversary: भारत की आयरन लेडी इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर विशेष

WD Feature Desk
बुधवार, 30 अक्टूबर 2024 (13:42 IST)
Indira Gandhi : हर साल 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। इंदिरा गांधी एक अजीम शख्यियत थीं तथा उनके भीतर गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी। उन्हें भारत की आयरन लेडी भी कहा जाता है। आइए यहां जानते हैं इंदिरा जी के बचपन से लेकर उनके शहादत तक का सफर। जानें रोचक जानकारी... बारे में- 
 
Highlights 
इंदिरा गांधी का जीवन परिचय : स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुत्री इंदिरा प्रियदर्शिनी का जन्म इलाहाबाद में 19 नवंबर 1917 को हुआ था। पंडित जवाहरलाल नेहरू को शिक्षा का बहुत महत्व था। अत: इसी कारण उन्होंने अपनी पुत्री इंदिरा जी की प्राथमिक शिक्षा का प्रबंध घर पर ही किया।
 
इंदिरा जी को बचपन से ही पत्र-पत्रिकाएं तथा पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था, जो स्कूल के दिनों में भी जारी रहा। इसका फायदा उन्हें यह मिला कि उनके सामान्य ज्ञान की जानकारी सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि उन्हें देश-दुनिया का भी काफी ज्ञान हो गया और वह अभिव्यक्ति की कला में निपुण हो गईं। वे अंग्रेजी के अतिरिक्त अन्य विषयों में वह कोई विशेष दक्षता नहीं प्राप्त कर सकीं, लेकिन अंग्रेजी भाषा पर उन्हें बहुत अच्छी पकड़ थी। इसकी वजह थी पिता पंडित नेहरू द्वारा अंग्रेजी में लिखे गए लंबे-लंबे पत्र। 
 
इंदिरा गाधी का विद्यालय में हमेशा औसत दर्जे की विद्यार्थी रहीं तथा स्कूल में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता में उनका कोई सानी नहीं था। उन्होंने  स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपनी वानर सेना बनाई और सेनानियों के साथ काम किया। 1934-35 में स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात इंदिरा जी ने रवीन्द्रनाथ टैगोर के शांतिनिकेतन में बनाए गए 'विश्व-भारती विश्वविद्यालय' में प्रवेश लिया। इसके बाद 1937 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। जब वे लंदन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ रही थीं तो वहां आजादी समर्थक ‘इंडिया लीग’ की सदस्य बनीं।
 
इंदिरा जी को थी राजनीति की पकड़ : एक अजीम शख्यियत वाली भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भीतर गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी।इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी और ऐसे में सियासी उतार-चढ़ाव को वे बखूबी समझती थीं। यही वजह रही कि उनके सामने न सिर्फ देश, बल्कि विदेश के नेता भी उन्नीस नजर आने लगते थे। जनता की नब्ज समझने की उनमें विलक्षण क्षमता थी। भारत लौटने पर उनका विवाह फिरोज गांधी से हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री रही इंदिरा जी ने वर्ष 1959 में ही उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। नेहरू के निधन के बाद जब लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने तो इंदिरा ने उनके अनुरोध पर चुनाव लड़ा और सूचना तथा प्रसारण मंत्री बनीं। इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व में निडरता थी। 
 
उड़ीसा में एक जनसभा में गांधी पर भीड़ ने पथराव किया। एक पत्थर उनकी नाक पर लगा और खून बहने लगा। इस घटना के बावजूद इंदिरा गांधी का हौसला कम नहीं हुआ। वे वापस दिल्ली आईं। नाक का उपचार करवाया और तीन चार दिन बाद वे अपनी चोटिल नाक के साथ फिर चुनाव प्रचार के लिए उड़ीसा पहुंच गईं। उनके इस हौसलों के कारण कांग्रेस को उड़ीसा के चुनाव में काफी लाभ मिला। इंदिरा गांधी ने परिणामों की परवाह किए बिना कई बार ऐसे साहसी फैसले लिए, जिनका पूरे देश को लाभ मिला और उनके कुछ ऐसे भी निर्णय रहे जिनका उन्हें राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ा लेकिन उनके प्रशंसक और विरोधी, सभी यह मानते हैं कि वे कभी फैसले लेने में पीछे नहीं रहती थीं। 
 
कुछ फैसलों के कारण इंदिरा गांधी की हुई थी आलोचना : उन्हें इसके साथ ही आपातकाल की घोषणा, लोकनायक जयप्रकाश नारायण तथा प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल में डालना, ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसे कुछ निर्णयों के कारण उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। सन् 1973 का यह एक वाकया है, जब इंदिरा जी इलाहाबाद में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन में भाग लेने आईं थीं। उनकी सभा के दौरान विपक्षी नेताओं ने जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें काले झंडे दिखाए गए। लेकिन उस जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन से इंदिरा जी के चेहरे पर कोई शिकन नहीं आई। अपने संबोधन में विरोधियों को शांत करते हुए उन्होंने सबसे पहले कहा कि ‘मैं जानती हूं कि आप यहां इसलिए हैं क्योंकि जनता को कुछ तकलीफें हैं, लेकिन हमारी सरकार इस दिशा में काम कर रही है। इंदिरा जी खामियाजे की परवाह किए बगैर फैसले करती थीं। 
 
आपातकाल लगाने का काफी विरोध हुआ और उन्हें नुकसान उठाना पड़ा लेकिन चुनाव में वे फिर चुनकर आईं। ऐसा चमत्कार सिर्फ वे ही कर सकती थीं। इंदिरा की राजनीतिक छवि को आपातकाल की वजह से गहरा धक्का लगा। इसी का नतीजा रहा कि 1977 में देश की जनता ने उन्हें नकार दिया, हालांकि कुछ वर्षों बाद ही फिर से सत्ता में उनकी वापसी हुई। 
 
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु कैसे हुई थीं: लाल बहादुर शास्त्री के बाद प्रधानमंत्री बनीं इंदिरा को शुरू में 'गूंगी गुड़िया' की उपाधि दी गई थी, लेकिन 1966 से 1977 और 1980 से 1984 के दौरान प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा ने अपने साहसी फैसलों के कारण साबित कर दिया कि वे एक बुलंद शख्यिसत की मालिक हैं। उनके लिए 1980 का दशक खालिस्तानी आतंकवाद के रूप में बड़ी चुनौती लेकर आया। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद वे सिख अलगाववादियों के निशाने पर थीं।

तब भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर 1984 के दिन नई दिल्ली के सफदरजंग रोड स्थित उनके आवास पर उनके दो सिख अंगरक्षकों ने ही कर दी। कथित तौर पर यह कहा जाता है कि उसी वर्ष जून में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सिखों के अपमान और स्वर्ण मंदिर के अपमान का बदला लेने के लिए ही इंदिरा गांधी की हत्या की गई। जिसमें उनके दो अंगरक्षकों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उन पर नजदीक से 30 से अधिक गोलियां चलाईं। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

दीपावली पर बनाएं ये 5 खास मिठाइयां

हाथ जलने पर घबराएं नहीं, जानें तुरंत राहत के लिए ये आसान घरेलू उपाय

Healthcare Tips : दीपावली के दौरान अस्थमा मरीज कैसे रखें अपने स्वास्थ्य का ध्यान

दीपावली पर महिलाओं के लिए एनर्जी बूस्टिंग फूड्स : खाएं ये चीजें और रहें एनर्जेटिक

क्या आपको भी दिवाली की लाइट्स से होता है सिरदर्द! जानें मेंटल स्ट्रेस से बचने के तरीके

सभी देखें

नवीनतम

भाई दूज पर देखिये भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित ये हिंदी फ़िल्में, रिश्ते को मिलेगी और भावनात्मक गहराई

Sardar Patel: लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को

अभी तक नहीं बना पाएं हैं दीपावली की मिठाई? तो तुरंत ट्राई के ये लो कैलोरी मिठाइयों की रेसिपी

ये हैं आपके बेटे के लिए सुंदर और अर्थपूर्ण नाम, संस्कारी होने के साथ बहुत Unique हैं ये नाम

National Unity Day : 31 अक्टूबर को नेशनल यूनिटी डे, जानें 10 खास बातें

अगला लेख