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Lala Lajpat Rai: लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि पर जानें 10 अनसुने तथ्य

WD Feature Desk
सोमवार, 17 नवंबर 2025 (11:07 IST)
Lala Lajpat Rai: लाला लाजपत राय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता, समाज सुधारक और राष्ट्रवादी थे। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के ढुडिके गांव में हुआ था। लाला लाजपत राय को 'पंजाब केसरी' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी पुण्यतिथि 17 नवंबर को मनाई जाती है, क्योंकि 17 नवंबर 1928 को उनकी मृत्यु हुई थी, जब उन्हें लाठी चार्ज में गंभीर चोटें आईं थीं। लाला लाजपत राय का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार आंदोलनों में बहुत महत्वपूर्ण था। 
 
यहां लाला लाजपत राय के बारे में कुछ 10 अनसुने तथ्य दिए जा रहे हैं, जो लाला लाजपत राय के बारे में कम ही लोग जानते हैं:
 
1. 'पंजाब केसरी' नाम का रहस्य: उन्हें 'पंजाब केसरी' (पंजाब का शेर) का नाम किसी समाचार पत्र या उपाधि से पहले ही मिल गया था। यह नाम उन्हें उनकी गरजती हुई वाक्पटुता, निडरता और ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़े होने के साहस के कारण जनता ने दिया था।
 
2. भारत का 'पहला' स्वदेशी बैंक: लाला लाजपत राय ने केवल एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं थे, बल्कि वह एक दूरदर्शी अर्थशास्त्री भी थे। वह पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के संस्थापकों में से एक थे, जिसे भारत में पूर्ण रूप से भारतीय पूंजी के साथ शुरू किया गया पहला स्वदेशी बैंक माना जाता है।
 
3. बीमा कंपनी के संस्थापक: PNB के अलावा, उन्होंने एक और महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थान लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसने देश के आर्थिक स्वावलंबन को बढ़ावा दिया।
 
4. लेखक के रूप में: लाला लाजपत राय ने अपनी लेखनी के माध्यम से भी राष्ट्रवाद की अलख जगाई। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में 'यंग इंडिया' (Young India), 'अनहैप्पी इंडिया' (Unhappy India), और कई महान हस्तियों की जीवनियां शामिल हैं।
 
5. अमेरिका में 'होम रूल लीग': वह 1914 से 1920 तक विदेश में रहे। उन्होंने 1917 में न्यूयॉर्क में 'इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका' की स्थापना की। इसका उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का समर्थन जुटाना था।
 
6. आर्य समाज के समर्थक: वह स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों से बहुत प्रभावित थे और आर्य समाज आंदोलन के प्रबल समर्थक तथा सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने पंजाब में आर्य समाज को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और दयानंद एंग्लो-वैदिक (DAV) कॉलेज की स्थापना में मदद की।
 
7. अकाल और भूकंप में सेवा: राजनीतिक संघर्षों के अलावा, लालाजी ने 1896, 1899, 1900, 1907 और 1908 के अकाल के दौरान, तथा 1905 में कांगड़ा में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान, पीड़ितों की मदद के लिए अथक प्रयास किए।
 
8. असहयोग आंदोलन पर मतभेद: महात्मा गांधी द्वारा 1922 में चौरी-चौरा की घटना के बाद असहयोग आंदोलन वापस लेने के फैसले से वह असहमत थे। इसके बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक दिशा बदली और कांग्रेस इंडिपेंडेंस पार्टी की स्थापना की।
 
9. अंतिम शब्द: उन पर हुए लाठीचार्ज के कारण 17 नवंबर 1928 को उनकी मृत्यु हुई थी। लाठीचार्ज के बाद उन्होंने जो प्रसिद्ध वाक्य कहा था, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत है: 'मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।'
 
10. लाठीचार्ज का बदला: 30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन के विरोध के दौरान पुलिस अधीक्षक जेम्स ए. स्कॉट के आदेश पर उन पर जानलेवा लाठीचार्ज किया गया। उनकी मृत्यु (17 नवंबर 1928) का बदला लेने के लिए ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने स्कॉट को मारने की योजना बनाई थी, लेकिन गलती से सांडर्स मारा गया, जिसके कारण इन क्रांतिकारियों को फांसी हुई।
 
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