दिल्ली चुनाव 2015 : क्या भाजपा कर पाएगी करिश्मा?

Webdunia
गुरुवार, 5 फ़रवरी 2015 (11:30 IST)
दिल्ली के चुनाव फिर एक बार ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि जहां कहना मुश्किल है कि दिल्ली के दिल में क्या है? राजधानी के मतदाता क्या चाहते हैं? क्या इस बार भी आप जीत हासिल कर लेगी? या फिर अंतिम परिणाम भाजपा के ही पक्ष में जाएगा? हालांकि इस समय जो मतदाता सर्वेक्षण आ रहे हैं, उनके अनुसार मुकाबला बहुत ही कडा है, इसलिए स्पष्ट रूप से कहा नहीं जा सकता है कि विजेता कौन होगा? हाल के सप्ताहों में विभिन्न जनमत सर्वेक्षणों में कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी (आप) निर्णायक रूप से बढ़त बनाने में कामयाब हो गई है, पर क्या ऐसा माना जा सकता है कि अंतिम क्षणों में भाजपा कोई करिश्‍मा कर दिखाने में कामयाब होगी?

पांच फरवरी (गुरुवार) को प्रचार कार्य पर विराम लग जाएगा। दस फरवरी को परिणाम सामने आएंगे लेकिन क्या मतदान के दिन (सात फरवरी) या इससे पहले एक्जिट पोल्स हमें यह बताने में सफल होंगे कि हवा किस ओर बह रही है? राजनीतिक पंडितों को कांग्रेस में कोई दिलचस्पी नहीं है और कहा जा रहा है कि कांग्रेस की हालत बद से बदतर होने जा रही है। आठ सीटें तो इसे पिछले चुनावों में मिली थीं, लेकिन इस बार पार्टी कितनी सीटें जीत सकती है? यहां तक कहा जा रहा है कि कांग्रेस को शून्य से लेकर 3 सीटें तक मिल सकती हैं। लेकिन जीत का सेहरा किसके सिर पर बंधेगा, इसको लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं है।  

चुनाव परिणाम का अंदाजा लगाने वाले भी किसी स्पष्ट और साफ नतीजे तक नहीं पहुंच सके हैं। इस मामले में एक सवाल बहुत ही सामयिक होगा कि क्या भाजपा प्रमुख अमित शाह अंतिम क्षणों में निर्णायक बढ़त बनाने में कामयाब हो सकते हैं। सीटों का अनुमान और वोट शेयर को लेकर अनुमान लगाए गए हैं। छ: बड़े जनमत संग्रह करने वालों और दो नए जानकारों ने जो अनुमान लगाए हैं, उनमें से तीन का मानना है कि आप की जीत पक्की है, चार भाजपा के पक्ष में रहे और एक का निष्कर्ष था कि दोनों दलों को ही 31 से लेकर 36 तक सीटें मिल सकती हैं।     

सिसरो ने आप को 38 से 46 तक सीटों की भविष्यवाणी की है, वहीं टीएनएस का कहना है कि आप को 36 से 40 सीटें मिलने जा रही हैं। नील्सन ने आप को 35 सीटें दी हैं तो एचटी-सी फोर ने दोनों को ही 31 से 36 सीटें देने की भविष्यवाणी की थी। इसका अर्थ यह हुआ कि कोई भी पार्टी जीत सकती है या मुकाबले के ड्रॉ होने की भी नौबत आ सकती है। फाइवफोर्टीथ्री भाजपा को 40 सीटें दे रही है, सीवोटर 37 सीटें दे रही है तो आईएमआरबी और डाटा माइनेरिया, दोनों ही, 36 सीटें दे रही हैं। 36 वह संख्या है जोकि किसी भी पार्टी के बहुमत में होने की घोषणा कर सकती है।  
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सभी जनमत संग्रहों में यह बात कही गई है कि दिसंबर और जनवरी अंत तक भाजपा की पकड़ ढीली हुई है और इस दौरान आप ने अपनी‍ स्थि‍त‍ि मजबूत की है। पर फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता है कि पिछले एक सप्ताह से अधिक समय के दौरान अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की हाई प्रेशर प्रचार को कामयाबी मिलेगी? राजधानी में अंतिम क्षणों में संघ परिवार के कार्यकर्ता भी सक्रिय हुए हैं लेकिन क्या इससे आप की बढ़त पर अंकुश लगाया जा सकेगा? क्या इस बार भी भाजपा सबसे बड़ी अकेली पार्टी के तौर पर उभर सकती है। भाजपा की जीत को भी तब तक सुनिश्चित नहीं माना जा सकता है।   

अब अगर एक्जिट पोल्स से ही कोई सही तस्वीर उभरती है तो यह भी सात फरवरी से पहले संभव नहीं है क्योंकि पोल्स भी मतदान के बाद ही ‍‍क‍िए जा सकते हैं। क्या भरोसा कि एक्जिट पोल्स भी गलत साबित हों। फिलहाल अंतिम क्षणों में होने वाले परिवर्तनों का दौर चल रहा है और कोई नहीं जानता है कि अंतिम क्षणों में मतदाता किस तरह की प्रतिक्रिया देगा? अभी भी आप के फंडिंग घोटाले को लेकर बात चल रही है तो इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि अमित शाह किस तरह बूथ स्तर का प्रबंधन करते हैं? इसलिए अभी कोई नहीं जान सकता है कि ईवीएम का बटन दबाने से पहले दिल्ली का मतदाता क्या तय करेगा?
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