दिल्ली चुनाव : अरविंद केजरीवाल की खास पांच बातें

Webdunia
गुरुवार, 5 फ़रवरी 2015 (15:12 IST)
अन्ना आंदोलन के बाद 2013 में पहली बार चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी ने दिल्ली चुनाव में अप्रत्याशित सफलता हासिल करने के बाद सबको आवाक् कर दिया था। केजरीवाल के नेतृत्व में 49 दिन की सरकार चलाने वाली आम आदमी पार्टी ने अपने काम करने के तरीके से लोगों को दिल जीत लिया।

दिल्ली चुनाव एक बार फिर से करीब है, राजनीतिक गलियारों में केजरीवाल के नाम को लेकर खूब सुगबुगाहट देखने को मिल रही है। आइए आपको रूबरू कराते हैं आपको केजरीवाल की विशेषताओं से।      
          
1. ईमानदार छवि :  अन्ना के आंदोलन के बाद से राजनीति में कदम रखने वाले अरविंद केजरीवाल एक सनसनी  के रूप में भारतीय राजनीति में उभरे। दिल्ली चुनाव 2013 में आम आदमी पार्टी के इस नेता में जनता को आम  आ‍दमी झलक नजर आती है। केजरीवाल की इसी सादगी ने 2013 के चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक  पहुंचा दिया।
 
2. आम आदमी के करीब :  दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी 49 दिन की सरकार के दौरान आम आदमी  के बहुत करीब नजर आए। अन्य राजनीतिज्ञों से दीगर उन्होंने आम आदमी के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनने  की कोशिश की।  
 
3. रणनीति बनाने में दक्षता : केजरीवाल ने अपनी पार्टी में गजब का सामंजस्य बना रखा है। केजरीवाल पार्टी के हर व्यक्ति की खूबी से अच्छी तरह से वाकिफ हैं और हर व्यक्ति की खूबी के आधार पर ही वे काम सौंपते हैं।

आप पार्टी की पूरी दिल्ली में तूती बोल रही है, और उनकी कैंपेनिंग में ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो रहे हैं इस सबसे पीछे केजरीवाल का ही दिमाग काम कर रहा है। बीजेपी के बाद अगर किसी पार्टी ने सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया है तो वह आप है। सोशल मीडिया का कैसे इस्तेमाल करना है किस आधार पर इस्तेमाल करना है यह सब केजरीवाल की रणनीति का प्रतिबिम्ब है।       
 
4. वाककला में निपुण :  केजरीवाल एक ऐसे व्यक्ति हैं जो कई क्षेत्रों से अनुभव लेकर राजनीति में आए हैं।  प्रशासनिक अधिकारी रहने के बाद, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में केजरीवाल कई सालों तक सक्रिय रहे। केजरीवाल  के पास लोगों के हर सवाल का जवाब रहता है। केजरीवाल का आम आदमी का अंदाज भी लोगों को बहुत पसंद  आता है। 
 
5. धरना- आंदोलन की पृष्ठभूमि : अरविंद केजरीवाल एकाएक अन्ना के आंदोलन बाद भारतीय राजनीति में कूदे।  केजरीवाल ने राजनीति में प्रवेश भारतीय राजनीति को साफ करने को लेकर किया था। दिल्ली चुनाव में भी इसकी  परछाईं कहीं न कहीं देखने को मिल रही है।
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