भाजपा ने दिल्ली चुनाव के लिए बनाई रणनीति, 30 सीटों पर क्यों किया फोकस
दलितों के प्रभाव वाले निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद
वर्ष 2015 और 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 12 निर्वाचन क्षेत्रों में से 1 भी सीट नहीं जीत पाई थी। पिछले चुनावों में भी भाजपा कभी भी इनमें से 2-3 सीटों से अधिक नहीं जीत पाई। दिल्ली भाजपा नेताओं के अनुसार दिल्ली में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 12 निर्वाचन क्षेत्रों सहित 30 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें दलित समुदाय के मतदाता 17 से 45 प्रतिशत तक हैं।
भाजपा ने व्यापक संपर्क अभियान चलाया : पिछले कुछ महीनों में इन 30 निर्वाचन क्षेत्रों की झुग्गियों और अनधिकृत कॉलोनियों में अनुसूचित जाति कार्यकर्ताओं के माध्यम से व्यापक संपर्क अभियान चलाया गया। दिल्ली भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष मोहन लाल गिहारा ने कहा कि इन सभी 30 निर्वाचन क्षेत्रों में समुदाय के सदस्यों के बीच केंद्रित संपर्क के लिए अनुसूचित जाति के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को विस्तारक के रूप में नियुक्त किया गया था।
पार्टी नेताओं ने कहा कि मतदाताओं से संवाद करने और उन्हें मोदी सरकार द्वारा समुदाय के लिए किए गए कार्यों और आम आदमी पार्टी (आप) के 10 साल के शासन में विफलताओं के बारे में समझाने की पूरी कवायद में 18,000 से अधिक सक्रिय कार्यकर्ताओं का नेटवर्क शामिल था।
उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में भाजपा ने पार्टी के 55 बड़े दलित नेताओं को शामिल किया जिनमें उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में बैठकों के लगातार दौर आयोजित किए गए।
ALSO READ: दिल्ली सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने कहा- आपकी ईमानदारी पर संदेह
गिहारा ने कहा कि अब तक 15 ऐसे सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं और प्रत्येक में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता मौजूद रहे हैं। इन बड़ी बैठकों में समुदाय का बहुत समर्थन दिखाई दिया जिसमें प्रत्येक बैठक में दलित समुदाय के 1,500-2,500 आम सदस्यों ने भाग लिया। दिल्ली की 70 विधानसभा सीट के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा। 8 फरवरी को मतगणना के बाद नतीजे घोषित किए जाएंगे।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta