भंवर में फंसी दिल्ली 'सरकार', अब क्या होगा...

Webdunia
सोमवार, 9 दिसंबर 2013 (16:02 IST)
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नई दिल्ली। चुनाव परिणामों में खंडित जनादेश आने के एक दिन बाद दिल्ली में सरकार के गठन को लेकर आज भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है क्योंकि सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भाजपा और दूसरे स्थान पर रही ‘आप’ ने सरकार बनाने का दावा करने से इनकार किया है। उनका कहना है कि उनके पास स्थिर सरकार देने के लिए बहुमत नहीं है।

आप के मुखिया अरविन्द केजरीवाल के निवास पर यहां हुई शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद पार्टी ने कहा कि वह सरकार बनाने के लिए दावा नहीं करेगी और एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी।

आप नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि यदि उपराज्यपाल नजीब जंग पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं तो वह बहुमत के अभाव के चलते इस पेशकश से इनकार कर देगी।

यादव ने कहा कि हम सरकार बनाने नहीं जा रहे। हम विपक्ष में बैठेंगे और रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। संविधान के अनुसार सरकार बनाने की जिम्मेदारी सबसे बड़े दल के रूप में उभरने वाली पार्टी की होती है।

उन्होंने कहा कि हमारे पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है। यह अजीब स्थिति है कि सबसे बड़ी पार्टी दूसरे नंबर पर आने वाली पार्टी से सरकार बनाने के लिए कह रही है। भाजपा ने भी सरकार बनाने का दावा करने से इनकार किया है और कहा है कि उसके पास स्थिर सरकार देने के लिए बहुमत नहीं है।

क्यों नहीं सरकार बनाने चाहते हर्षवर्धन... पढ़ें अगले पेज पर....


मुख्यमंत्री पद के भाजपा उम्मीदवार हषर्वर्धन ने रविवार रात कहा था कि वह सरकार बनाने का दावा नहीं करेंगे क्योंकि उनकी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है और किसी ‘खरीद-फरोख्त’ के बजाय वे विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।

उन्होंने कहा था कि क्योंकि मेरे पास पर्याप्त संख्या नहीं है, इसलिए मैं दिल्ली में सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकता। क्योंकि मेरे पास 36 का जादुई आंकड़ा नहीं है, इसलिए मैं दिल्ली में सरकार के गठन का हिस्सा नहीं हो सकता।

भाजपा ने अपने सहयोगी अकाली दल की एक सीट के साथ कुल 32 सीटें हासिल की हैं और 36 के जादुई आंकड़े पर पहुंचने के लिए उसे कम से कम चार और विधायकों का समर्थन चाहिए। आप ने 28 सीटें हासिल की हैं, जबकि कांग्रेस को केवल आठ सीटें मिली हैं। जनता दल यू ने एक सीट जीती है तथा मुंडका सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुआ है।

तो फिर क्या करेगी भाजपा... पढ़ें अगले पेज पर...


हषर्वर्धन ने कहा था, ‘मैं नि:स्वार्थ भाव से सोचता हूं, मैं विपक्ष में बैठने को प्राथमिकता देता हूं, मैं लोगों के लिए किसी के भी द्वारा बनाई जाने वाली सरकार की मदद करूंगा। उनके सुर में सुर मिलाते हुए दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि उनकी पार्टी बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए कोई अनुचित रास्ता अख्तियार नहीं करेगी और विपक्ष में बैठने को प्राथमिकता देगी।

गोयल ने कहा कि हम विधायकों की आवश्यक संख्या तक पहुंचने के लिए कोई अनुचित रास्ता नहीं अपनाएंगे। दिल्ली के लोगों ने फैसला दिया है और हम इसका सम्मान करते हैं। हम खरीद-फरोख्त के जरिए सरकार बनाने के बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे। उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि जंग स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।

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दूसरी ओर आप के योगेन्द्र यादव ने कहा कि आप सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी का समर्थन नहीं देगी और वह नए सिरे से चुनाव कराए जाने को प्राथमिकता देगी।

विशेषज्ञों ने कहा कि उप राज्यपाल भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं क्योंकि यह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। यदि भाजपा कांग्रेस के विधायकों पर डोरे डालना चाहेगी तो उसे दल बदल कानून के प्रावधानों से बचने के लिए कांग्रेस के आठ विधायकों में से कम से कम छह को अपने पाले में लाना होगा।

मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर आप नेता मनीष सिसौदिया ने कहा कि आज की बैठक में विधानसभा चुनाव के परिणामों पर चर्चा की गई और महसूस किया गया कि दिल्ली के लोगों ने पार्टी को विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है।

क्या चाहती हैं किरण बेदी... पढ़ें अगले पेज पर...


उन्होंने कहा कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, यदि वे चाहते हैं तो सरकार बना सकते हैं, लेकिन हम विपक्ष में बैठेंगे। सिसौदिया ने कहा कि खंडित जनादेश में दोबारा चुनाव कराया जाना ही एकमात्र विकल्प है। हम किसी को भी बाहर से समर्थन नहीं देंगे।

इस मुद्दे पर केजरीवाल की पूर्व सहयोगी किरण बेदी ने कहा कि स्थिर सरकार देने के लिए भाजपा और आप दोनों को हाथ मिलाना चाहिए क्योंकि सरकार न होना दिल्ली के लोगों के लिए उचित नहीं होगा।

उन्होंने ट्वीट किया कि स्थिर सरकार न मिलना तथा दोबारा चुनाव कराना दिल्ली के लोगों के लिए उचित नहीं है। अच्छी सरकार उपलब्ध कराना भाजपा और आप दोनों का दायित्व है।
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