ध्यान लगा रही अमेरिकी सेना

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गहरी सांस और लंबी अवधि तक शांत रहने का संबंध भारतीय योग या किसी आश्रम से हो सकता है, सामरिक तैयरी से नहीं। अमेरिकी सेना अब इस बात का अध्ययन कर रही है कि क्या मेडिटेशन, युद्ध के दौरान उसके सैनिकों के मानसिक प्रदर्शन को सुधारने के साथ ही उनके संपूर्ण स्वास्थ्य सुधार में मददगार हो सकता है।

आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक अमेरिकी मरीन स्टाफ सार्जेंट नाथन हैंपटन ने 'द वॉशिंगटन टाइम्स' से कहा- ढेर सारे लोग सोचते हैं कि यह समय बर्बादी होगी। हम किसी कक्षा में बैठकर मेडिटेशन क्यों करें?

‍ पिछले साल विदेश में अपनी तैनाती की तैयारी करने के दौरान हैंपटन ने तथाकथित 'माइंड फुलनेस आधारित माइंड फिटनेस ट्रेनिंग' की प्रभावकता पर एक सैन्य अध्ययन में हिस्सा लिया।

हैंपटन ने कहा कि शुरू में उन्हें इस कार्यक्रम पर संदेश था, लेकिन आगे चलकर उन्होंने बेहतर महसूस किया। उन्होंने कहा- शारीरिक तौर पर मैंने महसूस किया कि मैं पूरे समय तनावमुक्त था। यह आपको तनावपूर्ण स्थिति में अधिक स्पष्ट रूप से सोचने में मदद करता है। यह कार्यक्रम अमेरिकी सेना के एक पूर्व कप्तान और मौजूदा समय में जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एलिजाबेध स्टेनली ने तैयार किया था।
-( एजेंसी)
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