कुंडलिनी जागती है तब क्या होता है?

ध्यान के चमत्कारिक अनुभव-3

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
कुंडलिनी का नाम बहुत सुना है और अब तो बहुत से लोग कहने लगे हैं कि मेरी कुंडलिनी जाग्रत है, लेकिन क्या यह सच है? यह सवाल उन्हें खुद से करना चाहिए। सच मानों तो कुंडलिनी जिसकी भी जाग्रत हो जाती है उसका संसार में रहना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि यह सामान्य घटना नहीं है।
 
संयम और सम्यक नियमों का पालन करते हुए लगातार ध्यान करने से धीरे धीरे कुंडलिनी जाग्रत होने लगती है और जब यह जाग्रत हो जाती है तो व्यक्ति पहले जैसा नहीं रह जाता। वह दिव्य पुरुष बन जाता है।
 
कुंडलिनी एक दिव्य शक्ति है जो सर्प की तरह साढ़े तीन फेरे लेकर शरीर के सबसे नीचे के चक्र मूलाधार में स्थित है। जब तक यह इस प्रकार नीचे रहती है तब तक व्यक्ति सांसारिक विषयों की ओर भागता रहता है। परन्तु जब यह जाग्रत होती है तो ऐसा प्रतीत होने लगता है कि कोई सर्पिलाकार तरंग है जो घूमती हुई ऊपर उठ रही है। यह बड़ा ही दिव्य अनुभव होता है। 
 
हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं। कुंडलिनी का एक छोर मूलाधार चक्र पर है और दूसरा छोर रीढ़ की हड्डी के चारों तरफ लिपटा हुआ जब ऊपर की ओर गति करता है तो उसका उद्देश्य सातवें चक्र सहस्रार तक पहुंचना होता है, लेकिन यदि व्यक्ति संयम और ध्यान छोड़ देता है तो यह छोर गति करता हुआ किसी भी चक्र पर रुक सकता है।
 
जब कुंडलिनी जाग्रत होने लगती है तो पहले व्यक्ति को उसके मूलाधार चक्र में स्पंदन का अनुभव होने लगता है। फिर वह कुंडलिनी तेजी से ऊपर उठती है और किसी एक चक्र पर जाकर रुकती है उसके बाद फिर ऊपर उठने लग जाती है। जिस चक्र पर जाकर वह रुकती है उसको व उससे नीचे के चक्रों में स्थित नकारात्मक उर्जा को हमेशा के लिए नष्ट कर चक्र को स्वस्थ और स्वच्छ कर देती है।
 
कुंडलिनी के जाग्रत होने पर व्यक्ति सांसारिक विषय भोगों से दूर हो जाता है और उसका रूझान आध्यात्म व रहस्य की ओर हो जाता है। कुंडलिनी जागरण से शारीरिक और मानसिक ऊर्जा बढ़ जाती है और व्यक्ति खुद में शक्ति और सिद्धि का अनुभव करने लगता है।
 
कुंडलिनी जागरण के प्रारंभिक अनुभव : जब कुंडलिनी जाग्रत होने लगती है तो व्यक्ति को देवी-देवताओं के दर्शन होने लगती हैं। ॐ या हूं हूं की गर्जना सुनाई देने लगती है। आंखों के सामने पहले काला, फिर पील और बाद में नीला रंग दिखाई देना लगता है।
 
उसे अपना शरीर हवा के गुब्बारे की तरह हल्का लगने लगता है। वह गेंद की तरह एक ही स्थान पर अप-डाउन होने लगता है। उसके गर्दन का भाग ऊंचा उठने लगता है। उसे सिर में चोटी रखने के स्थान पर अर्थात सहस्रार चक्र पर चींटियां चलने जैसा अनुभव होता है और ऐसा लगता है कि मानो कुछ है जो ऊपर जाने की कोशिश कर रहा है। रीढ़ में कंपन होने लगता है। इस तरह के प्रारंभिक अनुभव होते हैं।
 
लेखक- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
Show comments

इन 4 कारणों से रात में आते हैं बुरे सपने, कहीं आप तो नहीं इन समस्याओं का शिकार

सुबह के नाश्ते में शामिल होने चाहिए ये 5 पोषक तत्व, दिनभर रहेंगे एनर्जेटिक

कोरियन ग्लास स्किन के लिए क्या लहसुन खाना फायदेमंद है? जानें ग्लास स्किन की सचाई

सुबह होता है चिड़चिड़ापन महसूस तो हो सकती है मॉर्निंग एंग्जायटी, जानिए इसके कारण

छाछ में मिलाकर पिएं चिया सीड्स, सेहत को मिलेंगे 5 जबरदस्त फायदे

02 अप्रैल: विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस, जानें इतिहास, लक्षण और 2024 की थीम

जन भावना को समझ कर काम करने से हो रहा विस्तार

Sheetala Mata ke Bhog : शीतला अष्टमी पर बनाएं ये खास 8 रेसिपीज

Kamal Kakdi Benefits: कमल ककड़ी खाने के 7 बेहतरीन फायदे जानें

नहाने के पानी में बर्फ डालने से शरीर को मिलते हैं ये 10 फायदे

अगला लेख