दीपावली पूजन के शुभ मुहूर्त

नवांश को जानकर करें लक्ष्मी पूजन

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
ND
दीपावली पूजन मुहूर्त दीपदानादि के लिए कार्तिक अमावस्या में प्रदोष काल एवं अर्धरात्रि व्यापिनी, हो तो विशेष फलदायी माना गया है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या शुक्रवार 5 नवंबर को लक्ष्मीपूजन प्रदोष काल में स्थिर लग्न व सिंह नवांश, कुंभ नवांश या वृश्चिक नवांश में करने का विधान है।

इसमें सिंह व कुंभ नवांश का विशेष महत्व रहता है। इस समयावधि में पूजा-अर्चना करने से लक्ष्मी का स्थिरवास रहता है। समय इस प्रकार है-प्रदोषकाल शाम 5.51 से रात्रि में 8.31 तक है इस समयावधि में वृषभ लग्न शाम 6.23 से रात्रि 8.20 तक रहेगी इस बीच वृषभ लग्न सिंह नवांश 7.54 से 8.05 तक रहेगा। जो लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है।

इस बार अमावस्या दोपहर 1.03 मिनट से प्रारम्भ होगी जो लोग अपने प्रतिष्ठानों में सुबह लक्ष्मीपूजन करते हैं वे इस बार दोपहर 1.03 से 2.05 तक ही पूजन प्रारम्भ करें। इस समयावधि में शुभ का चौघडिया रहेगा व मकर लग्न सिंह नवांश 1.15 से 1.26 तक रहेगा। इस समय पूजन करना उत्तम रहेगा।

दीपावली के मंगल मुहूर्त
दिनांक 5 नवंबर 2010 शुक्रवार
शुभ चौघड़िया मुहूर्त

चर प्रातः 6.34-7.58
लाभ प्रातः 7.58-9.22
अमृत दिन 9.22-10.46
शुभ दिन 12.09-1.34
चर सायं 4.21-5.45
लाभ रात्रि 9.02-10.48
शुभ रात्रि 12.24-02.01

स्थिर लग्न मुहूर्त
वृश्चिक लग्न प्रातः 7.29-09.44
कुंभ लग्न दिन 1.37-03.11
वृषभ लग्न सायं 6.22-8.20
सिंह लग्न मध्यरात्रि 1.01-3.07 मि. तक।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

बृहस्पति वर्ष 2025 में अतिचारी होकर 3 बार करेंगे गोचर, वर्ष 2026 में मचाएंगे तबाही, भारत का क्या होगा?

पाकिस्तान में यहां शिव जी के आंसू से बना था अमृत कुंड, जानिए कटासराज शिव मंदिर का अद्भुत इतिहास

नौतपा 2025 : नवतपा के दौरान क्या करें और क्या न करें: जानें काम की बाते

क्यों चर्चा में है पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिन्दुओं का पवित्र शक्तिपीठ हिंगलाज माता मंदिर, जानिए पौराणिक महत्त्व

भविष्‍य मालिका की 6 भविष्‍यवाणियां हुईं सच, जगन्नाथ मंदिर को केंद्र में रखकर की गई हैं भविष्‍यवाणियां

सभी देखें

धर्म संसार

23 मई 2025 : आपका जन्मदिन

23 मई 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

तेलुगु हनुमान जयंती कब है, क्यों मनाई जाती है, जानें इसके बारे में सबकुछ

2025 में कब मनाई जाएगी अपरा एकादशी, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

अचला एकादशी व्रत से मिलते हैं ये 8 अद्भुत लाभ