भाई दूज या भैया दूज का त्योहार भाई और बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। ये पर्व भाई टीका, यम द्वितीया, भाई द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। इस खास दिन पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। जानते हैं इस साल भाई दूज कौन सी तिथि को मनाई जाएगी और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में।
भाई दूज की तिथि
भाई दूज तिलक का शुभ समय : 1 बजकर 10 मिनट 12 सेकंड से प्रारंभ होकर 03 बजकर 21 मिनट से 29 सेकंड तक रहेगा।
भाई दूज के शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:19 से दोपहर 12:04 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 01:32 से 02:17 तक।
अमृत काल मुहूर्त- दोपहर 02:26 से 03:51 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:03 से 05:27 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 05:14 से 06:32 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:08 तक।
भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है।
भाई दूज मनाने का तरीका
भाई दूज के अवसर पर बहनें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, सुपारी और मिठाई आदि रखकर भाई के लिए तिलक का थाल सजाती हैं। तिलक से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बना लें। शुभ मुहूर्त होने पर भाई को इस चौक पर बिठाएं और उनका तिलक करें। तिलक करने के बाद भाई को फूल, पान, बताशे, सुपारी और काले चने दें। इसके पश्चात् उनकी आरती उतारें। तिलक के बाद भाई अपने सामर्थ्य के अनुसार अपनी बहन को भेंट दे। आप भी अपने भाई को तिलक लगाने के बाद भोजन कराएं।
जानें यम की कथा
सूर्य के पुत्र यम और यमी भाई बहन थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे और इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा का आगाज हुआ। बहन यमुना के कई बार बुलाने पर एक दिन यमराज उनके घर गए। उनके आने पर यमुना ने स्वादिष्ट भोजन कराया और फिर तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। यमराज ने इसके बाद अपनी बहन यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा और यमुना ने उन्हें हर साल उसी दिन घर आने के लिए कहा ताकि वो इसी तरह उनका तिलक करें और उनकी खुशहाली की कामना कर सकें। यमुना की बात सुनकर यमराज बहुत खुश हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।