भाई दूज को क्यों कहते हैं यम द्वितीया, जानिए इस दिन क्या करें, क्या न करें

पं. हेमन्त रिछारिया
पौराणिक कथा अनुसार सूर्य पुत्री यमी अर्थात् यमुना ने अपने भाई यम को कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपने घर निमन्त्रित कर अपने हाथों से बना स्वादिष्ट भोजन कराया। जिससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन यमुना से एक वरदान मांगने को कहा।

तब यमुना ने अपने भाई यम से यही वरदान मांगा कि आज के दिन जो बहन अपने भाई को निमन्त्रण कर अपने घर बुलाएं, उन्हें भोजन कराएं और उनके माथे पर तिलक करें तो उन्हें आपका अर्थात् यम का भय ना हो। ऐसा कहने पर यमराज ने अपनी बहन को तथास्तु कहकर यह वरदान प्रदान किया। अत: आज के दिन जो भाई अपनी बहन के यहां भोजन करता है उन भाई-बहनों को यम का भय नहीं होता।
 
क्या करें-
 
भाईदूज के दिन बहनें अपने भाई को निमन्त्रित कर उन्हें अपने हाथों से बना स्वादिष्ट भोजन कराएं और तिलक करें। भोजन के उपरान्त अपने भाई को ताम्बूल (पान) भेंट करें। मान्यता है कि ताम्बूल भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।
 
क्या ना करें-
 
शास्त्रानुसार आज के दिन जो भाई अपने घर पर ही भोजन करता है उसे दोष लगता है। यदि बहन के घर जाना सम्भव ना हो सके तो किसी नदी के तट या गाय को अपनी बहिन मानकर उसके समीप भोजन करना श्रेयस्कर रहता है।
 
यमुना स्नान-
 
ऐसी मान्यता है कि यम द्वितीया के दिन जो भाई-बहन यमुना स्नान करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं होता एवं उन्हें यमलोक नहीं जाना पड़ता।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

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