2025 Diwali Puja Muhurat: दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन प्रदोष काल और स्थिर लग्न में करना सबसे शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि स्थिर लग्न में की गई पूजा से मां लक्ष्मी उसी स्थान पर स्थायी रूप से निवास करती हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि और स्थायित्व आता है। इसी कारण महालक्ष्मी पूजन स्थिर लग्न में करना अति उत्तम रहता है। इससे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। वृष, सिंह, वृश्चिक व कुम्भ स्थिर लग्न होती है। इस बार 20 अक्टूबर 2025, दिन सोमवार को दीपावली का पावन पर्व मनाया जा रहा है। इस वर्ष के स्थिर लग्न मुहूर्त निम्न है:-
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दीपावली पूजन मुहूर्त 2025:
स्थिर लग्नानुसार-
प्रात:काल- 08:23 से 10:39 तक (वृश्चिक लग्न)
अपरान्ह- 02:32 से 04:05 तक (कुम्भ लग्न)
सायंकाल- 07:17 से 09:16 तक (वृष लग्न)
चौघड़िया अनुसार-
अपरान्ह- 02:57 से 04:23 बजे तक (लाभ)
सायंकाल- 04:23 से 05:50 बजे तक (अमृत)
रात्रि- 10:30 बजे से 12:04 तक (लाभ)
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त-
अपरान्ह- 02:57 से 04:05 बजे तक
क्या करें-
स्नान- प्रातःकाल
देवपूजन- स्नान के उपरांत
पितर पूजन- दोपहर
ब्राह्मण भोजन- दोपहर
महालक्ष्मी पूजन- प्रदोषकाल में
दीपदान- प्रदोषकाल में
मशाल दर्शन- सायंकाल
दीपमाला प्रज्जवलन- सायंकाल
पूजन सामग्री- रोली, मौली, पान, सुपारी, अक्षत, धूप, घी का दीपक, तेल का दीपक, खील,बतासे, श्रीयंत्र, शंख (दक्षिणावर्ती हो तो अतिउत्तम), घंटी,चंदन, जलपात्र, कलश, लक्ष्मी-गणेश-सरस्वती जी का चित्र या विग्रह, पंचामृत, गंगाजल, सिंदूर, नैवेद्य, इत्र, जनेऊ, श्वेतार्क पुष्प, कमल का पुष्प, वस्त्र, कुंकुंम, पुष्पमाला, फल, कर्पूर, नारियल, इलायची, दूर्वा।
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बायीं ओर रखें-
जलपात्र, घंटी, धूप, तेल का दीपक।
दायीं ओर रखें-
घी का दीपक, जल से भरा शंख,
सामने रखें-
चंदन, रोली, पुष्प, अक्षत व नैवेद्य।
तत्पश्चात विधिवत् पूजन करें।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र