Dhanteras : धनतेरस का महत्व इन 5 बातों से जानिए

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। इस दिन घर के द्वार पर तेरह दीपक जलाकर रखे जाते हैं। यह त्योहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है। धनतेरस का महत्व इन 5 बातों से जानिए... 

1. इस दिन नए उपहार, सिक्के, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है। शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ 7 धान्यों की पूजा की जाती है। 7 धान्य गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर हैं। 7 धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रूप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है। इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिए नैवेद्य के रूप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है, साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है।
 
2. धन त्रयोदशी के दिन धन्वंतरि देव का जन्म हुआ था। धन्वंतरि देव, देवताओं के चिकित्सक हैं। यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बड़ी-बड़ी योजनाएं प्रारंभ की जाती हैं। धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ रहता है।
 
3. लक्ष्मीजी व गणेशजी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना घर-कार्यालय व व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढ़ाता है।
 
4. धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोषरूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है, सुखी है और वही सबसे धनवान है।
 
5. भगवान धन्वंतरि, जो चिकित्सा के देवता भी हैं, उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना की जाती है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी-गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।
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