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Dev Diwali 2025: देव दिवाली पर 5 जगहों पर करें दीपदान, देवता स्वयं करेंगे आपकी हर समस्या का समाधान

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025 (15:19 IST)
Dev diwali 2025 date deepadan: पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की पावन तिथि वह दिन है जब पृथ्वी पर स्वर्ग के देवता अवतरित होते हैं और एक भव्य उत्सव मनाते हैं। इसे ही हम देव दीपावली के नाम से जानते हैं- देवताओं की स्वयं की दिवाली। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने दुष्ट असुर त्रिपुरासुर का संहार किया था, और इस विजय की खुशी में समस्त देवी-देवताओं ने काशी के गंगा घाटों पर दीये जलाए थे। यह पर्व दान, स्नान और असंख्य दीपों को प्रज्वलित करने का महापर्व है। इस अलौकिक अवसर पर 5 जगहों पर दीपदान करने से देवाता होंगे अति प्रसन्न।
 
देव दीपावली 2025 कब है?: dev diwali 2025 date:
दिनांक: देव दीपावली 5 नवंबर 2025 बुधवार को रहेगी।
कार्तिक पूर्णिमा तिथि आरंभ: 4 नवंबर 2025, रात 10 बजकर 36 मिनट पर ।
कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 नवंबर 2025, शाम 06 बजकर 48 मिनट पर।
पूजा और दीपदान मुहूर्त: प्रदोष काल मुहूर्त (पूजा का शुभ समय) शाम 05 बजकर 15 मिनट से शाम 07 बजकर 50 मिनट तक।
 
दीपदान के महत्वपूर्ण 5 स्थान: 
1. पवित्र नदी या जलाशय: सबसे प्रमुख दीपदान गंगा नदी के तट पर या किसी अन्य पवित्र नदी, तालाब या जलाशय में किया जाता है। 5, 7, 11, 21, 51, या 101 दीयों को जल में प्रवाहित किया जाता है।
 
2. देव मंदिर: भगवान शिव (चूँकि इस दिन उन्होंने त्रिपुरासुर का वध किया था) और भगवान विष्णु के मंदिरों में दीपक जलाएँ। कुछ मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के समक्ष 8 या 12 मुख वाला दीपक जलाना विशेष कल्याणकारी होता है।
 
3. घर के महत्वपूर्ण स्थान: घर के मुख्य द्वार पर। पूजा स्थल या मंदिर में। आँगन और छत पर। तुलसी के पौधे के पास (एक दीपक)। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
 
4. पीपल वृक्ष के नीचे: पीपल के वृक्ष के नीचे भी दीपक जलाना ज्ञान और सौभाग्य के लिए अच्छा माना जाता है।
 
5. ब्राह्मण या गुरु का घर: विद्वान ब्राह्मण या अपने गुरु के घर दीपक जलाना भी पुण्यकारी होता है।
 
दीपदान का अक्षय पुण्य:- इस दिन किए गए दीपदान (दीपक जलाने) का पुण्य कभी समाप्त नहीं होता और माना जाता है कि इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। माना जाता है कि इस दिन दीये जलाना अति शुभ होता है, क्योंकि ये पूरे वर्ष की खुशहाली का प्रतीक होते हैं।  पद्मपुराण के उत्तरखंड में स्वयं महादेव कार्तिकेय को दीपावली, कार्तिक कृष्णपक्ष के पांच दिन में दीपदान का विशेष महत्व बताते हैं।

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