इस बार ऐसे मनाएँ दिवाली

दिखावे की भेंट चढ़ी दिवाली

गायत्री शर्मा
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वर्तमान के इस प्रतिस्पर्धी व भौतिकतावादी युग में जहाँ हर रिश्ता औपचारिकता की भेंट चढ़ गया है, वहीं हर त्योहार भी दिखावे की भेंट चढ़ गया है।

यही कारण है कि आज त्योहार परिवार की खुशियों व ईश्वर की आराधना के लिए कम बल्कि दिखावे व दूसरों से बेहतर बनने की तुलना में अधिक फिजूलखर्ची के साथ मनाए जाते हैं।

दिखावे की इस आँधी से दीपावली भी अछूती नहीं है। इस दिन भी लोग दिखावे के लिए तरह-तरह के कृत्य करते हैं। अगर आप सोचते हैं कि आप इस दिन ऐसा कुछ नहीं करते हैं तो नीचे दिए गए बिंदुओं को गौर से पढ़िए तथा अपना आँकलन स्वयं कीजिए -

1. दीपावली के दिन पटाखों का बढ़ता शोर जहाँ हमारी श्रवण शक्ति को प्रभावित करता है, वहीं यह राह चलते राहगीरों के लिए भी मौत का सामान भी बनता है। दीपावली व पटाखों का संबंध बहुत थोड़ा सा है परंतु हमने अपनी मौज-मस्ती के लिए पटाखों को ही दीपावली की पहचान बना दिया है, जोकि गलत है।

देर रात तक पटाखों के शोर से जहाँ रहवासियों को परेशानी होती है, वहीं इसका शोर छोटे बच्चों, मरीजों व वृद्धजनों के लिए बहुत अधिक परेशानी का कारण बनता है। पर्यावरण के लिए पटाखों की धमक व धुआँ दोनों ही नुकसानदेह होते हैं।

शोर को करें कम :
यदि दीपावली के दिन पटाखे जलाना ही आपकी अनिवार्यता है तो आप इस दिन केवल शगुन के तौर पर ही पटाखे जलाएँ न कि रातभर पटाखे जलाकर सबका नींद-चैन छीने। कानफोड़ू आवाज करने वाले पटाखों की जगह फुलझड़ियाँ, अनार आदि का उपयोग करें तो घर के छोटे बच्चे भी ज्यादा परेशान नहीं होंगे।

2. दीपावली के 5 दिनों में खरीददारी के लिए बाजार में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है और कंपनियाँ भी ग्राहकों को लुभावने ऑफर्स के जाल में फँसाकर उनकी जेब को पूरी तरह से खाली कर देती है। कुछ लोग तो अपने पड़ोसियों को जलाने के लिए यह सोचकर फिजूल की खरीददारी करते हैं कि 'मेरे पड़ोसी के पास तो बड़ा टीवी, फ्रिज व गाड़ी है किंतु मेरे पास ये नहीं है।' दूसरों से तुलना करने के चक्कर में अपनी चादर से लंबे पैर पसारने वाले ऐसे लोगों की संख्या एक-दो नहीं बल्कि बहुत अधिक होती है।

दूसरों से तुलना न करें :
द‍ीपावली का अर्थ फिजूलखर्ची नहीं है। यदि आपको वाकई में किसी सामान की जरूरत नहीं है तो घर में सामानों का अनावश्यक मेला लगाने से क्या फायदा? इस त्योहार के लिए वही सामान खरीदें, जो आपके घर में नहीं हो तथा जिसकी आपको सबसे अधिक जरूरत हो।

3. दीपावली खुशियों के आदान-प्रदान का त्योहार है न कि ऊँच-नीच व जात-पात के भेद को बढ़ाने का। आमतौर पर हम लोग केवल अपने घर के सदस्यों के बीच ही इस त्योहार को मनाकर त्योहार की औपचारिकताओं की पूर्णाहुति कर लेते हैं। यह त्योहार किसी एक का नहीं बल्कि हम सभी का त्योहार है इसका मजा ‍तो एकसाथ मिल-बैठकर मनाने में ही है।

खुशियों में सबको शामिल करें :
दीपावली को यदि आप उन बच्चों व वृद्धजनों के साथ मनाएँगे, जोकि अनाथ व निराश्रित है तो बेशक ही आपकी यह दीपावली आपके व उनके लिए एक यादगार दिन बन जाएगा तो क्यों न आप और हम खुशियों को बाँटें। आखिरकार खुशियाँ बाँटने पर ही तो बढ़ती हैं।

4. द‍ीपावली पर अगर सबसे ज्यादा फिजूलखर्ची होती है तो वो होती है कपड़ों की शॉपिंग में। इस दिन हम लोग सजते हैं लेकिन अगर वह सजावट हमारी खुशी के लिए हो तो ठीक है लेकिन यदि हम इस कारण कपड़ों की शॉपिंग में अनावश्यक धन खर्च करते हैं कि इस दिन लोग हमें देखकर यह कहें कि 'वाह क्या ड्रेस है, यह तुमने कहाँ से मँगवाई है।' अगर लोगों की इस कमेंट को सुनने के लिए ही आप महँगे से महँगे परिधान खरीदते हैं तो यह फिजूलखर्ची है न कि धन का सदुपयोग।

बजट का ध्यान रखें :
बाजार में जब भी आप कपड़े या अन्य वस्तुएँ खरीदने जाएँ, तब अपने बजट का विशेष तौर पर ध्यान रखें क्योंकि आपकी महँगी ड्रेस तो एक ही बार आएगी पर लोगों का कर्जा चुकाते-चुकाते आपके आने वाले कई महीनों का बजट गड़बड़ा जाएगा। आप चाहें तो अपने बजट से पैसे बचाकर उन बच्चों के लिए कपड़े खरीदें, जिनकों तन ढँकने को भी कपड़े नसीब नहीं हैं। यदि आप ऐसी दीपावली मनाते हैं तो आप वाकई में पैसे की अहमियत को समझने वाले समझदार व्यक्ति हैं।

5. दीपावली साजसज्जा का पर्व है। दीपावली के कुछ दिन पहले से ही हम अपने निवास स्थान व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई व रंग-रोगन कराते हैं। इसका फायदा यह है कि धूल-मिट्टी व कबाड़ के रूप में हमारे घर में जमी गंदगी बाहर निकाली जा सके। लेकिन कुछ लोग जरूरत न होने पर भी हर साल अपना घर व दुकान को रंगवाते हैं तथा व्यर्थ का डेकोरेशन का सामान अपने घर में जमा कर लेते हैं, जोकि ठीक नहीं है।

ये ठीक नहीं है :
साजसज्जा के लिए आप ऐसे सामान को खरीदने में फिजूलखर्ची न करें, जिसका इस दिन के बाद कोई उपयोग न हो जैसे कि आप यदि घर या दुकान सजाने के लिए ताजे फूलों की लड़ियों का प्रयोग करते हैं तो उसकी बजाय आर्टिफिशियल फूलों की लड़ियाँ खरीदें, जोकि बासी नहीं होती है तथा इसका आप अगले साल भी उपयोग कर सकते हैं। इसी तरह आप इस दिन के लिए कम वोल्ट के बल्ब खरीदकर अपने घरों में लगा सकते हैं ताकि बिजली की अधिक से अधिक बचत हो।

6. हर त्योहार का मजा परिवार के साथ एकत्र होकर मनाने में है न कि जुआ व शराब की लत में खोकर त्योहार का मजा किरकिरा करने में। कम से कम इस दिन तो हमें अपनी इन बुरी आदतों का परित्याग कर देना चाहिए ताकि हम अपने परिवार को अपने साथ हँसता-खेलता देख सकें न कि हमारे घर आने की चिंता में डूबा हुआ।

बुरी आदतों का त्याग करें :
यदि आप सचमुच अपनी शराब व जुए की लत को छोड़ना चाहते हैं तथा इस दीपावली को यादगार बनाना चाहते हैं तो आज ही प्रण लें कि आप दुर्व्यसनों से दूरियाँ बना लेंगे तथा अपने परिवार से नजदीकियाँ बढ़ा लेंगे। तो क्यों न आप और हम इस दीपावली को यादगार बनाएँ तथा परिवार व अपने आसपास के लोगों में खुशियाँ ही खुशियाँ बाँटें।

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