असाध्‍य नहीं सफेद दाग

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- डॉ. अनिल दशोरे

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पहले सफेद दाग को अभिशाप समझा जाता था। लड़की को हो तो उसकी शादी होना असंभव मान लिया जाता था। लोग कई तरह के अवैज्ञानिक इलाज भी करवाने से नहीं चूकते थे। अब इस बीमारी का सफल इलाज मौजूद है। बाबाओं और जादू-मंतर करने वालों से बचें। योग्य त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह लें और इलाज पूरी तरह करें।

सफेद दाग सामाजिक अभिशाप नहीं एक शारीरिक रोग व विकार है। सफेद दाग को कोढ़ मानने के भ्रम के कारण कई लोगों ने नारकीय जीवन व्यतीत किया है। हमारे समाज में गहरा रंग चल जाता है, पर हल्के रंग को शंका की नजरों से देखा जाता है। डर्मेटोलॉजी में सफेद दाग को ल्यूकोडर्मा, विटिलिगो, श्वेतचर्म या फूलबहरी रोग कहते हैं। इसकी मूल वजह मेलोनोसाइट्स की त्वचा में कमी है। इस रोग के तीन प्रमुख कारण हैं :

1. अनजान एंटीबॉडीज उत्पन्न (पैदावार) होना। 2. तंत्रिकाएँ (नर्वस) एक विषैला टॉक्सिन छोड़ने लगती हैं। 3. सेल्फ डिस्ट्रक्शन : जिसमें चमड़ी की सेल्स (कोशिकाएँ) स्वयमेव ही खत्म होने लगती हैं।

आमतौर सफेद दाग की समस्या

हाथ-पाँव, पलकों, कान या उसके पीछे, वक्ष और रगड़ वाली जगह, घुटने और एड़ी के पास होती है। लाक्षणिक दृष्टि से सफेद दाग को तीन भागों में बाँटा जा सकता है। संपूर्ण-अपूर्ण व वंशानुगत। मेलोनोसाइट्स जब कार्य नहीं करते हैं तो त्वचा में मेलानोसोम्स नहीं बनता,फलतः संपूर्ण सफेद दाग होने लगते हैं, क्योंकि चमड़ी के उस हिस्से में मेलोनोसाइट्स अशक्त हो जाते हैं।

इलाज : सफेद दाग का इलाज लगभग पूर्णतः संभव है।

प्यूवा

इसमें रोगी को सोरालिन की गोली/ क्रीम दी जाती है जो त्वचा को रोशनी के प्रति संवेदनशील बना देती है। इसके बाद अल्ट्रावायलेट से उस
सफेद दाग सामाजिक अभिशाप नहीं एक शारीरिक रोग व विकार है। सफेद दाग को कोढ़ मानने के भ्रम के कारण कई लोगों ने नारकीय जीवन व्यतीत किया है
हिस्से का उपचार किया जाता है।

सर्जरी

( अ) छोटे दाग- इन्हें ऑपरेशन द्वारा निकालकर टाँके लगाए जा सकते हैं इसके लिए त्वचा प्रत्यारोपण की आवश्यकता नहीं होती।

( ब) बड़े दाग : इन्हें निकालकर त्वचा को खींचकर बंद करने से विकृति हो सकती है। इसके लिए त्वचा प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है। इस तरह के मरीजों के लिए पंच ग्राफ्टिंग या सिलिकान के फुग्गे की मदद से सामान्य त्वचा को बड़ा किया जाता है।

लेजर सर्जरी

नए छोटे दाग पर लेजर किरण लगाने से वहाँ सामान्य रंग आने की संभावना रहती है। एक्जाइमर लेजर के माध्यम से बड़ी सफेद त्वचा को निकालने से त्वचा में विकृति भी नहीं आती।

त्वचा प्रत्यारोपण

इसमें सफेद दाग को निकालकर वहाँ की रिक्त जगह को मरीज की ही त्वचा निकालकर प्रत्यारोपित किया जाता है।

टैटूइंग

छोटे सफेद दागों पर त्वचा के रंग से मिलता हुआ रंग भरकर (गोदने की तरह) कवर किया जा सकता है।
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