गर्भावस्था में अस्थमा होता है घातक

गर्भावस्था से पहले कराएं अस्थमा का इलाज

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- डॉ. सलिल भार्गव
प्रोफेसर टीबी एंड चेस्ट डिसीज, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर
गर्भावस्था में अस्थमा

गर्भावस्था के दौरान अस्थमा का अटैक किसी भी महिला के लिए एक बहुत बुरी अवस्था होती है। नेशनल अस्थमा एजूकेशन ग्रुप फॉर द सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो गर्भावस्था को जटिल बनाने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। महिलाओं को गर्भावस्था की शुरुआत में ही अस्थमा की जांच करा लेना चाहिए क्योंकि इस बीमारी के गंभीर परिणाम होते हैं। अगर अस्थमा का माकूल इलाज न किया जाए तो महिला और जन्म लेने वाले शिशु की जान खतरे में पड़ जाती है।

दम फूलने के साथ सांस लेना हो जाता है दूभर

अस्थमा एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ होता है दम फूलना अथवा सांस लेने में दिक्कत होना। यह एक असाध्य एवं जटिल रोग है जो श्वास नलिका में अपना घर बना लेता है। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। श्वास नलिका में सूजन आ जाती है जिससे वह सिकुड़ जाती है। इससे छींकें आना, सांस लेने में दिक्कत होना और छाती में जकड़न तथा खांसी आने लगती है।

अस्थमा के ट्रिगर्स पर रखें नजर

अस्थमा की बीमारी कुछ कारणों से होती है। इन्हें ट्रिगर्स भी कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर वसंत के महीने में परागकणों की अधिकता से अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। घरेलू धूल एवं अन्य ट्रिगर्स के कारण भी अस्थमा का दौरा पड़ता है। जानिए क्या हैं ट्रिगर्स-


धूल

धूल में एलर्जी पैदा करने की खासियत होती है। अस्थमा के मरीजों में यह तूफान खड़ा कर सकती है। इसलिए जरूरी है कि अस्थमा के मरीज जहां रहें उन कमरों को धूल मुक्त रखा जाए तथा साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए। किसी भी कोने अथवा दीवार से लटके पर्दों पर धूल का एक कण भी नहीं रहना चाहिए।

फूल

जी हां अस्थमा के रोगियों के लिए फूल भी कांटों की तरह व्यवहार कर सकते हैं। फूलों से निकला पराग कण अस्थमा का एक जाना पहचाना ट्रिगर है। घर के अंदर फूलों के पौधे रखना भी खतरनाक हो सकता है। घरों के अंदर पौधों को बहुत पानी से तरबतर न करें। उन्हें धूप वाले स्थानों पर रखें। पौधों से सूखे पत्ते एवं डगालें तत्काल निकालें।

पालतू जानवर (पेट्स )

घरेलू पालतू जानवरों जैसे कुत्ते अथवा बिल्ली पालना किसी भी अस्थमा रोगी के लिए घातक साबित होता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि पालतू जानवरों से हर क्षण कई पार्टिकल्स झड़ते रहते हैं। फर, बालों के गुच्छे, मृत त्वचा, लार अथवा थूक अस्थमा के प्रमुख ट्रिगर्स हैं। भले ही पालतू जानवर आपके नजदीक न हो लेकिन उनके फर, बाल, मृत त्वचा आदि वातावरण में उड़ते रहते हैं जिससे अस्थमा का दौरा पड़ने के अवसर बढ़ जाते हैं।

रसोई की छौंक

आपने महसूस किया होगा कि रसोई में मिर्ची की छौंक का धुआं अच्छे भले इंसान को खांसने के लिए मजबूर कर देता है। अस्थमा के रोगियों को इससे बहुत गंभीर दौरा पड़ने की आशंका रहती है। इसके लिए एक अच्छी चिमनी की व्यवस्था की जा सकती है।

धूम्रपान

सिगरेट अथवा बीड़ी के धुएं में कई तरह के रसायन और गैसेस होती हैं जो फेफड़ों को उत्तेजित कर सकती हैं। धूम्रपान से अस्थमा होने के अवसर बढ़ जाते हैं। खांसी और छींकों की तकलीफ अस्थमा के रोगियों का जीवन मुश्किल में डाल देती है। जो माताएं गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करती हैं उनके बच्चों का लंग फंक्शन बहुत खराब रहता है और उन्हें खांसी और छींके आने के अवसर दूसरे बच्चों के मुकाबले अधिक होते हैं।

दर्दनिवारक औषधियाँ

कुछ औषधियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें गर्भावस्था में इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है। एस्प्रीन, आईब्रूफेन और बीटाब्लॉकर्स से भी अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान यदि स्त्रीरोग विशेषज्ञ आपके लिए कोई दवा लिख रही हो तो उसे सूचित करें कि आप अस्थमा से पीड़ित हैं।

कसरत

कसरत की अधिकता के कारण भी अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। कसरत करना भी एक तरह का ट्रिगर है जो अस्थमा का दौरा पैदा कर सकता है। कसतर शुरु करने के 20 मिनट बाद से श्वास नलिका सिकुड़ने लगती है। इसके बाद सांस लेना मुश्किल होने लगता है। बार-बार और जल्दी-जल्दी सांस खींचने से भी सीने की दाह कम नहीं होती। ऑक्सीजन की कमी महसूस की जाती है। गर्भवती महिला को बहुत हल्की कसरत करना चाहिए वह भी स्त्रीरोग विशेषज्ञ की सलाह के बाद।

समझें कसरत के दौरान सांस लेने की प्रक्रिया को

सामान्यतौर पर जो सांस हमारे फेफड़ों में जाती है वह नाक के रास्ते में गर्म होकर मौजूद म्युकस और नमी से होकर गुजरती है। कसरत के दौरान लोग अक्सर मुंह से सांस लेते हैं। इस तरह वे ठंडी और सूखी हवा फेफड़ों में भरते हैं। अस्थमा के मरीजों में श्वासनलिका के मोड़ की मांसपेशियां तापमान एवं नमी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। प्रतिक्रिया स्वरूप श्वासनलिका के इर्द-गिर्द मौजूद मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं जिससे श्वासनलिका अवरुद्ध हो जाती है।

मौसम में तेजी आया बदलाव

गर्म एवं अधिक नमी वाले वातावरण में या अत्यंत ठंडे मौसम मे अस्थमा के लक्षण बहुत जल्दी बढ़ जाते हैं। चूंकि मौसम हमारे नियंत्रण में नहीं है इसलिए अस्थमा के मरीजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बदलते तापमान में अधिक देर तक न रहें।

भावनाओं का उद्वेग

चिंता, फिक्र, गुस्सा व अज्ञात का भय तनाव को बढ़ाता है । इसके फलस्वरूप दिल की धड़कनों की गति बढ़ जाती है साथ ही सांस लेने का पैटर्न भी प्रभावित होता है। सांस की गति तेज और उथली हो जाती है जिससे श्वासनलिका सिकुड़ने लगती है। इससे हवा के प्रवाह में अवरोध पैदा होता है जिससे अस्थमा का दौरा पड़ता है।

फूड एलर्जी

कई खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिनकी वजह से अस्थमा का दौरा पड़ने की आशंका रहती है। गाय का दूध,अंडे मूंगफली, सोयाबीन, गेहूं, मछली आदि अस्थमा के ट्रिगर्स हैं। सोडियम बाई सल्फाइट, पोटेशियम बाई सल्फाइट, सोडियम मेटाबाई सल्फाइट, पोटेशियम मेटा बाई सल्फाइट, सोडियम सल्फाइट जैसे प्रिजर्वेटिव की वजह से भी अस्थमा का दौरा पड़ सकता है।

क्या होता है अजन्मे बच्चे को

अस्थमा के दौरान अजन्मे बच्चे को ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। गर्भवती को मॉर्निंग सिकनेस होने लगती है। योनी से रक्तस्राव बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप की समस्या होती है और मूत्र में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। गर्भस्थ शिशु की वृद्धि कम हो जाती है। प्रसव जटिल हो जाता है और समय से पहले बच्चे को सिजेरियन सेक्शन से डिलिवरी करा कर संसार में लाना पड़ता है।

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