rashifal-2026

दिल्‍ली की हवाओं में घुल रहा है जहर

Webdunia
सीएसई ने चेतावनी दी है कि दिल्‍ली शहर में प्रदूषण का स्‍तर खतरनाक सीमा तक बढ़ चुका है। इस दिशा में शीघ्र ही कोई महत्‍वपूर्ण कदम उठाए जाने की आवश्‍यकता है। शुद्ध वायु में जीना और साँस लेना प्रत्‍येक मनुष्‍य का अधिकार है। हमें अपने इस मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए प्रयत्‍न करना होगा।

NDND
दिल्‍ली श्‍ाहर में एक बार फिर प्रदूषण भयावह स्‍तर पर पहुँच चुका है। संभव है, दिल्‍ली में बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से अस्‍थमा के प्रति जागृति आए। शहर में चल रही सीएनजी की योजना असफल होने की कगार पर पहुँच रही है। वायु प्रदूषण अपनी रफ्तार से बढ़ रहा है। कई चीजें दाँव पर लगी हुई हैं, जैसे 2010 में दिल्‍ली में आयोजित होने वाले कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स और हमारा स्‍वास्‍थ्‍य। शहर को जल्‍द ही इन नुकसानों पर लगाम कसनी होगी। हमारी अगली पीढ़ी को सुधार करने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। लचर विकल्‍प तो असफल हो चुके हैं। कारों और वाहनों की बढ़ती संख्‍या पर रोक लगाना ही शहर के लिए एकमात्र विकल्‍प है।

दिल्‍ली शहर में चलाया जा रहा सीएनजी कार्यक्रम असफल हो रहा है और प्रदूषण का स्‍तर पुन: वर्ष 2000 के स्‍तर तक पहुँच चुका है। सीएसई के एक नए अध्‍यन में यह बात सामने आई है कि पिछले कुछ सालों से हवा में फैले प्रदूषण पर जो नियंत्रण प्राप्‍त किया गया था, वह पुन: उसी स्थिति पर पहुँच गया है। पिछली ठंड में प्रदूषण का स्‍तर पहली बार बढ़ा था और इस साल य‍ह स्‍तर पहले से काफी उच्‍च स्‍तर पर पहुँच चुका है, जैसा कि यह शहर सीएनजी के पहले था।

सीएसई की निदेशक सुनीता नारायण का कहना है, ''हम लोग वायु प्रदूषण को जल्‍द-से-जल्‍द रोकने के लिए उच्‍चस्‍तरीय पैमानों का प्रयोग
2006-07 की ठंड में इसका स्‍तर 350 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर पर पहुँच गया था। यह स्‍तर अब तक के किसी भी जाड़े की तुलना में सर्वाधिक था
करेंगे, वरना दिल्‍ली शहर सीएनजी से पहले के दिनों वाली स्थिति में पहुँच जाएगा, घुटन और धुँए से भरा हुआ। डीजल से चलने वाली बसों और गाडि़यों के धुँए ने दिल्‍ली को पृथ्‍वी के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बना दिया था।''

2002 में जब राजधानी में सीएनजी कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी, तब शहरी क्षेत्रों में अवांछित कणों (आरएसपीएम या पीएम10) की मात्रा प्रति क्‍यूबिक मीटर में 143 माइक्रोग्राम थी, लेकिन 2005 में यह घटकर 115 माइक्रोग्राम रह गई। 2006 में इसके बढ़ते स्‍तर पर तब ध्‍यान गया, जब यह मात्रा बढ़कर 136 क्‍यूबिक मीटर हो हो गई थी।

2006-07 की ठंड में इसका स्‍तर 350 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर पर पहुँच गया था। यह स्‍तर अब तक के किसी भी जाड़े की तुलना में सर्वाधिक था।

इस वर्ष प्रतिदिन पाए जाने वाले छोटे कणों का आकार भी 2.5 पीएम है और इसका स्‍तर अक्‍टूबर के अंत तक ही 240 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर के स्‍तर पर पहुँच चुका है। अमेरिका का एक अध्‍ययन बताता है कि 2.5 पीएम के केवल 10 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर की बढ़ोतरी ही सेहत के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है। इसकी बढ़ती मात्रा में ज्‍यादा दिनों तक रहने से अस्‍थमा, फेफड़े की समस्‍या, ब्रॉन्‍काइटिस और हृदय संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं। लंबे समय तक इसी परिस्थिति में रहने से फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है। शहर में नाइट्रोजन ऑक्‍साइड की मात्रा खतरनाक तरीके से बढ़ रही है।

पुरानी पीढ़ी के असफल प्रयास :

पिछले पाँच सालों में दिल्‍ली शहर ने प्रदूषण को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किए। गाडि़यों की संख्‍या पर नियंत्रण, बसों को सीएनजी
अमेरिका का एक अध्‍ययन बताता है कि 2.5 पीएम के केवल 10 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर की बढ़ोतरी ही सेहत के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है। इसकी बढ़ती मात्रा में ज्‍यादा दिनों तक रहने से अस्‍थमा, फेफड़े की समस्‍या, ब्रॉन्‍काइटिस और हृदय संबंधी बीम
में तब्‍दील किया जाना, व्‍यावसायिक गाडि़यों के लिए जारी किए गए नए निर्देश इत्‍यादि इस दिशा में उठाए गए कुछ कदम थे। बावजूद इसके निजी गाडि़यों का बढ़ना और प्रदूषण्‍ा का स्‍तर अपनी रफ्तार पर है।

दिल्‍ली में चालीस लाख से भी ज्‍यादा गाडि़याँ हैं। अभी हाल के आँकडों के मुताबिक इस शहर में प्रतिदिन 963 नई निजी गाडि़याँ सड़कों पर उतर रही हैं। यह संख्‍या सीएनजी के पहले के दिनों से लगभग दुगुनी है।

डीजल के प्रति दीवानगी

सोसायटी फॉर ऑटोमोबाइल मैन्‍यूफैक्‍चर्स के अनुसार पिछले 18 महीनों के दौरान डीजल कारों का शेयर बाजार 30 प्रतिशत बढ़ा है। डब्‍ल्‍यूएचओ और दूसरी अन्‍य अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍थाओं का कहना है कि डीजल के कणों में भारी मात्रा में कार्सिनोजेंस पाया जाता है, जो स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत घातक है।

भविष्‍य है हमारे हाथों में :

वर्तमान स्थिति को देखते हुए हम प्रतिवर्ष प्रदूषण और घुटन के रसातल में एक कदम और बढ़ा रहे हैं। हर वर्ष अस्‍थमा और साँस की बीमारियों की संख्‍या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है और अगर इस पर काबू नहीं पाया गया तो यह संख्‍या आने वाले वर्षों में और भी भयावह हो चुकी होगी। अगर दिल्‍लीवासी प्रदूषण और बीमारियों से बचाव चाहते हैं तो उन्‍हें बिना वक्‍त गँवाए शीघ्र ही इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि हम एक स्‍वस्‍थ्‍ा, सुंदर और प्रदूषण मुक्‍त दिल्‍ली का निर्माण कर सकें।
Show comments

Kids Winter Care: सर्दी में कैसे रखें छोटे बच्चों का खयाल, जानें विंटर हेल्थ टिप्स

Winter Health Tips: सर्दियों में रखना है सेहत का ध्यान तो खाएं ये 5 चीजें

Sixty Plus Life: 60 साल की उम्र में BP बढ़ने पर हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी का खतरा सबसे ज्यादा, जानें कैसे बचें?

Winter Recpe: सर्दियों में रहना है हेल्दी तो बनाएं ओट्स और मखाने की स्वादिष्ट चिक्की, मिलेंगे कई सेहत फायदे

Winter Superfood: सर्दी का सुपरफूड: सरसों का साग और मक्के की रोटी, जानें 7 सेहत के फायदे

कविता: ओशो का अवतरण, अंतरात्मा का पर्व

International Mountain Day: अरावली पर्वत श्रृंखला का वजूद खतरे में

ओशो: रजनीश से बुद्धत्व तक, एक असाधारण सद्गुरु की शाश्वत प्रासंगिकता

Veer Narayan Singh: वीर नारायण सिंह बलिदान दिवस, जानें उनके वीरता की कहानी, पढ़ें 5 अनसुनी बातें

Human Rights Day:10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस क्यों मनाया जाता है?