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मिर्गी से डरें नहीं, उसे समझें

सेहत डेस्क

Webdunia
डॉ. विनोद गुप्ता
NDND
दुनियाभर के पाँच करोड़ लोग और भारत के करीब एक करोड़ लोग मिर्गी के शिकार हैं। विश्व की कुल जनसँख्या के 8 से 10 प्रतिशत तक को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ सकता है।

मिर्गी के दौरे के समय जब रोगी के मुँह से झाग निकलते हैं और शरीर में अकड़न आने लगती है तो लोग पता नहीं क्या-क्या सोचने लगते हैं। दरअसल यह कोई मानसिक रोग नहीं अपितु मस्तिष्कीय विकृति है। हमारा मस्तिष्क खरबों तंत्रिका कोशिकाओं से निर्मित है। इन कोशिकाओं की क्रियाशीलता ही हमारे कार्यों को नियंत्रित करती है।

मस्तिष्क के समस्त कोषों में एक विद्युतीय प्रवाह होता है। ये सारे कोष विद्युतीय नाड़ियों के जरिए आपस में संपर्क कायम रखते हैं, लेकिन जब कभी मस्तिष्क में असामान्य रूप से विद्युत का संचार होने लगता है तो व्यक्ति को एक विशेष प्रकार के झटके लगते हैं और वह बेहोश हो जाता है। बेहोशी की अवधि चंद सेकंड से लेकर पाँच मिनट तक की हो सकती है। मिर्गी का दौरा समाप्त होते ही व्यक्ति सामान्य हो जाता है।

मिर्गी रोग दो तरह का हो सकता है आंशिक तथा पूर्ण। आंशिक मिर्गी से जहाँ मस्तिष्क का एक भाग अधिक प्रभावित होता है, वहीं पूर्ण मिर्गी में मस्तिष्क के दोनों भाग प्रभावित होते हैं। इसी प्रकार भिन्न-भिन्न रोगियों में इसके लक्षण भी भिन्न-भिन्न होते हैं। आमतौर पर व्यक्ति कुछ समय के लिए चेतना खो देता है।

विशेषज्ञों के अनुसार सूअरों की आंतों में पाए जाने वाले टेपवर्म के संक्रमण की वजह से भी मिर्गी का रोग हो सकता है। सूअर खुली जगह में मल त्याग करते हैं, जिसकी वजह से ये कीड़े साग-सब्जियों के द्वारा घरों में पहुँच जाते हैं। टेपवर्म का 'सिस्ट' यदि मस्तिष्क में पहुँच जाए तो उसके क्रियाकलापों को प्रभावित कर सकता है, जिससे मिर्गी की आशंका बढ़ जाती है।

मिर्गी के समय मरीज के हाथों में लोहे की कोई चीज या चाबियों का गुच्छा पकड़ा देने से मिर्गी का दौरा तत्काल बंद हो जाने का अंधविश्वास मिथ्या है। कुछ जगह पुराना जूता सुंघाने का नुस्खा अपनाया जाता है। चूँकि मिर्गी का दौरा मात्र दो-तीन मिनट तक रहता है, इसलिए लोगों को लगता है कि शायद उनके नुस्खे की वजह से सब ठीक हो गया है।

मिर्गी के झटकों के दौरान व्यक्ति को जोरों से पकड़ कर रखना भी ठीक नहीं होता। इसी तरह बेहोशी की अवस्था में मुँह में पानी या अन्य कोई तरल पदार्थ डालना भी खतरनाक हो सकता है।

मिर्गी रोग साध्य है, बशर्ते इसका उपचार पूर्ण कराया जाए। रोगी को किसी न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए। इलाज में धैर्य आवश्यक होता है। यह इलाज तीन से पाँच वर्ष तक चल सकता है। मिर्गी के रोगी को घर से बाहर अकेले निकलने पर अपना परिचय कार्ड अपने साथ अवश्य रखना चाहिए, जिसमें उसका नाम, पता, बीमारी का नाम और दवा का विवरण आदि का उल्लेख होना चाहिए। मिर्गी के रोगी को कार, स्कूटर आदि वाहन नहीं चलाने चाहिए। खतरनाक मशीनों के संचालन से भी उसे बचना चाहिए।

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