World Thalassemia Day 2020 : 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस, जानिए लक्षण एवं बचाव

Webdunia
World Thalassemia Day 2020
 
दुनियाभर में हर साल 8 मई को में वर्ल्ड थैलेसीमिया डे (Thalassemia Day) मनाया जाता है। थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है, इस रोग की पहचान बच्चे में 3 महीने बाद ही हो पाती है। इसको मनाने का सबसे बड़ा लक्ष्य है लोगों को रक्त संबंधित इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना है। 
 
माता-पिता से अनुवांशिकता के तौर पर मिलने वाली इस बीमारी की विडंबना है कि इसके कारणों का पता लगाकर भी इससे बचा नहीं जा सकता। हंसने-खेलने और मस्ती करने की उम्र में बच्चों को लगातार अस्पतालों के ब्लड बैंक के चक्कर काटने पड़ें तो सोचिए उनका और उनके परिजनों का क्या हाल होगा! लगातार बीमार रहना, सूखता चेहरा, वजन ना बढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थैलेसीमिया रोग होने पर दिखाई देते हैं।
 
आइए जानें 8 मई को मनाए जाने वाले विश्व थैलेसीमिया दिवस उसके लक्षण और बचाव -
 
थैलेसीमिया क्या है- 
 
यह एक ऐसा रोग है जो बच्चों में जन्म से ही मौजूद रहता है। तीन माह की उम्र के बाद ही इसकी पहचान होती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसमें बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून की जरूरत होती है। खून की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है एवं बार-बार खून चढ़ाने के कारण मरीज के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, जो हृदय में पहुंच कर प्राणघातक साबित होता है। 
 
थैलेसीमिया के लक्षण- 
 
* बार-बार बीमारी होना 
* सर्दी, जुकाम बने रहना 
* कमजोरी और उदासी रहना 
* आयु के अनुसार शारीरिक विकास न होना 
* शरीर में पीलापन बना रहना व दांत बाहर की ओर निकल आना 
* सांस लेने में तकलीफ होना
* कई तरह के संक्रमण होना
 
ऐसे कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। 
 
कैसे करें थैलेसीमिया से बचाव- 
 
* विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जांच कराएं
* गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच कराएं 
* मरीज का हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करें
* समय पर दवाइयां लें और इलाज पूरा लें।
 
थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है। यह दो प्रकार का होता है। यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है। पालकों में से एक ही में माइनर थैलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता। अतः जरूरी यह है कि विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों अपनी जांच करा लें। 
 
थैलेसीमिया के बारे में कुछ अहम तथ्य- 
 
थैलेसीमिया पी‍डि़त के इलाज में काफी खून और दवाइयों की जरूरत होती है। इस कारण सभी इसका इलाज नहीं करवा पाते, जिससे 12 से 15 वर्ष की आयु में बच्चों की मौत हो जाती है। सही इलाज करने पर 25 वर्ष व इससे अधिक जीने की उम्मीद होती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, खून की जरूरत भी बढ़ती जाती है। अत: सही समय पर ध्यान रखकर बीमारी की पहचान कर लेना उचित होता है। 
 
अस्थि मंजा ट्रांसप्लांटेशन (एक किस्म का ऑपरेशन) इसमें काफी हद तक फायदेमंद होता है, लेकिन इसका खर्च काफी ज्यादा होता है। देश भर में थैलेसीमिया, सिकल सेल, सिकलथेल, हिमोफेलिया आदि से पीड़ित अधिकांश गरीब बच्चे 8-10 वर्ष से ज्यादा नहीं जी पाते। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Lohri 2025 : इन फैशन आइडियाज से लोहड़ी के जश्न को बनाएं यादगार

Winter Health Tips : क्या सर्दियों में ज्यादा मैग्नीशियम आपकी सेहत का गेम चेंजर है?

रूम हीटर के साथ कमरे में पानी की बाल्टी रखना क्यों है जरूरी? जानें क्या है इसके पीछे का साइंस

अपने बेटे को दें श्रीमद्भगवद्गीता से प्रेरित खूबसूरत और अर्थपूर्ण नाम

Winter Fashion : सर्दियों में स्टाइल बनाए रखना चाहते हैं? अपनाएं ये 10 ड्रेसिंग रूल्स

सभी देखें

नवीनतम

पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी की पुस्तक 'पागलखाना' के अंग्रेज़ी अनुवाद 'द मैड हाउस' का विमोचन

सेहत का खजाना है सर्दियों का ये छोटा सा फल, इस विटामिन की होती है पूर्ति

स्माइलिंग डिप्रेशन, जब मुस्कुराते चेहरे के पीछे छिपा होता है गहरा दर्द, जानिए इस मेडिकल कंडीशन के लक्षण और बचाव

motivational quotes: गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती पर पढ़ें 10 मोटिवेशनल कोट्‍स

क्या छोटी-छोटी बातें भूलना है ब्रेन फॉग की निशानी, क्या हैं इस इस बीमारी के लक्षण

अगला लेख