गर्भाशय का कैंसर खतरनाक

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डॉ. अनुराधा ‍मूर्ति
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विकासशील देशों में करीबन 85 प्रतिशत महिलाओं को गर्भाशय के कैंसर का खतरा होता है। (दुनियाभर में करीबन 4 लाख 73 हजार) और गर्भाशय के कैंसर के कारण प्रतिवर्ष 2 लाख 53 हजार 500 महिलाओं की मृत्यु होती है।

विकासशील देशों में गर्भाशय का मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। कोई महिला यदि प्रतिकारक दवाइयों के साथ पॅप जाँच नियमित रूप से करवा रही हो तो उसके गर्भाशय के कैंसर में सुधार आने की संभावना होती है।

दुनियाभर की महिलाओं के लिए गर्भाशय का कैंसर, कैंसर से संबंधित एक महत्वपूर्ण बीमारी है और अविकसित देशों में महिलाओं की मृत्यु का यह एक प्रमुख कारण है।

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समय पर यदि गर्भाशय के कैंसर का निदान नहीं होता है तब वह संबंधित महिला के जीवन के लिए खतरनाक होता है।

तथापि, नियमित रूप से सावधानी बरतने पर गर्भाशय के कैंसर का निदान समय पर हो सकता है। समय पर इलाज होने के पश्चात संतति भी हो सकती है।

गर्भाशय के कैंसर के कारण भारत में प्रतिवर्ष 1 लाख 50 हजार महिलाओं की मृत्यु होती है। गर्भाशय के कैंसर के बारे में दुनियाभर में बड़ी चर्चा हुई है। इस कैंसर पर नियमित इलाज लेने वाली महिलाएँ भी हमें दिखाई देती हैं। जिस महिला या पुरुष को यह कर्करोग होने का निदान हुआ है उन्हें अटल रूप से कीमोथैरेपी करनी होती है।

क्योंकि इस भयंकर बीमारी को रोकने के लिए यही एक इलाज माना जा रहा है। यह थैरेपी लेते वक्त काफी वेदना होती है, जिसमें मानसिक एवं शारीरिक वेदना का मरीज को सामना करना पड़ता है। जिंदगी का साथ निभाना हो तो यह थैरेपी बहुत जरूरी होती है।

आम महिलाएँ इस कैंसर के बारे में शुरुआत में काफी अज्ञानी होती हैं, उसी में यह यमदूत उन पर हमला करता है। जिन महिलाओं की रोग प्रतिकारक शक्ति कमजोर होती है, जिन महिलाओं को धूम्रपान की आदत है, जो महिलाएँ कई पुरुषों के साथ यौन संबंध रखती हैं और जिससे उन्हें संसर्ग रोग हुए हैं, ऐसी महिलाओं को यह कैंसर होने का खतरा 99 प्रतिशत होता है। ‍

विशेष बात यह है कि जो महिलाएँ एचआईवी बाधित हैं, उन्हें गर्भाशय के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। लेकिन पॅप स्मीअर जाँचें इस पर असरदार साबित हो सकती हैं। इस कैंसर को हावी होने के पहले ही इन जाँचों का आधार लेने पर इस बीमारी पर नियंत्रण पाना आसान होता है।

ह्यूमन पॅपलोमॅरिअस : इस विषाणु के संसर्ग से गर्भाशय के कैंसर का खतरा होता है। इसे ही एचपीवी भी कहा जाता है। जिस महिला को गर्भाशय का कैंसर है उसने यदि किसी पुरुष से शारीरिक संबंध रखे और उसी पुरुष ने किसी और महिला से शारीरिक संबंध रखे तो उसके साथ ही एचपीवी संसर्ग होने पर उन्हें यह कैंसर होता है। इस बीमारी के कई प्रकार के विषाणु हैं। इसमें सभी प्रकार के विषाणु गर्भाशय के कैंसर के वाहक नहीं होते हैं।

जेनिटल वॉर्ट्‍स : इस नाम के विषाणु इसके लिए घातक साबित होते हैं। यानी किसी महिला के शरीर में यह विषाणु जाने पर कई सालों तक उसे इस बात का पता भी नहीं चलता है। क्योंकि यह विषाणु कई सालों तक पड़ा रहता है, लेकिन कई सालों के बाद इसका असर इस महिला को दिखाई देता है।

इसके लिए नियमित पॅप स्मीअर जाँच करवाने की जरूरत होती है। इस जाँच द्वारा गर्भाशय के विषाणुओं को खोजा जाता है और वे कैंसर के लिए सहायक हों उससे पहले ही उन पर हमला किया जाता है। यह इस जाँच का बड़ा शक्तिस्थल है। इस कारण गर्भाशय के कैंसर को टाला जा सकता है।

पॅप स्पीअर को पेप जाँच भी कहा जाता है। इसमें स्क्रीन द्वारा गर्भाशय और यो‍‍नि में रहे विषाणुबाधित पेशियों को खोजा जाता है। इस जाँच के पश्चात ही कैंसर का निदान हो सकता है। इस प्रकार का संसाधन करने वाला यह एकमात्र विश्वासपूर्ण साधन है।

गर्भाशय के कैंसर को टालने के लिए महिला जब लैंगिक दृष्टि से सक्षम होती हैं यानी वह उम्र के 18 वर्ष पूरी करती है तब उन्हें इस जाँच की आवश्यकता होती है। महिलाओं को रजोनिवृत्ति के पश्चात भी इस जाँच की आवश्यकता होती है। इसके लिए नियमित बातचीत, समुपदेशन की जरूरत होती है।

मेट्रोपोलिस हेल्थ सर्विसेज की ओर से गर्भाशय के कैंसर पर इलाज के लिए एचपीवी-डीएनए तथा पॅप स्मेअर जाँच की सेवा भी दी जाती है।

पॅप जाँच किसके लिए
1. यदि आप 30 वर्ष से कम उम्र के हों तो यह जाँच करवा लेने की जरूरत है।
2. 30 वर्ष से ज्यादा आयु या उससे कम आयु की लड़कियों के लिए निरंतर तीन साल यह पेप जाँच करवाना आवश्यक है।
3. 65 से 70 वर्ष से ज्यादा आयु की महिलाओं के लिए इस जाँच की जरूरत नहीं है, डॉक्टरों की सलाह से यह जाँच बंद करवा लें।
यदि
1. आपकी रोगप्रतिकारक क्षमता कमजोर है या आप कीमोथैरेपी या स्टेरॉइड ले रहे हो तो पेप जाँच जरूरी है।
2. गर्भावस्था में डायथेलस्टीबेथेरोल का प्रादुर्भाव हुआ हो तब
3. एचआईवी पॉजीटिव होने पर

कैंसर को रोकने के लिए आपको अभी से प्रयास करने होंगे।

गर्भाशय के कैंसर के लक्षण
यो‍नि मार्ग से खून बहना। यह आम बात नहीं है, बल्कि आपके दै‍नंदिन गतिविधियों में यह एक अपवादात्मक बात है। आपके यो‍नि मार्ग से संबंधित, जैसे संभोग करते समय खून जा रहा हो।
संभोग के समय वेदना हो रही हो।
खून के बहाव के साथ ही वह भाग संवेदनाहीन हो रहा हो।
निचले पेट में वेदना हो।
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