विजयादशमी : 'अंह' के नाश का पर्व

- राजश्री

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आश्विन शुक्ल दशमी को विजयादशमी होती है। इसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है। विजयादशमी का त्योहार वर्षा ऋतु की समाप्ति का सूचक है। इन दिनों चौमासे में स्थगित कार्य शुरू किए जा सकते हैं।

दशहरा एक राष्ट्रीय पर्व है.... जिसे सभी भार‍तवासी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते है। नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाने वाला यह पर्व सभी दृष्‍टि से बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन आप नए घर, नए वाहन की खरीददारी कर सकते हैं। ‍इस दिन पूरे दिनभर ही मुहूर्त होते है इसलिए सारे काम बड़े आसानी से किए जा सकते हैं। जिन्हें करने के लिए कोई मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होत‍ी।

दशहरे के दिन ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। हनुमान जी की सहायता से भगवान राम राक्षसराज रावण पर काबू पाने में सफल हो गए थे और उन्होंने रावण को युद्ध में परास्त करके उन्हें मुक्ति देने का महान कार्य किया था। राक्षसराज रावण के अहंकार को चूर-चूर करके दुनिया के लिए भी एक बहुत बड़ी और मूल्यवान सीख दी है। जिसको हमें अपने जीवन में जरूर धारण करना चाहिए।

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अपने अहंकार, लोभ, लालच, अत्याचारी प्रवृत्तियों का त्याग कर अपने जीवन को क्षमारूपी नाव में बिठाकर आप जीवन का अनमोल उपयोग कर सकते हैं। भगवान श्रीराम की यह सीख बहुत ही सच्ची और मोक्षप्राप्ति की ओर ले जाने वाली है।

जब रावण माता सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। तब युद्ध की देवी माँ दुर्गा के भक्त श्रीराम ने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना की और फिर दसवें दिन राक्षस रावण का वध किया। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

इस दिन रावण के पुतले बनाकर जगह- जगह जलाएँ जाते हैं। इन दिन रामलीला का बखान करते हुए फिर रावण दहन का कार्य किया जाता है। और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता विजयादशमी का यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार मनाना सही मायने में तभी सार्थक सिद्ध होगा जब आप अपने अंहकार का त्याग करके अपने मन में भरी सारी बुराईयों को दूर करके, उन पर काबू पाकर यानी उनको जीत कर ही विजयादशमी का त्योहार मनाएँ। तभी यह त्योहार सार्थक हो पाएगा। और हमारा रावण का पुतला जलाने का संकल्प यानी मन को जीतने का संकल्प पूरा होगा।

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