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दशहरे पर क्यों करना चाहिए अपराजिता की पूजा, पढ़ें प्राचीन प्रामाणिक विधि

हमें फॉलो करें दशहरे पर क्यों करना चाहिए अपराजिता की पूजा, पढ़ें प्राचीन प्रामाणिक विधि
Devi aparajita puja 
 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपराजिता पूजा को विजयादशमी का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। यह पूजा अपराह्न काल में की जाती है। आइए यहां जानते हैं इस पूजा की प्राचीन और शास्त्रोक्त प्रामाणिक विधि-vijay dashami 2022 
 
पूजा विधि- 
-इस पूजा के लिए घर से पूर्वोत्तर की दिशा में कोई पवित्र और शुभ स्थान को चिन्हित करें। 
-यह स्थान किसी मंदिर, गार्डन आदि के आसपास भी हो सकता है। 
-पूजन स्थान को स्वच्छ करें और चंदन के लेप के साथ अष्टदल चक्र (8 कमल की पंखुड़ियां) बनाएं। 
-अपराजिता के नीले फूल या सफेद फूल के पौधे को पूजन में रखें। 
-पुष्प और अक्षत के साथ देवी अपराजिता की पूजा के लिए संकल्प लें।
-अष्टदल चक्र के मध्य में 'अपराजिताय नम:' मंत्र के साथ मां देवी अपराजिता का आह्वान करें और मां जया को दाईं ओर क्रियाशक्त्यै नम: मंत्र के साथ आह्वान करें तथा बाईं ओर मां विजया का 'उमायै नम:' मंत्र के साथ आह्वान करें।
-इसके उपरांत 'अपराजिताय नम':, 'जयायै नम:' और 'विजयायै नम:' मंत्रों के साथ शोडषोपचार पूजा करें।
-अब प्रार्थना करें।
-विसर्जन मंत्र- अब निम्न मंत्र के साथ पूजा का विसर्जन करें।
-'हारेण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला। अपराजिता भद्ररता करोतु विजयं मम।'


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