रावण अच्छा, बुरा या दोनों?

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
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एक बुराई आपकी सारी अच्छाइयों पर पानी फेर देती है और आप देवताओं की नजरों में भी नीचे ‍गिर जाते हो। आपके विद्वान और प्रकांड पंडित होने से आप अच्छे साबित नहीं होते। अच्छा होने के लिए नैतिक बल का होना जरूरी है। कर्मों का शुद्ध होना जरूरी है। मानते हैं कि रावण ज्ञानी-ध्यानी था लेकिन उसके कर्म तो खराब ही थे।

शिव का परम भक्त, यम और सूर्य तक को अपना प्रताप झेलने के लिए विवश कर देने वाला, प्रकांड विद्वान, सभी जातियों को समान मानते हुए भेदभावरहित रक्ष समाज की स्थापना करने वाला रावण आज बुराई का प्रतीक माना जाता है इसलिए की उसने दूसरे की स्त्री का हरण किया था।

रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्म ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान था जो अन्य किसी के पास नहीं था। इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे।

रावण के दस सिर : उसके दस सिर नहीं थे किंतु वह दस सिर होने का भ्रम पैदा कर देता था इसी कारण लोग उसे दशानन कहते थे। जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि रावण के गले में नौ मणियां होती थी। उक्त नौ मणियों में उसका सिर दिखाई देता था जिस कारण उसके दस सिर होने का भ्रम होता था। जैन शास्त्रों में रावण को प्रति‍-नारायण माना गया है। जैन धर्म के 64 शलाका पुरुषों में रावण की गिनती की जाती है । जैन पुराणों अनुसार महापंडित रावण आगामी चौबीसी में तीर्थंकर की सूची में भगवान महावीर की तरह चौबीसवें तीर्थंकर के रूप में मान्य होंगे। इसीलिए कुछ प्रसिद्ध प्राचीन जैन तीर्थस्थलों पर उनकी मूर्तियां भी प्रतिष्ठित हैं।

रावण का परिवार : ऋषि विश्रवा ने ऋषि भारद्वाज की पुत्री से विवाह किया था, जिनसे कुबेर का जन्म हुआ। विश्रवा की दूसरी पत्नी मैकसी से रावण, कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा पैदा हुई थी। लक्ष्मण ने सूर्पणखा की नाक काट दी थी । कुबेर रावण का सौतेरा भाई था। कुबेर धनपति था। कुबेर ने लंका पर राज कर उसका विस्तार किया था। रावण ने कुबेर से लंका को हड़पकर उसपर अपना शासन कायम किया। लंका को भगवान शिव ने बसाया था।

रावण का विवाह मंदोदरी से हुआ था। मंदोदरी कहां की थी इस संबंध में मतभेद हैं। सुंबा राज्य के राजा मयदानव से रावण को पता चला की देवों ने उसका (मयदानव) का नगर उरपुर और पत्नी हेमा को छीन लिया है। मयदानव ने रावण के पराक्रम से प्रभावित होकर अपनी परम रूपवान पाल्य पुत्री मंदोदरी से विवाह कर दिया। हालांकि माना यह भी जाता है कि राजस्थान के जयपुर के पास मंडोरा की थी मंदोदरी। मंदोदरी से रावण को एक पुत्र मिला मेघनाद। वैसा रावण के और भी पुत्र थे।

शिव भक्त रावण : एक बार रावण जब अपने पुष्पक विमान से यात्रा कर रहे थे तो रास्ते में एक वन क्षेत्र से गुजर रहे थे। उस क्षेत्र के पहाड़ पर शिव जी ध्यानमग्न बैठे थे। शिव के गण नंदी ने रावण को रोकते हुए कहा कि इधर से गुजरना सभी के लिए निषिद्ध कर दिया गया है, क्योंकि भगवान तप में मगन है।

रावण को यह सुनकर क्रोध उत्पन्न हुआ। उसने अपना विमान नीचे उतारकर नंदी के समक्ष खड़े होकर नंदी का अपमान किया और फिर जिस पर्वत पर शिव विराजमान थे उसे उठाने लगा। यह देख शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबा दिया जिस कारण रावण का हाथ भी दब गया और फिर वह शिव से प्रार्थना करने लगा की मुझे मुक्त कर दें। इस घटना के बाद वह शिव का भक्त बन गया।

रावण की रचना : रावण ने शिव तांडव स्त्रोत की रचना करने के अलावा अन्य कई तंत्र ग्रंथों की रचना की। कुछ का मानना है कि लाल किताब (ज्योतिष का प्राचीन ग्रंथ) भी रावण संहिता का अंश है। रावण ने यह विद्या भगवान सूर्य से सिखी थी।

रावण का राज्य विस्तार : रावण ने सुंबा और बालीद्वीप को जीत कर अपने शासन का विस्तार करते हुए अंगद्वीप, मलयद्वीप, वराहद्वीप, शंखद्वीप, कुशद्वीप, यवद्वीप और आंध्रालय पर विजय प्राप्त की थी। इसके बाद रावण ने लंका को अपना लक्ष्य बनाया। लंका पर कुबेर का राज्य था।

दरअसल माली, सुमाली और माल्यवान नामक तीन दैत्यों द्वारा त्रिकुट सुबेल पर्वत पर बसाई लंकापुरी को देवों और यक्षों ने जीतकर कुबेर को लंकापति बना दिया था। रावण की माता कैकसी सुमाली की पुत्री थी। अपने नाना के उकसाने पर रावण ने अपनी सौतेली माता इलविल्ला के पुत्र कुबेर से युद्ध की ठानी परंतु पिता ने लंका रावण को दिलासा दी तथा कुबेर को कैलाश पर्वत के आसपास के त्रिविष्टप क्षेत्र में रहने के लिए कह दिया। इसी तारतम्य में रावण ने कुबेर का पुष्पक विमान भी छीन लिया।

अगले पेज पर पढ़ें, रावण के पुतला दहन पर और जानें कैसा था रावण का विमा न...

दशानन का पुतला दहन : देशभर में दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन कर लोग एक दूसरे को विजय की बधाई देते हैं। इसी दिन राम ने रावण का वध किया था इसीलिए इसे विजयादशमी भी कहते हैं। रावण का पुतला जलाने की प्रथा कब और कैसे शुरू हुई यह तो हम नहीं जानते लेकिन रावण का पुतला जलाना कितना उचित-अनुचित है इस पर बहस होना चाहिए।

रावण का पुष्पक विमान : रावण ने कुबेर को लंका से हटाकर वहां खुद का राज्य कायम किया था। धनपति कुबेर के पास पुष्पक विमान था जिसे रावण ने छीन लिया था। रावण के इस पुष्पक विमान में प्रयोग होने वाले ईधन से संबंधित जानकारियों पर मद्रास की ललितकला अकादमी के सहयोग से भारत अनुसंधान केंद्र द्वारा बड़े पैमान पर शोध कार्य किया जा रहा है।

रामायण में उल्लेख मिलता है कि यह पुष्पक विमान इच्छानुसार छोटा या बड़ा हो जाता था तथा मन की गति से उड़ान भरता था।

रावण का उल्लेख : रावण के बारे में वाल्मिकी रामायण के अलावा पद्मपुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, कूर्मपुराण, महाभारत, आनन्द रामायण, दशावतारचरित आदि हिन्दू ग्रंथों के अलावा जैन ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है।

देखें एक रोचक वीडियो....आगे क्लिक करें- रावण को नहीं पूजा तो....

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