भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी उसी दौर में पहुंच गए हैं, जब उन्होंने मोदी को राष्ट्रीय चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अहम पदों से इस्तीफा दे दिया था। एक बार फिर हालात कुछ ऐसे ही हैं। पहले आडवाणी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नहीं पहुंचे थे और अब संसदीय बोर्ड की बैठक में। आडवाणी के इस्तीफे के बाद वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक ने यह संपादकीय लिखा था। वर्तमान संदर्भ में भी यह उतना ही सामयिक है...