रमजान का आखिरी जुमा आज

Webdunia
ND

इस्लाम धर्मावलंबियों के पवित्र माह रमजान का 23वाँ रोजा व जुमातुल-विदा आज है। रमजान के आखिरी जुमे के मौके पर मस्जिदों व नमाजगाहों में दोपहर को जुमातुल-विदा की नमाज अदा की गई। इस विशेष नमाज के पहले मस्जिदों के पेश इमाम जुमातुल-विदा का खुत्बा पढ़ा और नमाज के बाद अमन व खुशहाली की दुआएँ माँगी गई।

रमजान खत्म होने के बाद दूसरे दिन मनाई जाने वाली ईद-उल-फित्र की तैयारियाँ इन दिनों जोरों पर हैं। जैसे-जैसे रोजे बीतते जा रहे हैं लोग बाजारों की तरफ रुख कर रहे हैं। सभी अपनी-अपनी हैसियत के मुताबिक खरीददारी में जुटे हैं। बाजार में पर्दानशीं मुस्लिम महिलाओं को खरीददारी करते देखा जा सकता है।

मीना बाजार हुआ गुलजार- जबलपुर के मुस्लिम बहुल क्षेत्र चारखंभा में ईद के खास मौके पर सजने वाला ऐतिहासिक मीना बाजार गुलजार होने लगा है। रात्रिकालीन लगने वाले इस मीना बाजार में खरीददारों की भारी भी़ड़ उम़ड़ने लगी है। अफ्तार के बाद से ही मीना बाजार में चहल-पहल और खरीद-फरोख्त का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो देर रात तक जारी रहता है।

ND
इस मीना बाजार में सभी वर्ग और समुदाय के लोग खरीददारी करते नजर आते हैं। खासतौर पर मुस्लिम महिलाओं की खासी तादाद देखने को मिलती है।

तीन दिवसीय शबीना मुबारक- मुस्लिम बहुल क्षेत्र पुराना पुल की मस्जिद नूर में तीन दिवसीय शबीना मुबारक का एहतेमाम किया गया। रमजान के 20वें, 21वें और 22वें रोजे के मौके पर हाफिज अब्दुल वहाब, हाफिज अतीक अहमद, हाफिज मो. इमरान और हाफिज मो. आबिद ने तीन दिन के इस शबीना मुबारक में कुरआन की तिलावत फरमाई।

उस्तादुल हुफ्फुज हाफिज व कारी वकील अहमद साहब की जेरे-इनायत में और हाफिज मो. हुसैन साहब की जेरे-हिमायत में इस आयोजन को अंजाम दिया गया।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

मंगला गौरी व्रत कब रखा जाएगा, क्या है माता की पूजा का शुभ मुहूर्त

भविष्य मालिका की भविष्यवाणी के अनुसार तीसरा विश्‍व युद्ध कब होगा, भारत में लगेगा मिलिट्री शासन?

सावन सोमवार से संबंधित आरती चालीसा सहित महत्वपूर्ण जानकारी

अमरनाथ यात्रा शुरू, बालटाल और नुनवान आधार शिविरों से पहला जत्था रवाना

कैलाश मानसरोवर भारत का हिस्सा क्यों नहीं है? जानिए कब और कैसे हुआ भारत से अलग?

सभी देखें

धर्म संसार

05 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

पंचांग का ज्ञान, 7 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच क्या होने वाला है?

कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए क्यों नहीं लेते एक दूसरे का नाम?

05 जुलाई 2025, शनिवार के शुभ मुहूर्त

सावन में भोलेनाथ के इन 5 तीर्थों पर होता है भव्य मेलों का आयोजन, लगता है शिव भक्तों का तांता