रमजान का मंझला रोजा आज

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माह-ए-रमजान का मंझला (मध्य) रोजा बुधवार को रखा जाएगा। इस खास रोजे के मौके पर मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा एक-दूसरे को इफ्तारियाँ वितरित की जाएँगी। कई स्थानों पर सामूहिक रोजा इफ्तार के कार्यक्रम भी होंगे। रोजे के खास महत्व को देखते हुए कई लोग छोटे बच्चों से रोजा रखवाने की शुरुआत भी इसी दिन कराते हैं।

रमजान माह का 14वाँ रोजा और 15वीं रात होने से इसे मंझला रोजा कहा जाता है। इस दिन मस्जिदों में रोजा इफ्तार के दौरान खासी भीड़ रहती है। मुस्लिमों द्वारा घरों से यहाँ बड़ी मात्रा में इफ्तारी भेजी जाती है। इसके अलावा एक-दूसरे के घरों पर इफ्तारी भेजकर भी खुशी का इजहार किया जाता है।

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आमतौर पर इसी रोजे को बच्चों के रोजे की शुरुआत कराई जाती है। इसे बच्चों की रोजा खुशाई कहा जाता है।

जारी है मगफिरत (मुक्ति) का अशरा : रमजान का दूसरा अशरा (दस दिन) को मगफिरत यानी मुक्ति का अशरा माना जाता है। इन दस दिनों के दौरान रोजा रखने वाले व इबादत करने वाले को अल्लाह जहन्नुम (नरक) की आग से मुक्ति दे देता है। मुस्लिम धर्मावलंबी पूरी अकीदत के साथ इन दस दिनों में इबादत कर रहे हैं।

मगफिरत का यह अशरा आधा गुजर चुका है। पुरुष मस्जिदों में जाकर विशेष नमाजें अदा कर रहे हैं वहीं औरतें घरों में रहकर इबादत कर रही हैं।

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