योगिनी एकादशी व्रत के 10 चमत्कारी फायदे

WD Feature Desk
बुधवार, 18 जून 2025 (17:29 IST)
आषाढ़ माह में योगिनी और देवशयनी एकादशी आती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून को है। पद्म पुराण में योगिनी एकादशी के महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह व्रत सीधे भगवान विष्णु को समर्पित है। विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से भगवान नारायण प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं। इस एकादशी का व्रत रखने से 10 फायदे होते हैं।
 
पारण: 22 जून 2025 को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट से शाम 04 बजकर 35 मिनट के बीच पारण होगा। पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय- सुबह 09 बजकर 41 मिनट पर है। 
 
1. योगिनी एकादशी से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और व्यक्ति पारिवारिक सुख पाता है। 
 
2. यह व्रत सभी उपद्रवों को शांत कर सुखी बनाता है।
 
3. योगिनी एकादशी का व्रत करने से समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 
4. माना जाता है कि इस व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
 
5. यह व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। इस व्रत को विधित रखने से सिद्धि और सफलता मिलती है।
 
6. कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से किसी के दिए हुए श्राप का निवारण हो जाता है। 
 
7. यह एकादशी समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुंदर रुप, गुण और यश देने वाली कही गई है।
 
8. यह व्रत रखने से चंद्र से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं।
 
9. इस व्रत को रखने से भगवान नारायण प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं। 
 
10. यह व्रत गृह कलेश को शांत करके जीवन में शांति स्थापित करता है।
 
योगिनी एकादशी व्रत की कथा : 
अलकापुरी के राजा यक्षराज कुबेर के यहां हेम नामक एक माली कार्य करता था। उस माली का कार्य प्रतिदिन भगवान शिव के पूजन हेतु मानसरोवर से फूल लाना था। एक दिन उसे अपनी पत्नी के साथ रमण करने के कारण फूल लाने में बहुत देर हो गई। वह कुबेर की सभा में विलंब से पहुंचा। इस बात से क्रोधित होकर कुबेर ने उसे कोढ़ी हो जाने का श्राप दे दिया। 
 
श्राप के प्रभाव से हेम माली इधर-उधर भटकता रहा और भटकते-भटकते वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने अपने योगबल से उसके दु:खी होने का कारण जान लिया। यह जानकर ऋषि ने उससे कहा कि योगिनी एकादशी का व्रत करो तो श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। माली ने विधिवत रूप से योगिनी एकादशी का व्रत किया और व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ समाप्त हो गया।

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