6 जून : अचला (अपरा) एकादशी की 11 खास बातें
इस वर्ष 6 जून 2021, रविवार को अचला (अपरा) एकादशी पर्व मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं अचला या 'अपरा' एकादशी पापरूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है। अपरा एकादशी का अर्थ अपार पुण्य होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन और व्रत करने से मनुष्य को अपार पुण्य मिलता है। अत: मनुष्य को पापों से डरते हुए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को जीवन में मान-सम्मान, धन, वैभव, निरोगी काया और अपार खुशियों की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
आइए जानते हैं इस एकादशी की 11 खास बातें-
1. ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की ग्यारस तिथि को अपरा एकादशी पर्व मनाया जाएगा। पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी है, क्योंकि यह अपार धन देने वाली है। जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं, वे संसार में प्रसिद्ध हो जाते हैं।
2. इस दिन भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है।
3. अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ब्रह्म हत्या, भूत योनि, दूसरे की निंदा आदि के सब पाप दूर हो जाते हैं।
4. इस व्रत के करने से परस्त्रीगमन, झूठी गवाही देना, झूठ बोलना, झूठे शास्त्र पढ़ना या बनाना, झूठा ज्योतिषी बनना तथा झूठा वैद्य बनना आदि सब पाप नष्ट हो जाते हैं।
5. अपरा एकादशी का व्रत तथा भगवान का पूजन करने से मनुष्य सब पापों से छूटकर विष्णुलोक को जाता है।
6. जो क्षत्रिय युद्ध से भाग जाए वे नरकगामी होते हैं, परंतु अपरा एकादशी का व्रत करने से वे भी स्वर्ग को प्राप्त होते हैं।
7. जो शिष्य गुरु से शिक्षा ग्रहण करते हैं फिर उनकी निंदा करते हैं, वे अवश्य नरक में पड़ते हैं मगर अपरा एकादशी का व्रत करने से वे भी इस पाप से मुक्त हो जाते हैं।
8. मकर के सूर्य में प्रयागराज के स्नान से, शिवरात्रि का व्रत करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोमती नदी के स्नान से, कुंभ में केदारनाथ के दर्शन या बद्रीनाथ के दर्शन, सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र के स्नान से, स्वर्णदान करने से अथवा अर्द्ध प्रसूता गौदान से जो फल मिलता है, वही फल अपरा एकादशी के व्रत से मिलता है।
9. जो फल तीनों पुष्करों में कार्तिक पूर्णिमा को स्नान करने या गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से प्राप्त होता है, वही अपरा एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है।
10. मान्यता है कि पांडवों ने महाभारत काल में अपरा एकादशी की महिमा भगवान श्री कृष्ण के मुख से सुनी थी। श्री कृष्ण के मार्गदर्शन में इस व्रत को करके महाभारत युद्ध में विजय हासिल की थी।
11. शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन तामसिक भोजन व चावल नहीं खाने चाहिए। कहा जाता है ऐसा करने से मन में अशुद्धता आती है। अपरा एकादशी पर व्रतधारी को पूरा दिन व्रत रखकर शाम के समय भगवान विष्णु का पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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