Parivartini Ekadashi: पार्श्व एकादशी 2024 व्रत पूजा विधि, अचूक उपाय, मंत्र एवं पारण मुहूर्त

WD Feature Desk
सोमवार, 9 सितम्बर 2024 (14:57 IST)
Parivartini Ekadashi 2024 : भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी, डोल ग्यारस, पद्मा और पार्श्व एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु करवट बदलते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार और श्रीकृष्‍ण की विशेष पूजा की जाती है। इस एकादशी के व्रत से सभी दु:ख दूर होकर मुक्ति मिलती है। इस दिन को व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। आओ जानते हैं पूजा विधि, अचूक उपाय, मंत्र और पारण मुहूर्त यानी व्रत खोलने का समय।
 
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 13 सितम्बर 2024 को रात्रि 10:30 बजे से।
एकादशी तिथि समाप्त- 14 सितम्बर 2024 को रात्रि 08:41 बजे तक।
उदयातिथि के अनुसार- 14 सितंबर 2024 शनिवार को यह वृत रक्षा जाएगा।
 
परिवर्तिनी एकादशी पारणा मुहूर्त : 15 सितंबर 06:06:11 से 08:34:04 तक।
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एकादशी पूजा-विधि- Ekadashi Worship
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एकादशी के उपाय- Ekadashi Upay
 
1. पूजन के समय श्री विष्णु के सामने कुछ सिक्के रखें। पूजन के बाद सिक्कों को लाल रेशमी कपड़े में बांधकर पर्स या तिजोरी में हमेशा रखें। यह उपाय धन आगमन के साथ ही स्थिरता भी देगा।
 
2. यदि बार-बार कर्ज लेना पड़ रहा हैं या कर्ज नहीं उतर रहा है तो एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में शकर डालकर जल अर्पित करें और शाम के समय पीपल के नीचे दीया लगाएं।
 
3. आर्थिक लाभ के लिए इस भगवान विष्णु के मंदिर में 1 साबुत श्रीफल और 125 ग्राम साबुत बादाम चढ़ाएं।
 
4. एकादशी की रात्रि में घर में अथवा श्री विष्णु मंदिर जाकर श्रीहरि के सामने 9 बत्तियों वाला दीया जलाएं, दीया बड़ा लें ताकि वो रात भर जलता रहे। इस उपाय से आर्थिक प्रगति, ऋण चुकता होगा तथा जीवन में सुख-सौभाग्य और समद्धि आएगी। 
 
5. विवाह न हो रहा हो तो वे लोग इस एकादशी पर श्री विष्णु का पीले फूलों से श्रृंगार करके, सुगंधित चंदन लगाए तथा बेसन की मिठाई का भोग लगाएं। विवाह योग शीघ्र बनेंगे। 
 
6. ग्यारस के दिन दही एवं चांदी का दान करें, यह उत्तम फलदायी होगा। 
 
7. इस दिन विष्णु सहस्रनाम, श्री कृष्ण चालीसा एवं कृष्‍ण नामों का जाप करना चाहिए।
 
8. इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें, इससे धन की कमी दूर होगी।
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कृष्ण मंत्र- Ekadashi Mantra 
 
- ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम
- ॐ विष्णवे नम:
- कृं कृष्णाय नमः
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। 
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
- ॐ क्रीं कृष्णाय नमः
 

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