HIGHLIGHTS
• सफला एकादशी व्रत अश्वमेध यज्ञ का फल देता है।
• सफला एकादशी 07 जनवरी 2024, रविवार को मनाई जा रही है।
• राजसूय यज्ञ का फल देती है सफला एकादशी।
Saphala Ekadashi Vrat: वर्ष 2024 में सफला एकादशी व्रत रविवार, 07 जनवरी को पड़ रहा है। इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु को ऋतुफल अर्पित करने, एकादशी कथा पढ़ने तथा माहात्म्य सुनने से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
इस दिन भगवान नारायण की पूरे मन से पूजा करने से व्रतधारी विष्णु जी का कृपापात्र बन जाता है। पौष मास में सफला एवं पुत्रदा एकादशी आती है। सफला एकादशी मनुष्य जीवन को सफल बनाने वाली होती है। सफला व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। आपको बता दें कि एकादशी के दिन चावल खाना माना होता है। इसलिए इस दिन अपने घर में न खुद चावल खाएं ना ही घर के किसी सदस्य को खाने दें।
आइए यहां जानते हैं इस एकादशी के नियम, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त और पारण समय-
सफला एकादशी व्रत के नियम जानें-
- सफला एकादशी पर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, इस दिन सहवास वर्जित है।
- अपने स्वार्थ के लिए किसी भी दूसरे व्यक्ति को जानबूझ कर दुख देने से श्री विष्णु नाराज होते हैं, इसका अंत दुखद होता है।
- इस दिन सात्विक आचार-विचार रख प्रभु भक्ति में मन लगाना चाहिए।
- परनिंदा यानी दूसरों की बुराई नहीं करना चाहिए।
- एकादशी पर पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए, सोना नहीं चाहिए।
- एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है।
- इस दिन चोरी तथा हिंसा करना पाप कर्म माना गया है।
रविवार, 7 जनवरी 2024 : सफला एकादशी मुहूर्त एवं पारण समय
सफला एकादशी तिथि का प्रारंभ- 06 जनवरी 2024 को 04:11 पी एम से,
एकादशी तिथि का समापन- 07 जनवरी 2024 को 04:16 पी एम पर होगा।
पारण यानी व्रत तोड़ने का समय- सोमवार, 8 जनवरी 2024 को 05:16 ए एम से 07:48 ए एम पर।
पारण के दिन द्वादशी का समापन समय- 03:28 पी एम।
रविवार : दिन का चौघड़िया
चर - 06:50 ए एम से 08:25 ए एम
लाभ - 08:25 ए एम से 10:00 ए एम
अमृत - 10:00 ए एम से 11:35 ए एम
शुभ - 01:10 पी एम से 02:45 पी एम
रात का चौघड़िया
शुभ - 05:54 पी एम से 07:20 पी एम
अमृत - 07:20 पी एम से 08:45 पी एम
चर - 08:45 पी एम से 10:10 पी एम
लाभ - 01:00 ए एम से 08 जनवरी को 02:26 ए एम,
शुभ - 03:51 ए एम से 08 जनवरी को 05:16 ए एम तक।
पूजा विधि- Puja Vidhi
- हिन्दू मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन सिर्फ दिन के वक्त सात्विक आहार करना चाहिए।
- संध्याकाल में दातुन करके पवित्र होना चाहिए।
- रात्रि के समय भोजन नहीं करना चाहिए।
- भगवान के स्वरूप का स्मरण करते हुए सोना चाहिए।
- सफला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन लें।
- सबसे पहले श्री नारायण की पूजा के लिए ऋतु के अनुकूल फल, नारियल, नीबू, नैवेद्य आदि 16 वस्तुओं का संग्रह करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष घी की दीपक जलाएं।
- उन्हें तुलसी दल भी अर्पित करने के बाद आरती करें।
- आप व्रत रख रहे हैं तो पूजा के दौरान इसका संकल्प ले लें।
- भगवान विष्णु को चरणामृत का भोग लगाएं, इसमें तुलसी का एक पत्ता जरूर डालें।
- इस सामग्री से भगवान श्री कृष्ण, विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा जरूर करें।
- रात्रि के समय श्रीहरि के नाम से दीपदान करना चाहिए और आरती एवं भजन गाते हुए जागरण करें।
- इस एकादशी के व्रत के समान यज्ञ, तीर्थ, दान, तप तथा और कोई दूसरा व्रत नहीं है।
- पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने से पहले पारण कर लें।
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