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सफला एकादशी व्रत का पारण कब करें, जानिए शुभ मुहूर्त और सरल पारण विधि

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वर्ष 2021 के आखिरी गुरुवार (Thursday) यानी 30 दिसंबर को सफला एकादशी व्रत (Saphala Ekadashi 2021) किया जा रहा है। इस एकादशी का बहुत महत्व माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन खास संयोग निर्मित हो रहा है। 30 दिसंबर को दरअसल सफला एकादशी और गुरुवार का विशेष संयोग बन रहा है।

यह एकादशी व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है तथा गुरुवार guruvar का दिन देवगुरु बृहस्पति devguru brihaspati का खास दिन माना गया है। इस दिन बृहस्पति देव तथा भगवान विष्णु Lord Vishnu Worship की आराधना का दिन है। इस दिन सत्यनारायण की कथा Satynarayan Katha अवश्य सुनी अथवा पढ़ी जाती है। 
 
इस बार पौष कृष्ण एकादशी यानी सफला एकादशी के दिन पूजन के शुभ मुहूर्त और पारण का समय निम्नानुसार रहेगा। अत: इस अवसर का लाभ उठाकर आप विधिपूर्वक पूजन करके आप इसका संपूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं।
 
यहां जानिए सफला एकादशी के शुभ मुहूर्त एवं पारण टाइम-Saphala Ekadashi Muhurat n Parana Time
 
सफला एकादशी Saphala Ekadashi Tithi n Muhurat तिथि का प्रारंभ- दिन बुधवार, 29 दिसंबर 2021 को दोपहर 04.12 मिनट से शुरू होगा तथा गुरुवार, 30 दिसंबर 2021 दोपहर 01.40 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी। इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 12.03 मिनट से 12.44 मिनट तक है। प्रात:काल के बाद आप इस समय में भी पूजन कर सकते हैं। 
 
व्रत पारण का खास समय Saphala Ekadashi Parana Time-
शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021 को सुबह 07.14 मिनट से 09.18 मिनट तक करना उचित रहेगा। 
पारण की कुल अवधि- 2 घंटे 4 मिनट की रहेगी।
 
कैसे करें पारण, पढ़ें सरल विधि- Saphala Ekadashi Parana Kaise Karen

एकादशी व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सूर्योदय होने के बाद पारण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत खोलने का सबसे सही समय प्रात:काल ही होता है। व्रतधारी को मध्याह्न काल में व्रत का पारण नहीं करना चाहिए।

प्रात:काल में सूर्योदय के बाद 3-4 घंटों के अंदर ही व्रत खोलना या पारण कर लेना चाहिए। अगर किसी कारणवश व्रतधारी प्रात:काल में पारण न कर पाएं तो उन्हें प्रात: 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच व्रत ना खोलते हुए मध्याह्न काल खत्म होने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए यानी दोपहर 1 बजे के बाद आप पारण कर सकते हैं। 
 
एकादशी व्रत का पारण करने से पहले स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें। फिर भगवान श्री विष्णु का पूजन और आरती करें। उसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराएं तथा दान-दक्षिणा आदि देने के बाद ही स्वयं व्रत का पारण करें।

माना जाता हैं कि एकादशी व्रत करने वाले अगर नियमों के अनुसार पारण करते है तो उन्हें एकादशी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। पारण के समय जरा-सी भूल होने पर इस व्रत का कोई भी फल प्राप्त नहीं होता है। पारण वाले दिन तामसिक वस्तुएं सेवन न करें, इस बात का अवश्य ध्यान रखें।

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Brahman Bhoj
RK. 

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