एक आवाज पर्यावरण के लिए

विशाल मिश्रा

Webdunia
ND
ND
' सूरज की गर्मी से तपते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया' सोचकर ही कितना आनंद और सुकून सा मिलता है। लेकिन यह कब संभव है जब जगह-जगह हरे-भरे वृक्ष लगे होंगे और वृक्ष लगाने वाला कोई तो होना चाहिए।

हमारे पूर्वजों ने वृक्ष लगाए होंगे तभी आज हमारे आसपास दिखाई दे रहे हैं और हमें छाया प्रदान कर रहे हैं। दोस्तो लगभग 20 वर्ष पहले तक हमारे घर के कमरों में आकर एक छोटी सी चिड़िया फुदका करती थ ी। आज वह मुझे शहर से लगभग 15-20 किलोमीटर दूर ग्रामीण क्षेत्रों में जाने पर दिखाई देती है।

और कुछ कॉलोनियों में रंगीन तरह की चिड़िया और पक्षी दिखाई दे जाते हैं। फिर सोचता हूँ यह अंतर क्यों? जी हाँ, ठीक सोचा आपने। यही अंतर! मेरे घर के आसपास केवल इक्के-दुक्के पेड़ बचे हैं जबकि उन कॉलोनियों में लगभग हर घर के सामने या आँगन में हरे-भरे पेड़ हैं। पेड़ नहीं होंगे तो ये पक्षी अपने घर आखिर कहाँ बनाएँगे?

आज सड़कें बनती हैं, ओवरब्रिज बनते हैं। उनके लिए पेड़ों को न काटा जाए। हमारी मंशा तो यह बिल्कुल भी नहीं है। आखिर काम पड़ने पर बढ़ते यातायात का बोझ सहन करने के लिए सड़कें चाहिए और ओवरब्रिज भी। हम विकास के विरोधी नहीं हैं। लेकिन इनके बदले में अन्य स्थानों पर ही सही नए वृक्षों को लगाया जाए। अब तो धीरे-धीरे जस-के-तस पेड़ों को उखाड़कर उन्हें अन्यत्र रोपने की तकनीक का इस्तेमाल भी हो रहा है।

साल-दर-साल बारिश का कम होना, भूजल स्तर कम होना और इसके विपरीत गर्मी की तपन बढ़ते जाना आदि चीजें सीधे-सीधे इसी पर्यावरण से जुड़ी हैं। जब इसके दृष्टिगोचर होते परिणामों के बाद तो हमें चेत ही जाना चाहिए कि यह पर्यावरण हमारे लिए जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी है। तो क्यों न सर्वप्रथम इसकी रक्षा की जाए और समय रहते ग्लोबल व ार्मिंग के दुष्प्रभावों से बचा जाए। कहा भी जाता है कि एक पेड़ लगाने से एक यज्ञ के बरा बर पुण्य फल प्राप्त होता है। कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएँ और इसकी देखभाल भी करें। कुछ वर्षों बाद यह बड़ा होगा देखकर दिल को सुकून देगा। हर साल या 2 साल में या 5 साल में भी 1-1 वृक्ष आपने लगाया तो मैं समझता हूँ प्रकृति भी इसका तहेदिल से जरूर श‍ुक्रिया अदा करेगी और आगे चलकर इससे निश्चित रूप से हम लाभान्वित होंगे।

शहर में मेरा मित्र बाहर से आया और 'पितृ पर्वत' पर घूमने गया, जहाँ पर बुजुर्गों की याद में पेड़ पौधे लगाए जाते हैं, यहाँ की हरियाली देखकर बहुत प्रभावित हुआ और कहने लगा कि यहाँ तो स्वर्ग जैसा लग रहा है।

पिछले दिनों शहर के समाचार-पत्रों मध्‍यप्रदेश के इंदौर शहर के ग्रीनबेल्ट के लिए जो जागरुकता दिखाई और प्रस्तावित गोल्फ मैदान का पुरजोर विरोध किया, काबिलेतारीफ है और इसके लिए लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ साधुवाद का हकदार है। इतनी आवाजें एक साथ उठेंगी तो विरोध करने वाला कोई बचेगा ही नहीं। आसमान में सुराख भी होगा, लेकिन आवश्यकता है एक पत्थर ईमानदारी के साथ उछालने की। तो आइए लहलहाएँ अपने हिस्से की हरियाली।

Show comments

इस चाइनीज सब्जी के आगे पालक भी है फैल! जानें सेहत से जुड़े 5 गजब के फायदे

आइसक्रीम खाने के बाद भूलकर भी न खाएं ये 4 चीज़ें, सेहत को हो सकता है नुकसान

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

लू लगने से आ सकता है हार्ट अटैक, जानें दिल की सेहत का कैसे रखें खयाल

जल्दी निकल जाता है बालों का रंग तो आजमाएं ये 6 बेहतरीन टिप्स

AC का मजा बन जाएगी सजा! ये टेंपरेचर दिमाग और आंखों को कर देगा डैमेज, डॉक्टरों की ये सलाह मान लीजिए

गर्मी में फलों की कूल-कूल ठंडाई बनाने के 7 सरल टिप्स

घर में नहीं घुसेगा एक भी मच्छर, पोंछे के पानी में मिला लें 5 में से कोई एक चीज

क्या कभी खाया है केले का रायता? जानें विधि

जीने की नई राह दिखाएंगे रवींद्रनाथ टैगोर के 15 अनमोल कथन