आओ बढ़ाएँ प्रकृति-प्रेम

Webdunia
- प्रियंका शा ह

NDND
जिस प्रकृति में हमने जन्म लिया,
आओ बचाएँ उस अमूल्य गोद को।

उजड़ न जाए कहीं इस थल-जल-नभ से,
ईश्वर के दिए इस अमूल्य धन से,
उसका वो हरियाली का आँचल,
जो महकाता था हर घर-आँगन।

जिस प्रकृति से जीवन बना है सरल
क्यों बन गया वह अब इतना विरल,
आओ सजाएँ आज फिर इसकी कोख,
प्रेम के फूल खिलाएँ हम इसकी गोद।

चारों दिशाओं में हो लहराता आँचल,
हरा-भरा हो हर घर-आँगन
पूजे गंगा-जमुना-सरस्वती को
जिसने दिया जीवन जन-जन को ।

सागर की हर लहर से उठती हैं यह आस,
प्रेम से हो अब प्रकृति का सृजन और साज,
ईश्वर के दिए इस अमूल्य धन को,
पूजते रहें हम बारम्बार।

Show comments

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के साथ जा रहे हैं घूमने तो इन 6 बातों का रखें ध्यान

कार्ल मार्क्स: सर्वहारा वर्ग के मसीहा या 'दीया तले अंधेरा'

राजनीति महज वोटों का जुगाड़ नहीं है

जल्दी निकल जाता है बालों का रंग तो आजमाएं ये 6 बेहतरीन टिप्स

मॉरिशस में भोजपुरी सिनेमा पर व्‍याख्‍यान देंगे मनोज भावुक

गर्मी के मौसम में कितनी बार सनस्क्रीन लगाना चाहिए, जानिए सही समय