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कोविड संक्रमण ने डैमेज किए हमारे फेफड़े, Tuberculosis दुनिया के लिए नया खतरा, WHO ने क्‍यों बताया टीबी को खतरनाक?

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नवीन रांगियाल

टीबी यानी Tuberculosis फेफड़ों से जुड़ी एक बेहद पुरानी बीमारी है। हालांकि सही समय पर सही उपचार के बाद यह बीमारी ठीक हो सकती है। लेकिन बेहद डराने वाली बात है कि पिछले दो सालों में दुनिया में टीबी के मरीजों और इससे होने वाली मौतों के ग्राफ में जबरदस्‍त उछाल आया है।

डब्‍लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के कई देशों में पिछले दो सालों में टीबी से कई मौतें हुई हैं, वहीं कई देशों में स्‍थिति बेहद डरावनी है। चिंता वाली बात है कि जिन देशों में सबसे ज्‍यादा मौतें दर्ज की गईं उनमें भारत भी शामिल है। इसके बाद इस सूची में इंडोनेशिया, म्यांमार और फिलीपींस आते हैं। वहीं कई देशों में इसका बेहद खराब असर पड़ा है। आखिर क्‍या है वजह कि दो सालों में टीबी के मरीजों की संख्‍या में इतनी बढ़ोतरी हुई है।

भारत में लगातार फेफड़ों और टीबी के मरीजों की संख्‍या बढ़ रही है। वेबदुनिया ने इसी संबंध में डॉक्‍टरों से चर्चा कर जानी आखिर क्‍या है हकीकत।

क्‍या कोरोना संक्रमण है बड़ी वजह?
डॉक्‍टरों के मुताबिक इसके पीछे कोरोना संक्रमण एक बड़ी वजह है। दरअसल, एक तो कोरोना संक्रमण ने लोगों के फेफड़ों को बहुत कमजोर बल्‍कि एक तरह से डैमेज कर दिया और दूसरा यह कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान लगने वाले लॉकडाउन की वजह से टीबी के उन मरीजों का इलाज नहीं हो सका जो पहले से इस बीमारी से ग्रसित थे।

कोरोना ने डैमेज किए फेफड़े
शहर के जाने- माने पल्‍मनोलॉजिस्‍ट, डॉ सलील भार्गव ने बताया कि निश्‍चित तौर पर इन दिनों टीबी के मरीजों की संख्‍या में इजाफा हुआ है। कोविड संक्रमण में लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे, अब भी लोगों में यह डर है कि उन्‍हें फेफड़ों का संक्रमण हो सकता है। अगर कई दिनों से खांसी और सीने में से आवाजें आ रही हैं तो इसे शुरुआती लक्षण मानना चाहिए और तुरंत डॉक्‍टर से परामर्श लेना चाहिए।

फेफड़ों संबंधी शिकायतें आ रही हैं
इंदौर के कोकिलाबेन अस्‍पताल में सेवाएं दे रहे डॉ जाने- माने पल्‍मनोलॉजिस्‍ट डॉ रवि दोशी ने वेबदुनिया को बताया कि कोविड के दौरान कई मरीजों की खांसी का इलाज कोविड संक्रमण मानकर ही किया गया था, इससे टीबी के कई मरीजों का इलाज हो गया। वहीं जागरूकता बढ़ने से भी लोग इस बीमारी का इलाज सही समय पर लेने लगे हैं। लेकिन यह सही बात है कि कोविड संक्रमण ने लोगों के फेफड़ों को काफी कमजोर कर दिया है। जिससे फेफड़ों संबंधी शिकायतें आ रही हैं। अस्‍पतालों में ऐसे मरीजों की संख्‍या में इजाफा हुआ है

Tuberculosis: क्‍या है दुनिया की स्‍थिति
WHO की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-2021 में विश्‍व में टीबी के मरीजों की संख्‍या के साथ ही इससे मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है। यहां तक कि भारत में भी ज्‍यादा मौतें दर्ज की गई हैं।

क्‍या कोविड महामारी है जिम्‍मेदार?
डब्‍लूएचओ ने भी इसके पीछे कोरोना महामारी को एक बड़ी वजह माना है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में इससे करीब 16 लाख मौतें हुई। दो साल के भीतर करीब 14 फीसदी इजाफा हुआ। वहीं, 2019 में टीबी से मरने वालों का आंकड़ा 14 लाख था। रिपोर्ट कहती है कि 2021 में करीब 1 करोड़ लोग इसकी चपेट में आए थे। जो साल 2020 के मुकाबले 4.5 फीसदी ज्‍यादा हैं। दक्षिण पूर्व एशिया में यह आकड़ा 45 फीसद था। अफ्रीका में 23 पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 18 फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रसित हुए। टीबी भी कोरोना की तरह हवा में फैलने वाला संक्रमण है, ऐसे में इलाज नहीं मिलने पर यह एक से दूसरे में फैलता जाता है।
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दुनिया में Tuberculosis की तबाही
  • 2019 में टीबी से 14 लाख लोग मरे
  • 2021 में करीब 1 करोड़ लोग इसकी चपेट में आए
  • 2021 में टीबी से दुनिया में 16 लाख मौतें हुईं
  • 2020-2021 में कोरोना की वजह से थमा टीबी रोको अभियान
  • 02 सालों टीबी के मामलों में 14 फीसदी की तेजी
  • 2005 से 2019 के बीच कम हुआ था मौतों का आकड़ा
  • 2020-21 इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
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इन देशों में सबसे ज्‍यादा मौतें
भारत, इंडोनेशिया, म्यांमार, फिलीपींस
इन देशों में सबसे ज्‍यादा असर
भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश, कांगो
क्‍या हैं फेफड़ों में संक्रमण के लक्षण
  • अगर दो हफ्तो से ज्‍यादा समय तक खांसी आए
  • थोड़े बहुत चलने से सांस फूल जाए
  • सांस लेने में छाती में से सीटी बजने की आवाज आए
  • अगर इस तरह के लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए।
फेफड़ों का दुश्मन धूम्रपान : धूम्रपान के कारण फेफड़ों के कैंसर और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का खतरा सबसे अधिक देखा जाता रहा है। सिगरेट का धुआं वायु मार्ग को संकीर्ण कर देता है जिससे सांस लेना कठिन हो सकता है। समय के साथ सिगरेट के धुएं से फेफड़ों के ऊतकों को भी नुकसान पहुंचने लगता है जिसके कारण कैंसर का भी खतरा हो सकता है।

प्रदूषण का खतरा : फेफड़ों की समस्या के लिए इनडोर और आउटडोर प्रदूषण, दोनों से बचाव करना बहुत आवश्यक माना जाता है। विशेषतौर पर डॉक्टर्स इनडोर प्रदूषण को फेफड़ों के लिए बहुत नुकसानदायक मानते हैं। डॉक्टर्स बताते हैं, इनडोर वायु प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने के कारण फेफड़ों की कई गंभीर बीमारियों का जोखिम हो सकता है

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