Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मध्यप्रदेश में OBC आरक्षण के साथ होंगे पंचायत और निकाय चुनाव, पढ़ें अब तक पूरा घटनाक्रम

हमें फॉलो करें मध्यप्रदेश में OBC आरक्षण के साथ होंगे पंचायत और निकाय चुनाव, पढ़ें अब तक पूरा घटनाक्रम
webdunia

विकास सिंह

, बुधवार, 18 मई 2022 (14:15 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव अब ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे यह साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज राज्य सरकार की ओर से दायर मोडिफिकेशन याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने की सिफारिश को अपनी मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को स्थानीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने के लिए एक सप्ताह में नोटिफिकेशन जारी करने के निर्देश दिए है। 
 
मध्यप्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर लंबे समय से भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही है। इसके साथ ओबीसी आरक्षण का मुद्दा हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीमतक चला। आइए आपको सिलसिलेवार बताते है कि आखिर क्या है पूरा मामला और अब तक इसमें क्या हुआ।
 
चुनाव कराने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश?- मध्यप्रदेश में पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव प्रकिया पूरी करने के निर्देश दिए। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान में हर 5 साल के अंदर चुनाव कराने की व्यवस्था है, लिहाजा चुनावों में देरी नहीं की जा सकती। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 2 सप्ताह के अंदर पंचायत एवं नगर पालिका के चुनाव की अधिसूचना जारी करने के चुनाव आयोग को निर्देश दिए। इसके साथ ही कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर भी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि जो भी पॉलिटिकल पार्टी ओबीसी की पक्षधर हैं, वो सभी सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार उम्मीदवार उतारने के लिए स्वतंत्र है। 
 
सरकार ने लगाई मोडिफिकेशन याचिका-ओबीसी आरक्षण को लेकर लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मोडिफिकेशन याचिका लगाई। सरकार ने मोडिफिकेशन याचिका में दो मांगे रखी है। जिसमें पहली 2022 के परिसीमन के आधार पर हमें चुनाव में पिछडे वर्ग को समाहित कर अनुमति प्रदान करें। वहीं दूसरी मांग में हमने 2022 के परिसीमन के आधार पर चुनाव होंगे उस हिसाब से थोडे समय की मांग की है, ताकि जहां परिसीमन को लेकर भ्रम की स्थिति है वह साफ हो।
 
पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सिफारिश-सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले पर सुनवाई के बीच पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने अपनी रिपोर्ट जारी कर दावा किया कि प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता लगभग 48 प्रतिशत है। रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में कुल मतदाताओं में से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मतदाता घटाने पर शेष मतदाताओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता 79 प्रतिशत है।

आयोग में अपनी अनुशंसा में कहा राज्य सरकार त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों के सभी स्तरों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कम से कम 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित करे। इसे साथ राज्य सरकार समस्त नगरीय निकाय चुनावों के सभी स्तरों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कम से कम 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित करे। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों एवं नगरीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण सुनिश्चित किये जाने हेतु संविधान में संशोधन करने के लिए राज्य सरकार की ओर से भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाये।
 
OBC आरक्षण का मुद्दा कैसे उलझा?– शिवराज सरकार ने 21 नवंबर 2021 को मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संसोधन) अध्यादेश 2021 लाकर कमलनाथ सरकार के समय 2019 में हुए पंचायत के परिसीमन (Delimitation डिलिमिटेशन) और आरक्षण को समाप्त कर दिया था। सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया था कि यदि परिसीमन एक साल के भीतर लागू न हो तो एमपी पंचायत एक्ट के अनुसार वह स्वत: ही समाप्त हो जाता है। संविधान के अनुच्छेद 213 क्लॉज 1 की शक्तियों(राज्यपाल को शक्ति प्रदान करता है) का प्रयोग करते हुए शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संसोधन) अध्यादेश 2021 लाकर मध्यप्रदेश पंचायती राज अधिनियम की मूल धारा 9 में नई धारा 9A जोड़ दी है, जिसमें दो बिंदुओं को जोड़ा गया है। पहला 2019 के परिसीमन को समाप्त करना और रोटेशन प्रकिया का ज़रूरी नहीं होना। 
 
पंचायत चुनाव की तारीखों का हुआ था एलान-सरकार के इस फैसले के बाद 4 दिसंबर 2021 को मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रदेश के सभी 52 जिलों में पंचायत चुनाव को तीन चरणों में कराने की घोषणा कर देता है जिसके बाद ग्राम पंचायतों में आचार संहिता लागू हो जाती है और चुनाव का माहौल शुरू हो जाता है।
 
सरकार के फैसले के खिलाफ कांग्रेस गई कोर्ट-शिवराज सरकार के कमलनाथ सरकार के समय के आरक्षण और परिसीमन रद्द करने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने जबलपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 9 दिसंबर को जबलपुर हाईकोर्ट में पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। इस बीच जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले से पहले ही 7 दिसंबर को कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर और जया ठाकुर ने पंचायत चुनाव में रोटेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते है। वहीं जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और पूरे मामले की पैरवी करने वाले वकील विवेक तनखा की ओर से सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की जाती है।
 
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद चुनाव प्रक्रिया रूकी-सुप्रीम कोर्ट पहले पूरे मामले को जबलपुर हाईकोर्ट भेजता है लेकिन वहां से एक बार फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में 17 दिसंबर को सुनवाई होती है और सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग से पूछता है कि क्या ओबीसी को 27% आरक्षण देकर पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं, राज्य सरकार के पास कोई ऐसा पुख्ता डेटा नहीं है तो फिर सरकार पंचायत चुनाव में ओबीसी को 27% आरक्षण देकर पंचायत चुनाव क्यों करा रही है। 
 
राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से ठोस जवाब न मिलने के कारण सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र फैसले (महाराष्ट्र निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराए जाएं) के संदर्भ में ही एमपी पंचायत चुनाव पर अहम फैसला सुनाता है और मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग को कड़ी फटकार लगाते हुए निर्देश देता है कि आप चुनाव जारी रखें, लेकिन जहां ओबीसी आरक्षित पदों पर चुनाव होने हैं उनको सामान्य सीट करके चुनाव कराए जाएं, नहीं तो हम चुनाव रद्द भी कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद निर्वाचन आयोग 17 दिसंबर की शाम को ही एक नोटिफिकेशन जारी करता है। जिसमें ओबीसी आरक्षित पंच, सरपंच, जनपद, जिला पंचायत सदस्य के चुनाव पर रोक लगा दी जाती है।
 
शिवराज सरकार ने वापस लिया अध्यादेश-सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद शिवराज सरकार बड़ा फैसला करते हुए डिलिमिटेशन संबंधी अध्यादेश वापस ले लिया और चल रहीं चुनाव प्रक्रिया को निरस्त का प्रस्ताव राज्यपाल को भेज दिया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद चुनाव आयोग की तरफ से पंचायत चुनाव को लेकर चल रही पूरी प्रक्रिया को रोक दिया जाता है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इंद्राणी मुखर्जी को जमानत, साढ़े 6 साल से जेल में बंद थी शीना बोरा हत्याकांड की आरोपी