भारत जोडो यात्रा की 07 बातें जो बताती है राहुल और कांग्रेस ने क्या खोया, क्या पाया?

क्या भारत जोड़ो यात्रा से निकली राहुल और कांग्रेस की आगे की राह?

विकास सिंह
सोमवार, 30 जनवरी 2023 (15:45 IST)
राहुल गांधी के अगुवाई में पिछले साल 7 सितंबर से कन्याकुमारी से निकली भारत जोड़ो यात्रा का आज कश्मीर में समापन हो गया। कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा ने 137 दिनों के अपने सफर में 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेश के 75 ज़िलों से होती हुई आज कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर में रैली के साथ समाप्त हो गई है। वहीं रविवार को श्रीनगर के लाल चौक पर राहुल गांधी घंटाघर पर झंडारोहण से ख़त्म हुई। यात्रा के समापन के अवसर राहुल गांधी अपने जीवन के अनुभवों को सुनाते हुए भावुक भी हो गए।

भारत जोड़ो यात्रा के समापन के साथ अब उसका राजनीतिक नजरिए से विश्लेषण भी शुरु हो गया है। ‘वेबदुनिया’ ने भी  भारत जोड़ो यात्रा के दौरान चर्चा मे रहने वाले बड़े सवालों का विश्लेषण करने की कोशिश की।

1-यात्रा से बदल गई राहुल गांधी की छवि?-भारत जोड़ो यात्रा को राहुल गांधी की छवि बदलने की एक कोशिश के तौर पर देखा गया। यात्रा के दौरान कांग्रेस राहुल गांधी की इमेज बिल्डिंग की कोशिश करती हुई दिखाई दी। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हरियाणा में खुद राहुल गांधी का यह बयान कि उन्‍होंने "राहुल गांधी को मार दिया है" पूरी यात्रा के मकसद के बारे में काफी कुछ इशारा करता है। मीडिया के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि "राहुल गांधी आपके दिमाग में है, मैंने उन्‍हें मार दिया है,वह मेरे दिमाग में बिल्‍कुल भी नहीं है वह चले गए हैं..."।

इसके साथ भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि उनके छवि को खराब करने के लिए करोड़ों रूपए खर्च किए गए। इसके साथ भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी की ब्रांडिंग पर खासा फोकस किया गया। भारत जोड़ो यात्रा की खास बात यह रही कि पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी की ब्रांडिग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तर्ज पर करने की कोशिश की गई। यात्रा के दौरान कांग्रेस के नेताओं ने  राहुल गांधी को तपस्वी के साथ हिंदुत्व के नायक के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की।
 

भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी की ब्रांडिंग एक जननायक नेता के तौर पर की गई। दक्षिण के राज्यों से लेकर मध्यप्रदेश और दिल्ली से लेकर जम्मू कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी लोगों के  साथ खुलकर मिलते हुए नजर आए। चुनावी राज्य जैसे मध्यप्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा को जिस तरह रिस्पॉन्स मिला उससे पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश आ गया। खुद राहुल गांधी भी मध्यप्रदेश मे भारत जोड़ो यात्रा को मिले लोगों रिस्पॉन्स की तारीफ की।

ऐसे में अब भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर यह सवाल पूछा जाने लगा है कि क्या राहुल गांधी की छवि बदल गई। अगर पूरी यात्रा को देखा जाए तो कहा जा सकता है कि भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी के एक अलग छवि निकलकर सामने आई।

‘वेबदुनिया’ से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक कहते है कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा से अपने विरोधियों को ही पप्पू साबित कर दिया है। यात्रा के दौरान  राहुल गांधी ने भी खुद कहा है कि वे राहुल गांधी को पीछे छोड़ आए। भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी को पप्पू जैसे अंलकारों से सुशोभित करने वालों को एक करारा जवाब मिल गया।  

2-विपक्ष का चेहरा बन पाएं राहुल गांधी?-राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस ने राहुल गांधी को विपक्ष का चेहरा बनाने की भी कोशिश की गई। दक्षिण से लेकर उत्तर तक भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए विपक्षी पार्टियों को कई बार न्यौता भेजा गया। अगर पूरी यात्रा का विश्लेषण करें तो दक्षिण की कई क्षेत्रीय पार्टियों के नेता राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में नजर आए लेकिन उत्तर भारत में विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने इससे दूरी बना ली है।

भारत जोड़ो यात्रा के श्रीनगर के समापन समारोह में विपक्षी दलों को न्यौता भेज गया लेकिन विपक्ष के बड़े नेताओं ने इससे दूरी बना ली। गौर करने वाली बात यह है कि जिन क्षेत्रीय पार्टियों के साथ कांग्रेस राज्यों में गठबंधन में है उसके नेता भी राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में नजर नहीं आए। जेडीयू के नीतीश कुमार,एनसीपी के शरद पवार,शिवसेना के उद्धव ठाकरे के साथ समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव,बसपा की सुप्रीमो मायावती और टीएमसी की नेता ममता बनर्जी ने भी भारत जोड़ो यात्रा से दूरी बनाकर रखी। 
 

हलांकि जम्मू-कश्मीर में दोनों प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला जरूर भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी साथ नजर आए। वहीं दक्षिण के सुपरस्टार कमल हासन ने दिल्ली में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर दक्षिण की सियासत के लिए एक नया सियासी संदेश भी दे दिया।

3-कांग्रेस संगठन को जिंदा कर पाएं राहुल गांधी?-भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने कांग्रेस के संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश की। यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ बूथ स्तर के कार्यकर्ता भी नजर आए। इसके साथ राहुल गांधी यात्रा के दौरान पार्टी के कार्यलाय पर जाने के साथ अलग-अलग राज्य में नेताओं के साथ बैठक कर संगठन को मजबूत करने के साथ एकता का मंत्र दिया।   यात्रा के दौरान राहुल गांधी की नजर कांग्रेस के कोर वोटर्स पर भी रही और उन्होंने उस कोर वोटर को पार्टी से जोड़ने की हर मुमकिन कोशिश की। राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं के जरिए दलित और आदिवासियों वोटर्स के साथ यूथ वोटर्स को पार्टी के साथ जोड़ने की पूरी कोशिश की।

4-कांग्रेस में खत्म हुआ विचारधारा का संकट?-भारत जोड़ो यात्रा के जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश की राहुल गांधी ने की। राहुल ने लोगों से जनता से मंहगाई, बेरोजगारी और लोकतंत्र के मुद्दे पर लोगों के साथ सीधा संवाद किया। दरअसल राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के साथ कांग्रेस की उस वैचारिक धुंध को भी साफ करने  की कोशिश की, जिसके चलते पार्टी लंबे समय से कठघरे में खड़ी होती नजर आती रही है।

यात्रा के दौरान वीर सावरकर के माफीनामे जैसे मुद्दे को उठा कर राहुल कांग्रेस के वैचारिक तौर पर सियासी एजेंडे को स्पष्ट कर रहे है। असल में राहुल गांधी एकदम स्पष्ट समाजिक अवधारणा के लेकर भारत जोड़ो यात्रा में उतरे है वह भाजपा से ज्यादा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ एक वैचारिक लड़ाई है। 
 

5-मोदी के लिए चैलेंज बन पाएंगे राहुल गांधी?-भारत जोड़ो यात्रा को 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी के खिलाफ राहुल गांधी के एक चेहरे के रूप में स्थापित करने के तौर पर भी देखा गया। कन्याकुमारी से शुरु की गई भारत जोड़ो यात्रा के समापन के बाद अब यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि क्या राहुल गांधी 2024 में मोदी के लिए चैलेंज बन पाएगा। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अक्रामक नजर आए। 2014  में केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत जोड़ो यात्रा के बहाने कांग्रेस ने पहली बार देशव्यापी इतना बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया।

6-भारत जोड़ो यात्रा का सभी वर्ग का मिला समर्थन?-राहुल गांधी की अगुवाई में निकली भारत जोड़ो यात्रा को समाज के सभी वर्ग का समर्थन मिला। भारत जोड़ो यात्रा में राजनीति के साथ सामाजिक क्षेत्र, मनोरंजन क्षेत्र, खेल क्षेत्र और आर्थिक जगत के क्षेत्र के चेहरे शामिल हुए। कांग्रेस ने इसे जनसमर्थन  के तौर पर बताया। वहीं भारत जोड़ो यात्रा में ऐसे चेहरे भी शामिल हुए जो अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा के केंद्र में रहते है और वह एक लंबे समय से देश की मौजूदा सरकार के खिलाफ खुलकर मोर्चा लेते हुए दिखाई देते है।

 
7-यात्रा से निकली राहुल और कांग्रेस की आगे की राह?-भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने हिंदुस्तान की जनता के लिए यात्रा की। लोकतंत्र में जनता ही जर्नादन होती है और वहीं नेताओं और पार्टियों का भविष्य बनाती है और बिगाड़ती है। ऐसे में अब जब भारत जोड़ो यात्रा समाप्त हो चुकी है तब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की आगे की राह निकलेगी।
 

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