बिहार में जहरीली शराब से करीब 40 लोगों की मौत हो गई। यह पहला मामला नहीं है, जब बिहार या देश के किसी दूसरे राज्य में इस जहरीले नशे से लोगों की मौत हुई हो। इसके पहले भी बिहार और गुजरात में मौतें हो चुकी हैं, जबकि इन दोनों ही राज्यों में शराबबंदी है।
बिहार में तो जहरीली शराब से मौतों के इतने मामले आ चुके हैं कि अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां तक कह डाला है कि लोगों को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि जब शराब बंदी है, तो खराब शराब मिलेगी ही। जो शराब पियेगा वो मरेगा
ऐसे में सवाल है कि आखिर क्यों बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में शराबबंदी कर रखी है, क्योंकि अवैध शराब का धंधा सबसे ज्यादा वहीं पनपता है, जहां शराब पर प्रतिबंध है। इसकी पीछे वजह यह है कि असामाजिक तत्वों को दो नंबर में या अवैध शराब के कारोबार में ज्यादा मुनाफा होता है, क्योंकि जहां शराबबंदी है, वहां इसकी डिमांड भी ज्यादा होती है। साथ ही इस रिपोर्ट में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर जहरीली शराब में ऐसा क्या होता है, जिससे लोगों की मौत हो जाती है। चिकित्सकों को जानेंगे कि इस तरह की शराब जिसे जहरीली कहा जाता है, वो शरीर के किस अंग पर और कैसे काम करता है कि पीने के कुछ ही घंटों में व्यक्ति की मौत हो जाती है।
पहले जानते हैं क्या हुआ बिहार में
बिहार के छपरा में जहरीली शराब की वजह से पिछले 3 दिन में 39 लोगों की मौत हो गई। जबकि बिहार में पिछले 6 साल से शराबबंदी है। यानी यहां वैध तौर पर शराब की बिक्री नहीं हो सकती, जैसे देश के दूसरे राज्यों में होती है। शराबबंदी ही वो वजह से जिसकी वजह से बिहार में अवैध शराब का कारोबार जोर पकड़ रहा है। क्योंकि शराब के अवैध कारोबार करने वाले और तस्करी में शामिल लोगों को अवैध कारोबार से ही ज्यादा मुनाफा होता है। कुल मिलाकर बिहार की सरकार के लिए शराबबंदी एक तरह से सिर का दर्द बन गई है,क्योंकि यहां हर साल शराब पीने से कई गरीब लोगों की मौत हो जाती है।
क्या कहते हैं बिहार के आंकड़े?
2016 से बिहार में शराबबंदी है
6 साल से बिहार में शराबबंदी है
1 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जहरीली शराब से
6 लाख से ज्यादा लोग जेल भेजे जा चुके हैं
10 हजार लीटर शराब रोजाना जब्त की की जाती है बिहार में
45 से ज्यादा लोगों को हर महीने शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किया जाता है
(बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने यह आंकडे मीडिया में बताए हैं।)
6 साल में देश में 6,172 की मौत
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 से 2022 तक देश में जहरीली शराब पीने से 6,172 लोगों की मौत हो चुकी है। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया- 2016 में 1054, 2017 में 1510, 2018 में 1365, 2019 में 1296 और 2020 में 947 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई।
शराब से मौत में टॉप चार राज्य
मध्यप्रदेश : 1214 मौतें
बिहार : 1000 मौतें
कर्नाटक : 909 मौतें
पंजाब : 725 मौतें
कैसे फैलता है अवैध शराब का नेटवर्क?
दरअसल, जिन राज्यों में शराब पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है, वहां तो आसानी से शराब मिल जाती है। लेकिन बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में शराब पीने वालों को कई तरह के जतन करना पडते हैं। ऐसे में अवैध शराब के माफिया सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में जहां प्रतिबंध है वहां शराब की बिक्री ज्यादा होती है। गुजरात में राजस्थान और मध्यप्रदेश बॉर्डर पर ऐसे गिरोह सक्रिय हैं। वहीं बिहार में यूपी बॉर्डर, झारखंड और पश्चिम बंगाल बॉर्डर पर अवैध शराब के गिरोह और तस्कर सक्रिय रहते हैं।
कैसे हो जाती है जहरीली शराब से मौत?
इंदौर के जाने-माने जनरल फिजिशियन डॉक्टर प्रवीण दाणी ने खासतौर से वेबदुनिया को बताया कि जो इथाइल एल्कोहल वाली शराब को नॉर्मल शराब माना जाता है, जिसे हम अच्छी और लाइसेंस्ड वैध दुकानों से खरीदकर पीते हैं, जबकि जहरीली शराब में मिथाइल अल्कोहल होता है। डॉ दाणी ने बताया कि दरअसल, मिथाइल एल्कोहल सस्ता होता है या सस्ता पडता है, इसलिए इसे शराब में डाला जाता है। ये बॉडी में मेटाबॉलिक एसीडोसेस बढ़ाने का काम करता है। अगर यह स्तर बढ़ता है तो शरीर के ऑर्गन यानी बॉडी पार्ट काम करना बंद कर देते हैं।
डॉ दाणी ने बताया कि छोटे अस्पतालों यह डिडक्ट नहीं हो पाता है। ऐसे में ऐसी शराब पीने वालों की मौत हो जाती है। यह आंखों पर असर डालकर लोगों को अंधा भी कर सकता है। लेकिन समय पर सही अस्पताल या डॉक्टर के पास ले जाने पर जान बचाई जा सकती है। जानकारों के मुताबिक शराब का अवैध धंधा करने वाले और तस्कर खर्च ज्यादा होने की वजह से आमतौर पर अस्पतालों में उपयोग होने वाले सर्जिकल स्प्रिट का इस्तेमाल करते हैं। इसमें 95 प्रतिशत इथेनॉल और 5 प्रतिशत अल्कोहल होता है।