अकबरुद्दीन ओवैसी : प्रोफाइल

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विभिन्न विचार धाराओं के नेता अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए समय-समय पर हिंसा भड़काने वाले उत्तेजक बयान देते रहे हैं। इन्ही में से एक आंध्रप्रदेश में अपने मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करने और भड़काऊ भाषण देने वाले एक विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी भी हैं। वैसे आंध्रप्रदेश में ओवैसी परिवार ठीक उसी तरह से है जैसे कि महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार।

हैदराबाद में रहने वाले अकबरुद्दीन ओवैसी पर हाल ही में भड़काऊ भाषण देने, दो सम्प्रदायों के ‍बीच वैमनस्यता फैलाने और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में तीन प्राथमियां दर्ज की गई हैं।

ओवैसी आंध्रप्रदेश विधान सभा में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहाद अल मुस्लिमीन (एम.आई.एम.) के विधायक हैं और पार्टी के सदन में नेता हैं। वे ओवैसी परिवार के सदस्य हैं जिनका 14 जून, 1970 को हैदराबाद में जन्म हुआ था। वे पार्टी के सबसे बड़े दिवंगत नेता सुल्तान सलाहुद्‍दीन ओवैसी के छोटे बेटे हैं। उनके बड़े भाई, असदुद्दीन ओवैसी, हैदराबाद से पार्टी के सांसद हैं।

उन्हें मुख्य रूप से भड़काने वाले विवादास्पद बयान देने के लिए जाना जाता है। 2007 में उन्होंने फतवा जारी किया था ‍कि अगर सलमान रश्दी और तस्लीमा नसरीन कभी हैदराबाद आते हैं तो उनकी गर्दन काट दी जाए। 2011 में उनका कहना था कि अगर पूर्व प्रधान मंत्री पी.वी. नरसिंह राव अपने आप न मर गए होते तो वे अपने हाथों से उन्हें मार देता। जनवरी 2013 में पुलिस ने उनके खिलाफ तीन एफ.आई.आर. दर्ज की हैं। आदिलाबाद में अपना भाषण देने के बाद वे लंदन में अपना इलाज करा रहे हैं।

कट्‍टर सुन्नी मुस्लिम 42 वर्षीय अकबरुद्दीन ओवैसी चंद्रयान गुट्‍टा, ( Akbaruddin Owaisi) हैदराबाद से पार्टी के 1999 में पहली बार विधायक चुने गए थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी सबीना फरजाना हैं और वे एक बेटे और एक बेटी के पिता हैं।

वे हैदराबाद की बंजारा हिल्स की रोड नं.12 पर रहते हैं। पहली बार विधान सभा के लिए चुने जाने के बाद उन्हें पार्टी का उप सचेतक बनाया गया था और वे अपने बड़े भाई असदुद्दीन के सहायक बने थे बाद में जब असद सांसद बन गए तो 2004 में उन्हें राज्य विधान सभा में पार्टी का मुख्‍य सचेतक बनाया गया। वे 2009 में फिर से चुने गए और अब राज्य विधान सभा में सात सदस्यीय पार्टी का नेतृत्व करते हैं।

अकबरुद्दीन ओवैसी उनके पिता द्वारा मुस्लिमों के कल्याण के लिए बनाए गए ओवैसी अस्पताल के प्रबंध निदेशक भी हैं। उनकी एक प्रॉपर्टी डीलर मोहम्मद पहलवान से दुश्मनी है और एक सम्पत्ति विवाद में उन पर जानलेवा हमला किया गया था।

मई 2011 में मोहम्मद पहलवान के साथ चार अन्य लोगों ने उन पर हमला किया था। ओवैसी को चाकू मारा गया था और उन पर तीन बार गोली चलाई गई थी लेकिन वे किसी तरह बच निकले और बाद में उन्हें गंभीर हालत में ओवैसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस घटना से दो साल पहले ओवैसी और पहलवान के समर्थक मई 1999 के चुनावों के दौरान लड़ गए थे।

अगस्त 2007 में अपनी पार्टी के अन्य विधायकों के साथ उन्होंने तस्लीमा नसरीन की हत्या करने की धमकी दी थी। उनका कहना था कि तस्लीमा और सलमान रश्दी के खिलाफ फतवों का पालन किया जाना चाहिए।

उनका कहना था, 'हम हैदराबाद में फतवे के अनुसार इस महिला की गर्दन काटना चाहते हैं।' 2011 में कर्नूल में एक रैली में उन्होंने आंध्र विधान सभा को कुफ्रस्तान और विधायकों को काफिर बताया था। इसी रैली में उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री राव को हत्यारा, दरिंदा, बेईमान, धोखेबाज और चोर बताया था।

अपने भाषणों में उन्होंने हिंदुओं, उनके देवी देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। उनका दावा था कि आजादी के बाद देश में 50 हजार दंगे हुए हैं और इनमें लाखों मारे गए लोग मुस्लिम थे।

राज्य के हैदराबाद,निजामाबाद और आदिलाबाद में उन्होंने हिंदुओं, उनके देवताओं, देवियों से लेकर राज्य की पुलिस, मुख्‍यमंत्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, भाजपा, नरेन्द्र मोदी, भारत और अमेरिका के खिलाफ विष वमन किया और आमिर अजमल कसाब को एक 'बच्चा' बताया और उसकी तुलना नरेन्द्र मोदी से की।

उनका कहना था कि अगर कसाब को फांसी दी गई तो गुजरात दंगों के लिए नरेन्द्र मोदी को भी फांसी दी जानी चाहिए। जब भी उन्होंने ऐसे आपत्तिजनक शब्द कहे तो उनके समर्थकों ने 'अल्ला हू अकबर' के नारे लगाए और तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ाया।

कानूनी कार्यवाही : हैदराबाद के एक उपनगर नामपल्ली के एक वकील के. करुणासागर ने स्थानीय कोर्ट में एक य‍ाचिका दायर की थी। उन्होंने कोर्ट से पुलिस को ओवैसी के खिलाफ मामले दायर करने का निर्देश देने को कहा। जिस दिन करुणासागर ने याचिका दायर की उसकी रात उन्हें हत्या की तीन धमकियां मिलीं। हैदराबाद में एक कारोबारी एस. वैंकटेश गौड़ ने दूसरी याचिका दायर की।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने पुलिस आयुक्त से इन कथित भाषणों पर जांच रिपोर्ट मांगी। लेकिन इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि कई समाचार चैनलों ने ओवैसी के भाषणों के टेप नहीं दिखाए क्योंकि उन्हें डर था कि अगर वे ऐसा करते हैं तो देश के कई हिस्सों में दंगे भड़क सकते थे।

इस बारे में उनके बड़े भाई असद का कहना है कि लंदन में इलाज कराकर लौटने के बाद अकबर कोर्ट में आत्म समर्पण कर देंगे। मई 2011 में उन पर किए गए हमले में उनकी आंतों में चोट आई थीं वे इसी का इलाज कराने के लिए फिलहाल लंदन में हैं। एक जानकारी के अनुसार अकबरुद्दीन लंदन से अपने शहर हैदराबाद लौट आए हैं।

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