नई दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने मंगलवार को दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर सदन में तुरंत चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा किया। इस वजह से सदन की कार्यवाही 9:50 बजे पहले 10:30 बजे तक और फिर 11:30 बजे तक और उसके बाद 12:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने उनकी मांग का अस्वीकार करते हुए कहा कि सदस्य एक दिन बाद, बुधवार को राष्ट्रपति अभिभाषण पर होने वाली चर्चा में अपनी बात रख सकते हैं।
सुबह राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद सहित कई विपक्षी नेताओं ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का मुद्दा उठाया।
सभापति नायडू ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें नियम 267 के तहत कई सदस्यों के नोटिस मिले हैं। इस नियम के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर जरूरी मुद्दे पर चर्चा की जाती है।
तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय, वाम सदस्य ई करीम और विनय विश्वम, द्रमुक के टी शिवा, राजद के मनोज झा, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, सपा के रामगोपाल यादव आदि सदस्यों ने किसानों के आंदोलन का जिक्र किया और इस पर चर्चा कराने की मांग की।
सभापति ने व्यवस्था देते हुए कहा कि इस मुद्दे को कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उठाया जा सकता है। इस बीच शून्यकाल की आधे घंटे की अवधि समाप्त हो गई और सभापति ने प्रश्नकाल आरंभ किया। तब कुछ विपक्षी दलों के सदस्य नाराजगी जाहिर करते हुए सदन से वाकआउट कर गए।
प्रश्नकाल आरंभ होने पर कुछ सदस्यों ने प्रश्न पूछे। इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। सभापति ने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने की अपील की। अपनी बात का असर न होते देख उन्होंने नौ बज कर करीब 50 मिनट पर बैठक साढ़े दस बजे तक स्थगित कर दी। (भाषा)