Kisan Andolan : किसानों की 2 मांगों पर सरकार की सहमति, मुख्य मुद्दों पर गतिरोध बरकरार, 4 जनवरी को फिर होगी बैठक

Webdunia
गुरुवार, 31 दिसंबर 2020 (01:00 IST)
नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 1 महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों की सरकार के साथ वार्ता बुधवार को पटरी पर तो लौटी और बिजली के शुल्क तथा पराली जलाने से संबंधित कानूनी प्रावधानों पर उनकी चिंताओं को दूर करने पर सहमति भी बनी, लेकिन नए कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दायरे में लाने की उनकी मुख्य मांग पर कुछ फैसला नहीं हो सका।
ALSO READ: ब्रिटेन से लौटे 14 और लोग वायरस के नए 'स्ट्रेन' से संक्रमित, कुल मामले बढ़कर 20 हुए
सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच 5 घंटे से अधिक समय तक चली छठे दौर की वार्ता में बर्फ तो पिघलती नजर आई लेकिन गतिरोध बरकरार रहा क्योंकि उनकी मुख्य मांगों पर कोई सहमति नहीं बन सकी।
 
अब 4 जनवरी को फिर से सरकार और किसान संगठनों के बीच मुख्य मांगों पर चर्चा होगी। बहरहाल, यह तय हो गया कि इन विवादास्पद कानूनों पर आंदोलनरत किसानों की समस्याओं का समाधान अगले साल ही हो सकेगा।
 
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वार्ता के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दावा किया कि जिन चार मुद्दों पर आज चर्चा हुई उनमें से दो पर आज सहमति बन गई।
 
उनके मुताबिक सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने को लेकर सहमति बन गई।
ALSO READ: कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को नहीं मिली अनुमति, 1 जनवरी को फिर होगी बैठक
हालांकि तोमर ने यह भी स्पष्ट किया कि 3  कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांग एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन सकी। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर 4 जनवरी को फिर चर्चा होगी।
 
तोमर ने उम्मीद जताई कि नया साल नए समाधान लेकर आएगा। उन्होंने फिर से दोहराया कि मोदी सरकार किसानों के मुद्दों पर संवेदनशील है।
 
उन्होंने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसान संगठनों के साथ वार्ता ‘सौहार्द्रपूर्ण वातावरण’ में संपन्न हुई। उन्होंने कहा कि बैठक में किसान यूनियन के नेताओं ने जो चार विषय चर्चा के लिए रखे थे, उनमें दो विषयों पर आपसी रजामंदी, सरकार और यूनियन के बीच में हो गई है। पहला पराली जलाने से संबंधित कानून है। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में रजामंदी हो गई है।
ALSO READ: पाकिस्तान में भीड़ ने हिन्दू मंदिर में की तोड़फोड़, संघीय संसदीय सचिव ने की निंदा
उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक, जो अभी अस्तित्व में नहीं आया है, उसको लेकर किसानों को आशंका है कि इससे उन्हें नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि इस मांग पर भी दोनों पक्षों के बीच सहमति हो गई है। यानी 50 प्रतिशत मुद्दों पर सहमति हो गई है।
 
तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने यहां विज्ञान भवन में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की। 
 
हालांकि बाद में जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि कृषि मंत्री ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को आश्‍वासन दिया कि एमएसपी पर कृषि उपज की खरीद तथा मंडी प्रणाली पूर्व की तरह जारी रहेगी और सरकार एमएसपी को लेकर एक समिति का गठन करने को तैयार है।
 
बयान में कहा गया है कि किसान संगठनों के एमएसपी पर कानून बनाने के प्रस्‍ताव पर कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि उपज की एमएसपी तथा उनके बाजार भाव के अंतर के समाधान हेतु समिति का गठन किया जा सकता है।
ALSO READ: 4 माह के बच्चे को विमान में हुई सांस लेने में तकलीफ, इमरजेंसी लैंडिंग, फिर भी नहीं बची जान
बयान के मुताबिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा तीनों कानून वापस लेने से संबंधित सुझाव के संबंध में कृषि मंत्री ने कहा कि इस पर कमेटी का गठन करके किसान के हितों को ध्‍यान में रखते हुए विकल्‍पों के आधार पर विचार किया सकता है। जिससे संविधानात्‍मक मर्यादा का पालन करने के लिए सरकार अपनी भूमिका का निर्वहन कर सके।
 
पंजाब किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रुल्दू सिंह मनसा ने कहा कि सरकार एमएसपी खरीद पर कानूनी समर्थन देने को तैयार नहीं है और इसकी जगह उसने एमएसपी के उचित क्रियान्वयन पर समिति गठित करने की पेशकश की है।
 
उन्होंने कहा कि सरकार ने विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेने और पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान को हटाने के लिए अध्यादेश में संशोधन करने की पेशकश की है।
 
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी कहा कि सरकार प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक और पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से संबंधित अध्यादेश को क्रियान्वित न करने पर सहमत हुई है।
 
तोमर ने किसान प्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि उनकी परेशानियों को ध्‍यान में रखते हुए सरकार किसानों के मुद्दे पर समाधान करने हेतु हरसंभव प्रयास करने के लिए तत्‍पर है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार प्रतिनिधियों के साथ खुले मन से चर्चा करके समाधान के लिए हर संभव प्रयासरत है।
 
उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से कदम आगे बढ़ाने की जरूरत है। सरकार सभी सकारात्‍मक विकल्‍पों को ध्‍यान में रखते हुए कानूनी राय के साथ विचार करने के लिए तैयार है।
 
कृषि मंत्री ने किसान संगठनों से अनुरोध किया गया कि कृषि सुधार कानूनों के संबंध में अपनी मांग के अन्‍य विकल्‍प दें, जिस पर सरकार विचार कर सकेगी।
 
केंद्र ने सितंबर में लागू तीनों नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए ‘खुले मन’ से ‘‘तार्किक समाधान’ तक पहुंचने के लिए किसान यूनियनों को 30 दिसंबर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था।
 
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने मंगलवार को अपने पत्र में कहा था कि एजेंडे में तीनों विवादित कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने के विषय को शामिल किया जाना चाहिए।
 
छठे दौर की वार्ता 9 दिसंबर को ही होने वाली थी, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और किसान यूनियनों के कुछ नेताओं के बीच इससे पहले हुई अनौपचारिक बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकलने पर बैठक रद्द कर दी गई थी।
 
शाह से मुलाकात के बाद सरकार ने किसान संगठनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें नए कानून में सात-आठ संशोधन करने और एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने की बात कही गई थी। सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने से इनकार कर दिया था।
 
कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं।
 
सरकार ने कहा है कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था ‘कमजोर’ होगी तथा किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

प्रियंका गांधी ने वायनाड सीट पर तोड़ा भाई राहुल गांधी का रिकॉर्ड, 4.1 लाख मतों के अंतर से जीत

election results : अब उद्धव ठाकरे की राजनीति का क्या होगा, क्या है बड़ी चुनौती

एकनाथ शिंदे ने CM पद के लिए ठोंका दावा, लाडकी बहीण योजना को बताया जीत का मास्टर स्ट्रोक

Sharad Pawar : महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से राजनीतिक विरासत के अस्तित्व पर सवाल?

UP : दुनिया के सामने उजागर हुआ BJP का हथकंडा, करारी हार के बाद बोले अखिलेश, चुनाव को बनाया भ्रष्टाचार का पर्याय

सभी देखें

नवीनतम

संभल मामले में अखिलेश यादव का बड़ा बयान, हिंसा के लिए इन्‍हें ठहराया जिम्मेदार

LIVE: राज्‍यपाल से मिले हेमंत सोरेन, पेश किया सरकार बनाने का दावा

बावनकुले ने बताया, कौन होगा महाराष्‍ट्र का अगला मुख्‍यमंत्री?

संसद सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, सरकार ने सभी दलों से की यह अपील

अजित पवार बने विधायक दल के नेता, राकांपा की बैठक में हुआ फैसला

अगला लेख