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विश्व कप फुटबॉल में ऐसे मिलता है प्रतिष्ठित 'गोल्डन बूट'

हमें फॉलो करें विश्व कप फुटबॉल में ऐसे मिलता है प्रतिष्ठित 'गोल्डन बूट'

सीमान्त सुवीर

, बुधवार, 13 जून 2018 (23:29 IST)
विश्व कप फुटबॉल के रोमांच का 21वां महासंग्राम शुरू होने में कुछ घंटों का समय शेष रह गया है और फीफा से संबद्ध 208 देशों की बेस्ट 32 टीमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए कसमसा रही हैं। इन 32 टीमों के 736 खिलाड़ी महीने भर तक चलने वाले इस फुटबॉल कुंभ में गोता लगाने जा रहे हैं। 'ठोकर से दुनिया जीतने' इस जुनून को बयां करना मुश्किल है। 
 
 
विश्व कप फुटबॉल में जहाँ एक ओर 32 टीमों में से हरेक टीम चैम्पियन बनने का ख्वाब संजोती है, वहीं दूसरी तरफ हरेक खिलाड़ी का लक्ष्य प्रतिष्ठित 'गोल्डन बूट' का सम्मान पाने का होता है। यह 'गोल्डन बूट' उस खिलाड़ी को नसीब होता है, जो पूरे टूर्नामेंट में सबसे अधिक गोल दागता है।
 
2002 में पहली दफा विश्व कप ने एशिया में दस्तक दी थी। दक्षिण कोरिया और जापान की संयुक्त मेजबानी में आयोजित हुए इस विश्व कप में ब्राजील के सुपर स्टार फुटबॉलर रोनाल्डो ने 'गोल्डन बूट' सम्मान पाया था। इस विश्व कप में रोनाल्डो 8 गोलों के साथ टॉप स्कोरर रहे थे।
 
रोनाल्डो ने इस टूर्नामेंट में एक रोचक सिलसिले को भी खंडित किया था। इसके पूर्व के लगातार 6 विश्व कप  आयोजनों (1978 से 1998) में ऐसा हो रहा था कि गोल्डन बूट जीतने वाले खिलाड़ी के गोलों की संख्या 6 थी, लेकिन रोनाल्डो ने आठ गोल करके इस संख्या को पार कर लिया।
 
'गोल्डन बूट' देने की शुरुआत 1930 में विश्व कप के आगाज के साथ ही हुई थी। वर्ष 1982 में खेल का सामान बनाने वाली प्रमुख कंपनी एडीडास कंपनी के इस पुरस्कार के साथ जुड़ने के साथ ही इसका नाम 'एडीडास गोल्डन बूट' हो गया।
 
विश्व कप टूर्नामेंट के इतिहास में तीन बार ऐसा भी हुआ जब उच्चतम गोल करने वाले खिलाड़ियों की संख्या एक से अधिक रहने पर सभी को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया।
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2006 में फुटबॉल के जरिए दुनिया जीतने के जुनून का यह कारवां जर्मनी पहुंचा। अपने घरू दर्शकों के सामने जर्मनी भले ही विश्व विजेता का सेहरा बांधने में नाकाम रहा हो लेकिन हर जर्मनवासी ने उस वक्त खुद को गौरवान्वित समझा, जब उनके देश के स्टार फुटबॉलर मिरोस्लाव क्लोस को 'गोल्डन बूट' से सम्मानित किया गया।
 
2006 के विश्व कप में जर्मन स्ट्राइकर मिरोस्लाव 'गोल्डन बूट' पाने वाले खिलाड़ियों की होड़ में सबसे आगे निकल गए थे। मिरोस्लाव ने 2006 विश्व कप में खेले सात मैचों में पांच गोल दागे। अर्जेन्टीना के हनीज क्रेस्पी, फर्नांडो टोरेंस, हेनरी, मैक्सी रोड्रिग्ज, लुकास पोडोलस्की, ब्राजील के रोनाल्डो, स्पेन के डेविड विला और फ्रांस के जिनेडिन जिडान प्रतियोगिता में 3-3 गोल करने में सफल रहे थे। 
 
मिरोस्लाव ने 2006 में अपने 5 गोल के बूते पर भले ही गोल्डन बूट हासिल कर लिया था लेकिन यह विश्व कप के इतिहास का दूसरा सबसे लो-स्कोरिंग 'गोल्डन बूट' रहा। 1934 और 1962 में चार-चार गोल करके टॉप स्कोरर बनने का कीर्तिमान फुटबॉल इतिहास की किताबों में दर्ज है। 
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44 सालों में यह पहला प्रसंग था जब पांच गोल के सहारे गोल्डन बूट का फैसला हुआ। मिरोस्लाव ने कोस्टारिका और इक्वाडोर के खिलाफ 2-2 गोल और क्वार्टर फाइनल में अर्जेन्टीना के खिलाफ एक गोल किया था। विश्व कप फुटबॉल के इतिहास में सर्वाधिक 13 गोल दागने का रिकॉर्ड फ्रांस के जस्ट फोंटेन के नाम आज तक दर्ज है। फोंटेन ने यह कारनामा 1958 में स्वीडन में हुए विश्व कप में किया था। 
 
इसके बाद किसी देश का कोई भी फुटबॉलर इस रिकॉर्ड के आसपास पहुंचना तो दूर, दहाई की संख्या में भी नहीं पहुंच पाया। विश्व कप के इतिहास में सबसे कम स्कोरिंग के बावजूद टॉप स्कोरर बनने का रिकॉर्ड 1934 में इटली और 1962 में चिली में खेले गए विश्व कप के दौरान बना। 
 
1934 के विश्व कप चेकोस्लोवाकिया के ओल्ड्रिश नेजेली और जर्मनी के एडमंड कोनेन ने 4-4 गोल किए थे और इन्हीं के बलबूते पर प्रतिष्ठित गोल्डन बूट पाया था। 1962 में हंगरी के फ्लोरियान अल्बर्ट और रूस के वेलेटिन इवानोव 4-4 गोल के जरिए गोल्डन बूट पाने में सफल रहे थे। इस विश्व कप की मेजबानी चिली ने की थी।
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2014 के विश्व कप की मेजबानी ब्राजील ने की थी और इसमें चैम्पियन जर्मनी के जेम्स रोड्रिग्स 6 गोल के  बूते 'गोल्डन बूट' पाने में सफल रहे थे। विश्व कप फुटबॉल का 21वां संस्करण रूस में गुरुवार से शुरू होने जा रहा है और इस बार भी फीफा ट्रॉफी के साथ-साथ 'गोल्डन बूट' पर सबकी नजरें होंगी। इस सम्मान को कौन हासिल करेगा, यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है।

वर्ष मेजबान खिलाड़ी टीम गोल
1930 उरुग्वे गुहलरमो स्टेबिल अर्जेन्टीना 8
1934 इटली ओल्ड्रिश नेजेली चेकोस्लोवाकिया 4
1934 इटली एडमंड कोनेन  जर्मनी 4
1938 फ्रांस लिओनीदास ब्राजील 8
1950 ब्राजील एडेमिर  ब्राजील 9
1954 स्विट्‍जरलैंड सैंडोर कोसिस हंगरी 11
1958 स्वीडन जस्ट फोंटेन फ्रांस 13
1962 चिली फ्लोरियान अल्बर्ट हंगरी 4
1962 चिली वेलेटिन इवानोव रूस
1962 चिली ड्राजेन जरकोविक यूगोस्लाविया 4
1966 इंग्लैंड उसेबिओ पुर्तगाल 9
1970 मैक्सिको गेर्ड मूलर जर्मनी 10
1974 प. जर्मनी ग्रगोर्जलातो पोलैंड 7
1978 अर्जेन्टीना मारियो केम्प्स अर्जेन्टीना 6
1982 स्पेन पाओलो रोसी इटली 6
1986 मैक्सिको गैरी लिनेकर इंग्लैंड 6
1990 इटली साल्वाडोर शिलाकी बुलगारिया 6
1994 अमेरिका हिस्ट्रो स्टोइचोव बुल्गारिया 6
1998 फ्रांस ओलंग सलेकों बुल्गारिया 6
1998 फ्रांस डेवोर सूकर क्रोएशिया 6
2002 द. कोरिया-जापान रोनाल्डो ब्राजील 8
2006 जर्मनी मिरोस्लाव क्लोस जर्मनी 5
2010 द. कोरिया थॉमस मुलर जर्मनी 5
2014 ब्राजील जेम्स रोड्रिग्स जर्मनी 6

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