पी/एस है वेल्‍यू स्‍टॉक चुनने का दमदार आधार

मोलतोल डॉट इन
शुक्रवार, 8 मार्च 2013 (14:34 IST)
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निवेशक स्टॉक वेल्यू की तुलना करने के लिए हमेशा नए तरीकों की तलाश करते रहते हैं। इसके लिए प्राइस-टू-सेल्स अनुपात (प्राइस/सेल्स या पी/एस) एक सरल तरीका है : कंपनी के बाजार पूंजीकरण (शेयरों की संख्या को शेयर मूल्य से गुणा करें) को पिछले 12 महीनों के दौरान कुल बिक्री से विभाजित करें।

निम्न अनुपात, निवेश को अधिक आकर्षक बनाता है। स्टॉक के आकार का आकलन करने के लिए प्राइस-टू-सेल्स एक उपयोगी उपाय है, लेकिन निवेशकों को अनुपात के संभावित नुकसान और संभव अविश्वसनीयता के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है।

पी/एस कैसे उपयोगी है : संक्षेप में, यह अनुपात दिखाता है कि कंपनी की बिक्री से प्रत्येक रुपए से दलाल स्ट्रीट की वेल्यू क्या है। पिछले 12 महीनों में उच्च सापेक्ष क्षमता के साथ मिलकर, एक निम्न प्राइस-टू-सेल्स अनुपात निवेश मानदंडों का सबसे शक्तिशाली संयोजन है।

एक निम्न पी/एस ग्रोथ स्टॉक की वेल्यू को प्रभावी बना सकता है, जो कि अभी अस्थायी नुकसान में हो। एक उच्च चक्रीय इंडस्ट्री जैसे सेमीकंडक्टर, यहां कई सालों में केवल कुछ कंपनियों ने कोई आय अर्जित नहीं की।

इसका मतलब यह नहीं है कि सेमीकंडक्टर स्टॉक बेकार हैं। इस मामले में निवेशक प्राइस-अर्निंग अनुपात की जगह प्राइस-टू-सेल्स का उपयोग कर सकते हैं, यह जानने के लिए कि प्रति रुपए आय की तुलना में वे एक कंपनी की बिक्री से प्रति रुपए के लिए कितना भुगतान कर रहे हैं।

पी/एस का उपयोग रिकवरी स्थितियों को पहचानने या फिर कंपनी की ग्रोथ ओवरवेल्यूड न हो जाए यह जांचने के लिए करते हैं। यह काम में आता है, जब कंपनी नुकसान से भिडऩा शुरू करती है और, परिणाम के रूप में, कोई आय न होने के साथ निवेशक शेयर का आकलन कर सकता है।

चलिए देखते हैं कि हम एक फर्म का मूल्याकंन कैसे करते हैं, जिसने पिछले साल एक भी पैसा नहीं बनाया। जब एक फर्म बिजनैस से बाहर जा रही है, पी/एस यह दिखाएगा कि फर्म के शेयर अपने सैक्टर के अन्य शेयरों से कितना डिस्काउंटेड है।

किसी कंपनी का पी/एस 0.7 है जबकि अन्य साथियों की अनुपात उच्च 2 है। यदि कंपनी चीजों को अपनी ओर मोड़ सकती है, तो इसके शेयर ऊपर चढ़ेंगे और पी/एस अपने साथियों के और नजदीक आ जाएगा।

इस बीच एक कंपनी नुकसान में जाती है (नकारात्मक आय) तो इसके डिविडेंड यील्ड को भी नुकसान हो सकता है। इस मामले में, पी/एस बिजनेस का मूल्याकंन करने के लिए अंतिम उपायों का प्रतिनिधित्व करता है।

सभी चीजें बराबर हो सकती हैं, एक निम्न पी/एस निवेशकों के लिए अच्छी खबर है, जबकि बहुत उच्च पी/एस एक चेतावनी संकेत हो सकता है। पी/एस कहां कम गिरता है : यह कहा जाता है कि, टर्नओवर मूल्यवान है, केवल तभी, कुछ बिंदुओं पर, यह आय में अनुवादित हो सकती है।

कंस्ट्रक्शन कंपनियों पर विचार करें। इन्होंने बहुत उच्च बिक्री टर्नओवर हासिल किया, लेकिन बिल्डिंग बूम में अपवाद से, इनके फायदे के रास्ते में रुकावट आई है। इसके विपरीत, एक सॉफ्टवेयर कंपनी आसानी से प्रत्येक 10 रुपए बिक्री आय में चार रुपए शुद्ध मुनाफा कमा सकती है।

इस विसंगति का मतलब यह है कि बिक्री को हमेशा प्रत्येक कंपनी के लिए सदैव एक ही तरीके से ट्रीट नहीं किया जा सकता। बहुत से लोग कंपनी की ग्रोथ का सबसे विश्वसनीय संकेतक बिक्री राजस्व को मानते हैं।

आय एक जटिल निचली संख्या है, जिसकी विश्वसनीयता हमेशा आश्वस्त नहीं करती, लेकिन कुछ धुंधले एकाउंट नियमों की वजह से, बिक्री राजस्व के आंकड़े गुणवत्ता के तौर पर अविश्वसनीय हो सकते हैं। कंपनियों की बिक्री की तुलना एक से एक के आधार पर करना शायद ही काम करता है।

बिक्री की परीक्षा प्रॉफिट मार्जिन और उसके ट्रेंड के साथ ही साथ सैक्टर स्पेसीफिक मार्जिन पर सावधानीपूर्वक नजर रखने से करनी चाहिए।

ऋण एक महत्वपूर्ण कारक है : एक उच्च ऋण और उच्च पी/एस वाली कंपनी की तुलना में बिना ऋण और निम्न पी/एस वाली कंपनी ज्यादा आकर्षक निवेश होता है। कुछ बिंदुओं पर, ऋण के भुगतान की जरूरत होगी, इसलिए यहां इसकी संभावना होगी कि कंपनी अतिरिक्त शेयर जारी करेगी।
यह नए शेयर बाजार पूंजीकरण को बढ़ाएंगे और पी/एस को भी बढ़ाएंगे। भारी कॉरपोरेट ऋण वाली कंपनियां दिवालियापन के कगार पर होती हैं, हालांकि, निम्न पी/एस के साथ यह उभर सकती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी बिक्री पर, शेयर प्राइस और पूंजीकरण में गिरावट का कोई असर नहीं पड़ता। तो कैसे निवेशक इसमें अंतर कर सकता है?

यहां एक ऐसा रास्ता है जिसके जरिये निवेशक सस्ते बिक्री और कम स्वस्थ्य ऋण बोझ वाली कंपनी के बीच अंतर कर सकते हैं : यहां बाजार पूंजीकरण/ बिक्री के बजाए उद्यम मूल्य/ बिक्री का उपयोग करें। कंपनी के लंबी अवधि के ऋण को कंपनी के बाजार पूंजीकरण से जोड़े और उसे किसी भी नकदी से घटाएं, प्राप्त परिणाम कंपनी का उद्यम मूल्य है।

कंपनी को खरीदने के लिए उसके उद्यम मूल्य पर विचार करें, इसमें इसके ऋण और शेष नकदी शामिल होती है, जो कि कुल लागत होगी। उद्यम मूल्य बताता है कि निवेशक ऋण कि लिए कितना अधिक भुगतान करते हैं।

यह दृष्टिकोण दो बहुत विभिन्न कंपनियों के बीच तुलनात्मक समस्याओं को पहचानने में भी काफी मददगार है:

1. एक प्रकार की ऋण बिक्री को बढ़ाता है और
2. दूसरा कि बिक्री कम है लेकिन ऋण का भार नहीं है

अंतिम पंक्तिया : सभी मूल्यांकन तकनीक के साथ, बिक्री आधारित गणना सिर्फ शुरुआत है। सबसे बुरी बात यह है कि एक निवेशक अंतर्निहित बुनियादी बातों को देखे बिना शेयर खरीद सकते हैं। निम्न पी/एस उच्च प्रोफिट मार्जिन, निम्न ऋण स्तर और विकास संभावनाओं जैसे अन्य मापदंडों की जगह अपरिचित वेल्यू क्षमता का संकेत कर सकते हैं। अन्य मामलों में, पी/एस एक क्लासिक वेल्यू ट्रेप हो सकता है।
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सौजन्य से : मोलतोल.इन

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