वित्तीय साक्षरता की ओर पहला कदम

उमेश राठी
क्या है वित्तीय साक्षरता : साक्षरता का शाब्दिक अर्थ विषय को पढ़ने, समझने एवं लिखने की क्षमता से है। वित्तीय साक्षरता से आशय वित्तीय मामलों जैसे अपने लिए उपयुक्त वित्तीय योजनाओं का निर्माण, वित्तीय उत्पाद में मौजूद रिस्क एवं रिटर्न की समझ, सही उत्पाद का चयन, उत्पाद प्रदाता कंपनी का चयन, रियल टैक्स रिटर्न आदि बातों को सही रूप से समझकर उचित वित्तीय निर्णय लेने से है।

क्यों जरूरी है वित्तीय साक्षरता : ग्लोबलाइजेशन एवं उदार आर्थिक नीति की राह अपनाकर जहाँ एक तरफ हमारे देश की अर्थव्यवस्था निरंतर विकास कर रही है वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक घटकों का प्रभाव हमारे पर्सनल फाइनेंस पर पड़ रहा है। दो दशक पूर्व जहाँ भारतीय वित्तीय बाजार, बैंक एवं एलआईसी तक ही सीमित थे, वहीं आज वित्तीय बाजार काफी व्यापक हो गया है एवं हमारे पास विभिन्न वित्तीय उत्पाद और उत्पाद प्रदाता कंपनियों के विकल्प मौजूद हैं। पहले जहाँ बैंक एफडी और एलआईसी जैसे सुरक्षित निवेश साधनों में इतना रिटर्न मिल जाता था कि टैक्स चुकाने के बाद भी हम महँगाई दर को मात दे पाते थे वहीं आज इन निवेश साधनों में रिटर्न इतना कम हो गया है कि टैक्स एवं महँगाई दर को मात दे पाना बड़ी चुनौती हो गया है। इस चुनौती का सामना करने के लिये आवश्यकता है वित्तीय साक्षरता की।

वित्तीय साक्षरता के ला भ : आज यदि हम आकलन करें तो हमने अधिकतम वित्तीय उत्पाद किसी परिचित/रिश्तेदार/मित्र आदि के मुलायजे में आकर लिए हुए हैं। हम अपने वित्तीय मामलों में ऐसे सेल्समैनों पर निर्भर हैं जिनका हित किसी कंपनी विशिष्ट के उत्पाद बेचने से है, उनसे कैसे हम आशा कर सकते हैं कि वे हमारे वित्तीय हित में हमें अपनी वित्तीय योजना बनाने एवं बाजार में मौजूद विभिन्न विकल्प में से हमारे लिए उपयुक्त उत्पाद चुनने में हमारी मदद करेंगे। अतः वित्तीय साक्षरता से हम अपने लिये उचित वित्तीय निर्णय ले सकेंगे।

फायनेंशियल फ्रॉड से बचाव : वित्तीय साक्षरता के अभाव में वित्तीय उत्पाद कंपनियाँ हमारी भावुकता का फायदा उठाने से भी नहीं चूक रही हैं। भारत में लोग अपने बच्चों के भविष्य के प्रति बहुत ही जागरूक हैं, इस बात का फायदा उठाकर कई वित्तीय उत्पाद प्रदाता/कंपनियाँ चाइल्ड प्लान के लुभावने विज्ञापन देकर अपनी पॉलिसियाँ बेच रही हैं, जबकि चौंका देने वाला तथ्य यह है कि इन चाइल्ड प्लान्स में सबसे अधिक खर्चे एवं प्रभार होते हैं। आज निवेशक वित्तीय साक्षरता के अभाव में इमोशनल रूप से ठगा जा रहा है। अतः वित्तीय साक्षरता से हम ठगी/फ्रॉड से बच सकते हैं।

वित्तीय साक्षरता : हमारा दुर्भाग्य रहा है कि हमें वित्तीय मामलों का ज्ञान स्कूल एवं कॉलेजों के माध्यम से नहीं मिल पाया है, जिस कारण हममें वित्तीय साक्षरता का अभाव है।

हमारा प्रयास रहेगा कि अब इस कॉलम के द्वारा नियमित रूप से पर्सनल फायनेंस से जुड़े विभिन्न विषयों की विस्तृत जानकारी दी जायेगी जिससे आप उचित वित्तीय निर्णय लेकर अर्थव्यवस्था के विकास के साथ-साथ निज आर्थिक विकास भी कर सकें।

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