न्यूजीलैंड में पाइए सस्ती शिक्षा

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विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले युवाओं के सामने पढ़ाई के बाद जो बात सबसे जरूरी है वह है शिक्षा खर्च। भारत के पढ़ाई खर्च और विदेश के पढ़ाई खर्च में जमीन-आसमान का अंतर है। यदि किसी विश्वविद्यालय में पढ़ाई सस्ती भी हो तो वहाँ रहने और खाने का खर्च भारत की तुलना में कहीं ज्यादा होता है।

इस पर यदि छात्रों को अवकाश के समय काम की अनुमति न मिले तो विदेश में रहकर पढ़ाई और ज्यादा महँगी लगने लगती है। पिछले कुछ सालों से अच्छी शिक्षा और किफायती रहन-सहन के साथ-साथ खर्च की पूर्ति के लिए काम की सुविधा देने वाले देशों की सूची में न्यूजीलैंड का नाम भी जुड़ गया है। और वहाँ साल-दर-साल अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।

उपलब्ध है अंत. पाठ्यक्रम
न्यूजीलैंड में छात्रों के लिए सारे प्रचलित कोर्स जिनमें इंजीनियरिंग से लेकर मैनेजमेंट और सॉफ्टवेयर शामिल है, उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं न्यूजीलैंड में पढ़ाए जा रहे कोर्स अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं। न्यूजीलैंड की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी सौ साल पुरानी है, जबकि ओटागो और ऑकलैंड यूनिवर्सिटी को दुनियाभर में प्रतिष्ठित शिक्षा केंद्र माना जाता है।
  विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले युवाओं के सामने पढ़ाई के बाद जो बात सबसे जरूरी है वह है शिक्षा खर्च। भारत के पढ़ाई खर्च और विदेश के पढ़ाई खर्च में जमीन-आसमान का अंतर है।      


कम फीस
वहाँ छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की संख्या कम है, लेकिन वहाँ अन्य देशों की तुलना में फीस भी कम ली जाती है। वहाँ का औसत वार्षिक व्यय चार लाख रुपए है जो काम करते हुए वसूला जा सकता है। इसलिए विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए न्यूजीलैंड एक सस्ता और अच्छा विकल्प बनता जा रहा है।

पढ़ाई के साथ काम
न्यूजीलैंड में गत दिनों अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए कुछ नए नियम बनाए गए हैं, जिसके अनुसार वहाँ पढ़ाई पूरी कर निकलने वाले छात्रों को छः माह का ओपन वर्क परमिट दिया जाने लगा है। इस दौरान वे वहाँ न केवल रोजगार तलाश सकते हैं, बल्कि स्किल्ड माइग्रेण्ट्स के तहत आवास की पात्रता भी प्राप्त कर लेते हैं।

इस परमिट को दो साल तक बढ़ाया भी जा सकता है। न्यूजीलैंड सरकार के इस कदम का यह असर हुआ है कि वहाँ की यूनिवर्सिटियों में सारी दुनिया के आवेदनों का ढेर लग गया है। वहाँ की इमाइग्रेशन वेबसाइट पर कभी-कभी इतना ट्रैफिक बढ़ जाता है कि वह लोड से क्रेश तक हो जाती है।

फुर्सत में अतिरिक्त कमाई
न्यूजीलैंड में अँगरेजी जानने वाले प्रवासी छात्र पार्टटाइम काम कर सकते हैं। इसके अंतर्गत आईईएलटीएस में 5.0 स्कोरिंग करने वाले छात्रों को प्रति सप्ताह 20 घंटे काम मिल जाएगा। इसका सबसे ज्यादा लाभ भारतीय छात्रों को ही मिल रहा है। अब तक केवल यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में पढ़ाई करने वाले छात्रों को यह सुविधा मिलती थी। जिसके कारण वहाँ विदेशी छात्रों की भीड़ लगी रहती थी। अब न्यूजीलैंड ने भी यह सुविधा प्रदान कर विदेशी छात्रों को आकर्षित करने का प्रयास किया है।

छुट्टियों में फुलटाइम वर्क
न्यूजीलैंड ने नए नियमों के तहत छात्रों को अवकाश के दौरान गर्मियों की छुट्टी के दौरान फुलटाइम काम करने की अनुमति भी प्रदान की है, इससे उन्हें काम करने के साथ-साथ न्यूजीलैंड में रहने की पात्रता भी मिल जाती है और वे पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ वर्षों तक न्यूजीलैंड में रहते हुए कमाई भी कर सकते हैं। भारतीय छात्र अब न्यूजीलैंड जाकर विदेश के प्रोफेशनल एनवायरमेंट का अनुभव भी ले सकते हैं और काम करते हुए अपनी पढ़ाई का खर्च भी निकाल सकते हैं।

होंगे निहाल भारत के नौनिहाल
इस बारे में वेलिंगटन स्थित विक्टोरिया यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी का कहना है कि हमें यकीन है कि इससे न्यूजीलैंड में छात्रों का इनरोलमेंट तेजी से बढ़ेगा। भारत के प्रति वह विशेष रूप से आशावान है, क्योंकि इस बारे में सबसे ज्यादा पूछताछ भारत से ही हो रही है। न्यूजीलैंड की नई शिक्षा नीति इस साल 4 जुलाई से प्रभावशील हो रही है। इस नीति के अनुसार यदि कोई छात्र पढ़ाई के दौरान कहीं जॉब पा लेता है तो उसे दो साल का वर्क परमिट अपने आप मिल जाएगा।
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