मोगली के घर की सैर...

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प्राकृतिक सुंदरता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्घ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का नाम यहाँ की चिकनी मिट्टी के कारण पड़ा है, जिसे स्थानीय भाषा में 'कनहार' कहा जाता है। एक और मान्यता यह है कि इस वन के पास एक गाँव में कान्वा नाम के सिद्घ पुरुष रहते थे। उन्हीं के नाम पर इस उद्यान का नाम कान्हा रखा गया है। मध्यप्रदेश के मंडला के नजदीक के इस उद्यान से ही रूडयार्ड किपलिंग को जंगल बुक लिखने की प्रेरणा मिली। तो आइए, आज हम मोगली के घर की सैर कर आएँ।

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मध्‍यप्रदेश का प्रिंसेस क्षेत्र
यह राष्ट्रीय उद्यान 1945 वर्ग किलोमीट क्षेत्र में फैला हुआ है। यह क्षेत्र घोड़े के खुर के आकार का है। सतपुड़ा पर्वत की घाटियों से घिरा यह क्षेत्र बेहद हरा-भरा है। इन पहाड़ियों की ऊँचाई 450 से 900 मीटर तक है। यह दो हिस्सों में विभक्त है- हेलन और बंजर क्षेत्र। 1879 से 1910 ईस्वी तक यह स्थान अँग्रेजों की शिकारगाह था।

1933 में इसे अभयारण्य के तौर पर स्थापित कर दिया गया तथा 1955 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया। किसी जमाने में इस जगह को मध्यप्रदेश का प्रिंसेस क्षेत्र कहा जाता था। यहाँ कई ऐसी प्रजातियों को संरक्षित किया गया है, जो लगभग विलुप्त हो चुकी हैं। बारहसिंगा की कई विलुप्तप्रायः प्रजातियाँ यहाँ के वातावरण में देखने को मिल जाती है।

एशिया के सबसे सुरम्य और खूबसूरत वन्यजीव रिजर्वो में से एक है कान्हा राष्ट्रीय उद्यान। यह स्थान परभक्षी और शिकारी दोनों के लिए आदर्श स्थान है। खुले घास के मैदान यहाँ की विशेषता है, जहाँ काला हिरण, बारहसिंगा, सांभर और चीतलों को एक साथ देखा जा सकता है। बाँस और टीक के वृक्ष इसकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं।

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सैर-सपाटा
मोगली के इस घर को देखने के लिए आप वायु, रेल या सड़क किसी भी मार्ग से आ सकते हैं। सड़क मार्ग से तो ये सीधा जुड़ा हुआ है ही, साथ ही नागपुर तक आप प्लेन से तथा जबलपुर तक रेल से आने के बाद यहाँ सड़क के रास्ते आ सकते हैं।

अब बात करें, यहाँ अंदर घूमने की तो इसके लिए आपको यहाँ मध्यप्रदेश सरकार की ओर से जीप किराए पर मिल जाएगी और आप चाहें तो अपने खुद के वाहन से भी आ सकते हैं। बाघों के लिए प्रसिद्घ इस उद्यान में इन्हें नजदीक से देखने के लिए हाथी की सवारी की भी सुविधा है, जिससे आप बाघों को पास से देखने के अनुभव के साथ हाथी की सवारी का भी लुत्फ ले सकते हैं।

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जनवरी में नजदीक से देखें बारहसिंगा
याद रखें ये उद्यान 1 अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहता है। यहॉं काफी ठंड पड़ती है, इसलिए सर्दियों में यहाँ जाते वक्त खूब सारे गर्म कपड़े जरूर ले जाएँ। यहाँ का अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 2 डिग्री सेल्सियस होता है। मानसून के समय यह पार्क बंद रहता है।

यहाँ जाने के लिए नवंबर से मार्च की समयावधि सबसे बेहतर मानी जाती है और अगर आप बारहसिंगा को करीब से देखना चाहते हैं तो दिसंबर और जनवरी का समय इसके लिए सर्वोत्तम है।


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