विलुप्त हो सकती हैं पक्षियों की 1183 प्रजातियां

खतरे में हैं ‘भगवान के डाकिए’

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बदलती जलवायु आवसीय ह्रास और मानवीय हस्तक्षेप के चलते पक्षियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है और ऐसा अनुमान है कि आने वाले 100 साल में पक्षियों की 1183 प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं।

इस समय दुनिया में पक्षियों की करीब 9900 ज्ञात प्रजातियां हैं। विभिन्न कारणों से पक्षियों की प्रजातियों का विलुप्त होना जारी है और सन् 1500 से लेकर अब तक ‘भगवान के डाकिए’ कहे जाने वाले इन खूबसूरत जीवों की 128 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं।

पक्षी विज्ञानी आरके मलिक के अनुसार बदलती जलवायु आवसीय ह्रास मानवीय हस्तक्षेप और भोजन पानी में घुल रहे जहरीले पदार्थ पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं।

अब तक पक्षियों की करीब 9900 ज्ञात प्रजातियां हैं। सन् 1500 से लेकर अब तक आसमान में परवाज करने वाले इन जीवों की 128 प्रजातियां खत्म हो चुकी हैं।

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मलिक के मुताबिक यदि पक्षियों के उचित संरक्षण के प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले 100 वर्ष में इनकी कुल प्रजातियों का 12 प्रतिशत हिस्सा यानी कि 1183 प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं।

इंसानी शब्दों को हूबहू उसी उच्चारण में बोलने की महारत रखने वाला खूबसूरत तोता भी संकट में है।

पक्षी विज्ञानियों के अनुसार तोते की विश्व भर में 330 ज्ञात प्रजातियां हैं लेकिन आने वाले 100 साल में इनमें से एक तिहाई प्रजातियों के खत्म हो जाने का खतरा है। मलिक के मुताबिक पक्षियों की विलुप्ति का एक बड़ा कारण उनका अवैध व्यापार और शिकार भी है। तोते और रंगबिरंगी गौरैया जैसे पक्षियों को लोग जहां अपने घरों की शान बढ़ाने के लिए पिंजरों में कैद रखते हैं वहीं तीतर जैसे पक्षियों का शिकार किया जाता है।

राष्ट्रीय पक्षी मोर जहां बीजों में मिले कीटनशाकों की वजह से मारा जा रहा है, वहीं पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला गिद्ध जैसा पक्षी पशुओं को दी जाने वाली दर्द निवारक दवा की वजह से मौत का शिकार हो रहा है। गिद्ध मरे हुए पशुओं का मांस खाकर पर्यावरण को साफ रखने में मदद करता है, लेकिन उसका यह भोजन ही उसके लिए काल का संदेश ले आता है।

पशुओं को दी जाने वाली दर्द निवारक दवा गिद्ध के लिए जानलेवा साबित होती है।

भारत में जिन पक्षियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है उनमें विभिन्न तरह के गिद्धों के अतिरिक्त ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ गुलाबी सिर वाली बत्तख हिमालयन क्वेल साइबेरियन सारस बंगाल फ्लोरिकन उल्लू आदि प्रमुख हैं। (भाषा)

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